विदेश मंत्रालय ने साफ कहा—भारत में मतदाता टर्नआउट के लिए कोई अमेरिकी फंडिंग नहीं, यह राशि बांग्लादेश को गई थी।
मुख्य तथ्य
- विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत को मतदाता टर्नआउट के लिए USAID से कोई फंडिंग नहीं मिली।
- $21 मिलियन की राशि 2022 में बांग्लादेश की “Amar Vote Amar” परियोजना के लिए दी गई।
- अमेरिकी DOGE और ट्रंप ने दावा किया था कि यह पैसा भारत आया।
- MEA ने अमेरिकी दूतावास से पिछले 10 साल की सभी USAID परियोजनाओं का ब्यौरा मांगा।
- अमेरिकी दूतावास ने बताया—15 अगस्त 2025 तक भारत में सभी USAID संचालन बंद होंगे।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका की ओर से “मतदाता टर्नआउट” के नाम पर किसी भी प्रकार की फंडिंग भारत में नहीं हुई। विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को राज्यसभा में लिखित जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका की विकास एजेंसी USAID ने पिछले दस वर्षों में इस शीर्षक के तहत कोई राशि भारत को नहीं दी।
विवाद की शुरुआत
दरअसल, 16 फरवरी को अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने घोषणा की थी कि उसने कई USAID फंडिंग को रद्द कर दिया है। इसमें $21 मिलियन की राशि “भारत में मतदाता टर्नआउट” परियोजना के लिए भी बताई गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बार-बार इस दावे को दोहराया। इसके बाद भारत में राजनीतिक विवाद तेज हो गया और सत्तारूढ़ बीजेपी ने कांग्रेस पर बाहरी हस्तक्षेप का आरोप लगाया।
सच्चाई क्या है?
हालांकि, एक रिपोर्ट ने इस दावे पर सवाल उठाए। रिपोर्ट के अनुसार, यह $21 मिलियन की राशि वास्तव में जुलाई 2022 में बांग्लादेश की परियोजना Amar Vote Amar (My Vote is Mine) के लिए स्वीकृत की गई थी। इसका उद्देश्य 2024 के बांग्लादेश चुनावों से पहले युवाओं और छात्रों में राजनीतिक और नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना था।
विदेश मंत्रालय ने 28 फरवरी को अमेरिकी दूतावास से इस मामले में विस्तृत जानकारी मांगी। इसके जवाब में दूतावास ने 2 जुलाई को 2014 से 2024 तक के सभी USAID प्रोजेक्ट्स का डेटा साझा किया और साफ लिखा कि “भारत में मतदाता टर्नआउट के लिए $21 मिलियन की कोई फंडिंग नहीं हुई और न ही ऐसी कोई गतिविधि चलाई गई।”
आगे का घटनाक्रम
इसके अलावा, अमेरिकी दूतावास ने 29 जुलाई को भारत सरकार को सूचित किया कि वह 15 अगस्त 2025 तक सभी USAID कार्यक्रमों को भारत में समाप्त कर देगा। 11 अगस्त को एक और पत्र में यह भी बताया गया कि भारत सरकार के साथ हुए सातों साझेदारी समझौते उसी तारीख से बंद हो जाएंगे।
नतीजा
यह विवाद दिखाता है कि किस तरह अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और राजनीतिक दावे गलतफहमी पैदा कर सकते हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि न तो $21 मिलियन का कोई फंड यहां आया और न ही चुनावी प्रक्रिया से जुड़ा कोई कार्यक्रम USAID ने संचालित किया।