अनिल अंबानी के घर CBI का छापा, 2,000 करोड़ लोन घोटाले की जांच तेज

newsdaynight
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मुंबई स्थित आवास पर सुबह से तलाशी, हाल ही में ED ने भी मारे थे छापे; 2,000 करोड़ के लोन मामले में उठी नई परतें

मुख्य तथ्य

  • CBI ने अनिल अंबानी के मुंबई आवास पर 2,000 करोड़ के लोन घोटाले में छापा मारा।
  • SBI ने इस खाते को जून 2025 में फर्जी घोषित कर RBI को भेजी थी रिपोर्ट।
  • ED पहले ही ओडिशा, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई में 3,000 करोड़ लोन केस में छापेमारी कर चुका है।
  • जांच एजेंसियों को संदेह, लोन फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर और बैंक अधिकारियों को रिश्वत दी गई।
  • तलाशी के दौरान अनिल और उनका परिवार घर पर मौजूद रहे।


रिलायंस समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल अंबानी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ताज़ा घटनाक्रम में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मुंबई स्थित उनके सीविंड आवास पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई कथित 2,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है।

क्यों हुई छापेमारी?

अभी तक CBI की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, यह मामला भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा दिए गए 2,000 करोड़ रुपये के लोन से जुड़ा है। 13 जून 2025 को SBI ने इस खाते को फर्जी घोषित कर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को रिपोर्ट भेजी थी। इसके बाद शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हुई और आज सुबह CBI की टीम ने छापा मारा।

सुबह से जारी तलाशी

सूत्रों के अनुसार, सुबह करीब 7 बजे CBI अधिकारी अनिल अंबानी के आवास पहुंचे। 7–8 अधिकारियों की टीम परिसर की तलाशी ले रही है। इस दौरान अनिल अंबानी और उनका परिवार भी घर पर मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, छापेमारी केवल आवास तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य ठिकानों पर भी कार्रवाई चल रही है।

ED की कार्रवाई भी जारी

यह पहली बार नहीं है जब अनिल अंबानी पर कार्रवाई हुई हो। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी। 31 जुलाई को ED ने भुवनेश्वर में 3 और कोलकाता में 1 ठिकाने पर छापा मारा था। ये मामला फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा हुआ बताया गया।

इससे पहले 24 जुलाई को भी ED ने मुंबई और दिल्ली सहित 50 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई कथित 3,000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले से जुड़ी थी।

लोन घोटाले में क्या आरोप हैं?

ED की शुरुआती जांच में सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच रिलायंस समूह की कंपनियों को यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ का लोन मिला था। एजेंसी को संदेह है कि इन पैसों को फर्जी कंपनियों और समूह की अन्य इकाइयों में ट्रांसफर किया गया। इसके अलावा, यह भी आरोप है कि लोन जारी करने से पहले यस बैंक के प्रवर्तकों से जुड़ी संस्थाओं को एक बड़ी रकम दी गई थी, जिसे संभावित रिश्वत माना जा रहा है।

इन घटनाक्रमों से साफ है कि अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर जांच एजेंसियों का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। अब देखना होगा कि CBI और ED की इन कार्रवाइयों से आगे क्या बड़ा खुलासा होता है।

 

 

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