अमेरिका के 50% टैरिफ झटके के बीच सरकार का फैसला, निर्यातकों को दी गई लंबी breathing space
मुख्य तथ्य
- वित्त मंत्रालय ने कपास आयात शुल्क माफी 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाई।
- पहले यह छूट सिर्फ़ 30 सितंबर तक लागू थी।
- अमेरिका द्वारा 50% आयात शुल्क बढ़ाने के बाद उद्योग पर दबाव।
- AEPC ने पीएम को लिखा पत्र, निर्यातकों को भारी नुकसान की चेतावनी।
- कपड़ा उद्योग में लगभग 5 करोड़ लोगों को सीधा रोजगार।
अमेरिका द्वारा भारतीय परिधान और वस्त्र निर्यात पर 50% आयात शुल्क लगाने के ठीक एक दिन बाद, केंद्र सरकार ने कपड़ा उद्योग को राहत देते हुए कपास पर आयात शुल्क माफी की अवधि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि इस कदम से भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर को लंबे समय के लिए कपास आयात ऑर्डर देने में मदद मिलेगी।
सरकार ने इससे पहले 19 अगस्त से 30 सितंबर तक अस्थायी रूप से कपास आयात शुल्क में छूट दी थी। लेकिन उद्योग जगत का मानना था कि यह अवधि बहुत कम है और सिर्फ़ ट्रांज़िट में चल रही खेपों तक ही फायदा सीमित रह जाएगा।
वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया, “भारतीय वस्त्र क्षेत्र में कपास की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक आयात शुल्क माफी दी थी। अब निर्यातकों को अतिरिक्त सहयोग देने के लिए इस छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।”
किसानों और उद्योग पर असर
सरकार का यह फैसला वस्त्र उद्योग के लिए राहत भले लेकर आया हो, लेकिन किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अक्टूबर से मार्च तक का समय कपास तुड़ाई का पीक सीजन होता है। ऐसे में शुल्क माफी के कारण बाजार में आयातित कपास की आपूर्ति बढ़ सकती है, जिससे किसानों की आय पर दबाव पड़ सकता है।
दरअसल, सरकार ने मई 2025 में कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सबसे ज्यादा बढ़ाया था। बावजूद इसके, उत्पादन में लगातार गिरावट देखी जा रही है। यही कारण है कि उद्योग लंबे समय से आयात शुल्क में छूट की मांग कर रहा था।
अमेरिकी टैरिफ और निर्यातक संकट
अमेरिका के हालिया फैसले से भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लगा है। एपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चिंता जताई कि दोगुने शुल्क से निर्यातक ऑर्डर कैंसिल होने और भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा, “हम मानते हैं कि भारत का सिद्धांत आधारित और संतुलित रुख लंबी अवधि में देश की आर्थिक मजबूती के लिए फायदेमंद होगा। लेकिन फिलहाल उद्योग को नुकसान हो रहा है और हम नए बाज़ार तलाश रहे हैं।”
वैश्विक परिदृश्य
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, FY2025 में भारत के 1.20 अरब डॉलर के कपास आयात का अधिकांश हिस्सा 28 मिमी या उससे अधिक स्टेपल लेंथ का था। इसमें सबसे बड़ा लाभ अमेरिका को मिलेगा।
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) के विश्लेषण के अनुसार, जून 2025 में अमेरिका के वस्त्र आयात वियतनाम और बांग्लादेश से क्रमशः 26.2% और 44.6% बढ़ गए, जबकि भारत की वृद्धि दर सिर्फ़ 3.3% रही। इससे साफ है कि भारत प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहा है।
भारत का लक्ष्य
भारत का वस्त्र क्षेत्र मुख्य रूप से कपास पर आधारित है और यह लगभग 3.5 करोड़ लोगों को सीधा रोजगार देता है। कपास मूल्य श्रृंखला देश के कुल टेक्सटाइल निर्यात का लगभग 80% हिस्सा है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक टेक्सटाइल और परिधान निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।


