फिलिस्तीन को मान्यता देने के फैसले के बाद बढ़ा विवाद, वीज़ा रद्द होने पर कूटनीतिक तकरार तेज।
मुख्य तथ्य
- इज़राइल के पीएम नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बानीज़ को “कमज़ोर नेता” कहा।
- ऑस्ट्रेलिया ने इज़राइल के दक्षिणपंथी सांसद सिमचा रोथमैन का वीज़ा रद्द किया।
- जवाबी कदम के तौर पर इज़राइल ने ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के वीज़ा रद्द किए।
- ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की थी।
- ऑस्ट्रेलियाई मंत्री टोनी बर्क बोले—“ताकत का मतलब लोगों को भूखा या तबाह करना नहीं।”
इज़राइल और ऑस्ट्रेलिया के बीच कूटनीतिक तनाव तेजी से गहराता जा रहा है। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें “कमज़ोर नेता” बताया और आरोप लगाया कि उन्होंने इज़राइल के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया की यहूदी आबादी को भी “धोखा दिया” है।
तनाव तब और बढ़ गया जब ऑस्ट्रेलिया ने इज़राइल के सत्तारूढ़ गठबंधन के कट्टरपंथी सांसद सिमचा रोथमैन का वीज़ा रद्द कर दिया। इसके तुरंत बाद इज़राइल ने भी पलटवार करते हुए फिलिस्तीनी प्राधिकरण में कार्यरत ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधियों के वीज़ा निरस्त कर दिए।
नेतन्याहू का तीखा बयान
नेतन्याहू ने कहा, “इतिहास अल्बानीज़ को हमेशा एक कमज़ोर राजनेता के रूप में याद रखेगा।” वहीं, ऑस्ट्रेलियाई आव्रजन मंत्री टोनी बर्क ने पलटवार करते हुए कहा कि नेतन्याहू सिर्फ “झल्ला” रहे हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।
बर्क ने मीडिया से कहा—“ताकत इस बात से नहीं मापी जाती कि आप कितने लोगों को भूखा छोड़ सकते हैं या कितनों को बम से उड़ा सकते हैं।”
विपक्ष और यहूदी संगठनों की प्रतिक्रिया
नेतन्याहू के बयान की आलोचना इज़राइल के विपक्षी नेता यैर लैपिड ने भी की। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान वास्तव में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को ही मज़बूत दिखाते हैं। लैपिड ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज के दौर में लोकतांत्रिक देशों में नेतन्याहू से टकराव नेताओं की ताकत को और बढ़ाता है।”
इसी बीच, ऑस्ट्रेलियाई यहूदी संघ (AJA) ने घोषणा की कि रोथमैन उनके कार्यक्रम में अब वर्चुअल माध्यम से शामिल होंगे। संगठन ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यहूदी समुदाय टोनी बर्क या पेनी वोंग के आगे झुकेगा नहीं।”
पृष्ठभूमि: फिलिस्तीन को मान्यता और बढ़ता तनाव
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा की तर्ज पर फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद नेतन्याहू ने इन देशों के नेताओं पर भी कड़ा हमला बोला और उन्हें “आतंकियों का समर्थक” तक करार दिया।
7 अक्टूबर को हमास के हमले में 1,200 लोग मारे गए और 250 से ज्यादा बंधक बना लिए गए थे। इसके बाद से जारी इज़राइल की सैन्य कार्रवाई में गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 62,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
स्थिति साफ है कि ऑस्ट्रेलिया और इज़राइल के बीच यह विवाद केवल वीज़ा निरस्त होने का मुद्दा नहीं, बल्कि फिलिस्तीन पर अंतरराष्ट्रीय रुख को लेकर गहराता हुआ कूटनीतिक संकट है।