मुख्य तथ्य
- 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी को युवराज से ऊपर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया था।
- सचिन तेंदुलकर ने बताया इसके पीछे थे दो बड़े कारण।
- पहला कारण: लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन से श्रीलंकाई ऑफ स्पिनर्स पर दबाव डालना।
- दूसरा कारण: धोनी को मुरलीधरन के खिलाफ खेलने का अनुभव था, क्योंकि दोनों CSK में साथ रहे थे।
- धोनी ने 91* रन बनाकर भारत को 28 साल बाद विश्व कप जिताया।
भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे यादगार पलों में से एक 2011 वर्ल्ड कप फाइनल आज भी क्रिकेट फैंस की जुबान पर है। श्रीलंका के खिलाफ खेले गए उस मुकाबले में जब टीम इंडिया मुश्किल में थी, तो अचानक कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को युवराज सिंह से ऊपर बल्लेबाजी के लिए भेजने का फैसला लिया गया। यह फैसला उस समय सभी के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि युवराज पूरे टूर्नामेंट में शानदार फॉर्म में थे। अब इस रहस्य से खुद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने पर्दा उठाया है।
सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में रेडिट (Reddit) पर आयोजित एक AMA (Ask Me Anything) सत्र के दौरान फैंस के सवालों के जवाब दिए। एक फैन ने जब उनसे पूछा कि आखिर कोच गैरी कर्स्टन और टीम मैनेजमेंट ने धोनी को युवराज से पहले क्यों भेजा, तो तेंदुलकर ने साफ-साफ बताया कि इसके पीछे दो बड़ी रणनीतिक वजहें थीं।
तेंदुलकर ने कहा:
“दो कारण थे। पहला, लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन से श्रीलंकाई ऑफ स्पिनर्स को परेशान करना। दूसरा, मुरलीधरन पहले CSK के लिए खेल चुके थे और धोनी तीन साल तक उनके साथ नेट्स में खेल चुके थे। इस कारण धोनी को मुरलीधरन की गेंदबाजी का बेहतर अंदाज़ा था।”
इस फैसले ने वाकई टीम इंडिया की किस्मत बदल दी। 275 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत 114/3 पर संघर्ष कर रहा था, जब विराट कोहली (35 रन) आउट हुए। ऐसे नाजुक मौके पर धोनी क्रीज़ पर आए और गौतम गंभीर के साथ पारी को संभाला। दोनों के बीच मजबूत साझेदारी हुई, जिसने श्रीलंका की रणनीति को पूरी तरह विफल कर दिया।
धोनी ने नाबाद 91 रन (79 गेंदों) की ऐतिहासिक पारी खेली और अंत में विजयी छक्का लगाकर भारत को 28 साल बाद विश्व कप दिलाया। उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब भी मिला। यह जीत न केवल टीम इंडिया के लिए, बल्कि सचिन तेंदुलकर के लिए भी बेहद खास थी, क्योंकि यह उनका आखिरी वर्ल्ड कप था और उन्होंने पहली बार खिताब जीतने का सपना पूरा किया।
फाइनल की उस रात ने भारतीय क्रिकेट को एक नया अध्याय दिया और धोनी को क्रिकेट इतिहास के महानतम फिनिशर्स में शामिल कर दिया। अब जब तेंदुलकर ने इस फैसले के पीछे की असली वजहें बताई हैं, तो यह साफ हो गया कि यह सिर्फ एक जुआ नहीं बल्कि गहरी रणनीति थी, जिसने भारत को विश्व विजेता बनाया।