जानवरों की देखभाल और कानून के पालन पर उठे सवालों के बीच वंतारा ने पारदर्शिता और करुणा से काम करने का भरोसा जताया।
मुख्य तथ्य
- सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा पर लगे आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय SIT बनाई।
- जांच दल की अध्यक्षता पूर्व जज जे. चेलमेश्वर करेंगे।
- आरोप: जानवरों की खरीद-फरोख्त और कानून पालन में अनियमितताएं।
- वंतारा ने बयान जारी कर कहा – “पारदर्शिता और पशु कल्याण हमारी प्राथमिकता है।”
- अदालत ने साफ किया कि आदेश का मतलब आरोपों पर राय देना नहीं है।
रिलायंस फाउंडेशन के ज़ूलॉजिकल रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर वंतारा ने सोमवार को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) को पूरा सहयोग देगा। अदालत ने यह SIT उन शिकायतों और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बनाई है, जिनमें आरोप लगाया गया था कि वंतारा ने जानवरों की खरीद-फरोख्त और आयात-निर्यात से जुड़े कानूनों का सही तरीके से पालन नहीं किया।
सोमवार को जस्टिस पंकज मित्तल और पी. बी. वराले की बेंच ने चार सदस्यीय SIT गठित की, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जे. चेलमेश्वर करेंगे। जांच दल का मकसद वंतारा द्वारा भारत और विदेश से खासकर हाथियों के अधिग्रहण, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, चिड़ियाघर से जुड़े नियम, CITES (इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन ट्रेड ऑफ एंडेंजर्ड स्पीशीज़ ऑफ फ्लोरा एंड फौना) और आयात-निर्यात कानूनों के अनुपालन की जांच करना है।
वंतारा ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का utmost regard के साथ स्वागत करते हैं। वंतारा पारदर्शिता, करुणा और कानून के पूर्ण अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी प्राथमिकता हमेशा पशुओं का कल्याण और उनकी देखभाल रही है।”
बयान में यह भी कहा गया कि केंद्र का मिशन बचाव, पुनर्वास और पशुओं की देखभाल पर केंद्रित है और SIT जांच में वे हर संभव सहयोग करेंगे। साथ ही वंतारा ने आग्रह किया कि जांच प्रक्रिया को बिना किसी अटकल के आगे बढ़ने दिया जाए, ताकि इसका सीधा लाभ उन जानवरों को मिल सके जिनकी वे सेवा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि दो जनहित याचिकाओं (PILs) में वंतारा के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई थीं। इनमें कहा गया था कि जानवरों की खरीद, विशेषकर हाथियों के मामले में, कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा कुछ NGO और वन्यजीव संगठनों ने भी सोशल मीडिया और रिपोर्ट्स के आधार पर सवाल उठाए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि SIT का गठन इस बात का प्रमाण नहीं है कि अदालत ने वंतारा या किसी अन्य संस्था के खिलाफ कोई संदेह जताया है। आदेश में कहा गया कि अदालत ने आरोपों की सच्चाई पर कोई राय नहीं दी है और यह जांच पूरी तरह निष्पक्ष तरीके से होगी।
इस बीच, वंतारा ने एक बार फिर दोहराया कि उनकी गतिविधियों का केंद्रबिंदु हमेशा से पशुओं का कल्याण रहा है। संस्था ने भरोसा दिलाया कि उनके काम का मूल उद्देश्य घायल और लावारिस जानवरों का बचाव और उन्हें सुरक्षित वातावरण देना है।