ट्रंप ने फेड गवर्नर लिसा कुक को हटाया, बंधक घोटाले का आरोप

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ट्रंप ने फेड गवर्नर लिसा कुक को हटाया

अभूतपूर्व कदम से फेड की स्वतंत्रता पर सवाल, कानूनी टकराव की आशंका


मुख्य तथ्य

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिज़र्व गवर्नर लिसा कुक को पद से हटाया।
  • आरोप: 2021 में दो घरों के लिए प्राथमिक निवास दिखाकर बंधक ऋण लेने की अनियमितता।
  • कुक, जो 2022 में जो बाइडेन द्वारा नियुक्त हुई थीं, ने आरोपों को खारिज किया।
  • कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यह “फॉर कॉज़” हटाने की परिभाषा से मेल नहीं खाता।
  • फैसले से अमेरिकी मौद्रिक नीति की स्वतंत्रता और बाजार स्थिरता पर असर पड़ सकता है।

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक चौंकाने वाले कदम में फेडरल रिज़र्व गवर्नर लिसा कुक को उनके पद से हटा दिया। ट्रंप का आरोप है कि कुक ने 2021 में मिशिगन और जॉर्जिया में दो संपत्तियों के लिए बंधक ऋण लेते समय दोनों को “प्राथमिक निवास” के रूप में दिखाया, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी हुई। यह फैसला अमेरिकी मौद्रिक नीति की स्वतंत्रता और राष्ट्रपति की शक्तियों पर नए सवाल खड़े कर रहा है।

लिसा कुक, जो पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला थीं जिन्हें फेड बोर्ड में नियुक्त किया गया, 2022 में पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की सिफारिश पर आई थीं। उनका कार्यकाल 2038 तक का था। लेकिन ट्रंप ने एक पत्र जारी कर कहा कि कुक ने “धोखाधड़ी और आपराधिक आचरण” किया है और उनकी “ईमानदारी और क्षमता” पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता।

विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति का यह कदम अमेरिकी इतिहास में अभूतपूर्व है। अब तक किसी भी राष्ट्रपति ने फेड गवर्नर को हटाने की कोशिश नहीं की थी, क्योंकि फेड को स्वतंत्र संस्था माना जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के विद्वान पीटर कॉन्टी-ब्राउन का कहना है कि कुक के ये लेन-देन उनके पद पर नियुक्त होने से पहले के थे और सीनेट ने उस समय उनकी जांच भी की थी। ऐसे में उन्हें “फॉर कॉज़” आधार पर हटाना मौद्रिक स्वतंत्रता की अवधारणा के विपरीत है।

कुक ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था, “मैं किसी ट्वीट पर उठाए गए सवालों के कारण इस्तीफा नहीं दूँगी। मैं तथ्यों के साथ सही जवाब दूँगी।” हालांकि, अब उन्हें कानूनी चुनौती के जरिये ही वापसी का रास्ता खोजना होगा। अमेरिकी इतिहास बताता है कि जब भी स्वतंत्र एजेंसियों के प्रमुखों ने राष्ट्रपति ट्रंप के ऐसे फैसलों को चुनौती दी है, तो उन्हें लंबी और महंगी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी है।

फेडरल रिज़र्व की अगली बैठक 16–17 सितंबर को होनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ेगी। ट्रेजरी बॉन्ड मार्केट ने भी तुरंत प्रतिक्रिया दी—शॉर्ट-टर्म यील्ड्स गिरीं जबकि लॉन्ग-टर्म यील्ड्स बढ़ीं। इसका संकेत है कि ब्याज दरों में कमी की संभावना है, लेकिन मुद्रास्फीति नियंत्रण पर भरोसा कमज़ोर हो सकता है।

इस विवाद का एक और पहलू राजनीतिक भी है। आलोचकों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन विविधता और समावेशन कार्यक्रमों को लगातार निशाना बना रहा है, और कुक का मामला भी उसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

अब सवाल यह है कि क्या लिसा कुक अदालत का रुख करेंगी और क्या यह मामला अमेरिकी मौद्रिक नीति की स्वतंत्रता के लिए मिसाल बनेगा।

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