अलास्का में ट्रंप संग मुलाकात के बाद रूस ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए नई शर्तें रखीं, लेकिन कीव अब भी सख्त रुख पर कायम।
मुख्य तथ्य
- अलास्का में पुतिन-ट्रंप की पहली मुलाकात में यूक्रेन युद्ध पर तीन घंटे चर्चा।
- रूस ने प्रस्ताव रखा: यूक्रेन डोनबास पूरी तरह छोड़ दे, बदले में अन्य मोर्चे स्थिर रहेंगे।
- NATO में यूक्रेन की सदस्यता रोकने और पश्चिमी सैनिकों को बाहर रखने की भी शर्त।
- कीव का साफ संदेश: “डोनबास छोड़ना देश की सुरक्षा से खिलवाड़ होगा।”
- विशेषज्ञों का मानना: शर्तें अभी भी यूक्रेन के लिए अस्वीकार्य।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर शांति की उम्मीदें फिर से चर्चा में हैं। अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच चार साल बाद हुई पहली शिखर वार्ता ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह जंग अब खत्म होने की ओर बढ़ रही है। तीन घंटे चली इस बंद कमरे की बैठक में ज्यादातर समय केवल यूक्रेन युद्ध और संभावित समझौते की शर्तों पर चर्चा हुई।
पुतिन का नया प्रस्ताव
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन अब अपने पुराने रुख से थोड़ा पीछे हटे हैं। उन्होंने जून 2024 में मांग की थी कि यूक्रेन को न सिर्फ पूरा डोनबास बल्कि खेरसोन और ज़ापोरिझ्ज़िया भी रूस को सौंपना होगा। लेकिन अब उनके नए प्रस्ताव में केवल यह शर्त रखी गई है कि यूक्रेन पूर्वी डोनबास क्षेत्र पूरी तरह खाली करे। इसके बदले रूस मौजूदा मोर्चों को स्थिर रखने के लिए तैयार है।
साथ ही, पुतिन अब भी ज़ोर दे रहे हैं कि यूक्रेन को NATO में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़नी होगी। रूस चाहता है कि न केवल यूक्रेन बल्कि पूरा NATO एक कानूनी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करे, जिसमें गठबंधन को और पूर्व की ओर विस्तार से रोकने की गारंटी हो। साथ ही किसी भी शांति समझौते के तहत पश्चिमी सैनिकों की तैनाती पर रोक की भी शर्त रखी गई है।
कीव का कड़ा जवाब
दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने दोहराया कि डोनबास क्षेत्र देश की “रक्षात्मक दीवार” है और इसे छोड़ना यूक्रेन की सुरक्षा से समझौता होगा। उन्होंने साफ कहा, “अगर हम पूर्व से पीछे हट गए, तो यह हमारे अस्तित्व के लिए खतरा होगा।”
यूक्रेन के संविधान में NATO सदस्यता एक रणनीतिक लक्ष्य के रूप में दर्ज है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूस को यह अधिकार नहीं है कि वह तय करे यूक्रेन किस संगठन में शामिल होगा या नहीं।
अमेरिका और यूरोप का रुख
व्हाइट हाउस और NATO ने फिलहाल इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें पुतिन की “शांति की इच्छा” पर शक है।
विशेषज्ञों का भी कहना है कि डोनबास छोड़ने जैसी शर्तें यूक्रेन के लिए राजनीतिक और रणनीतिक रूप से अस्वीकार्य हैं। RAND थिंक टैंक के शोधकर्ता सैमुअल चारप के अनुसार, यह प्रस्ताव शायद ट्रंप के सामने “शांति का प्रदर्शन” करने का प्रयास है, न कि वास्तविक समझौते की गंभीर कोशिश।
आगे की राह
ट्रंप ने खुद को “शांति राष्ट्रपति” के रूप में स्थापित करने की मंशा जताई है और कहा है कि वह ज़ेलेंस्की और पुतिन की सीधी मुलाकात कराने की कोशिश करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या कीव और मॉस्को वास्तव में एक साझा ज़मीन पर आ पाएंगे या यह जंग और लंबी खिंचेगी।