दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- सच तक पहुँचने के लिए सीमित निजता हनन स्वीकार्य
मुख्य तथ्य
- दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्नी को पति और कथित प्रेमिका के CDR और लोकेशन डिटेल्स दिलाने का आदेश बरकरार रखा।
- पति और प्रेमिका ने निजता के उल्लंघन का हवाला देकर आदेश को चुनौती दी थी।
- अदालत ने कहा कि ये रिकॉर्ड “न्यूट्रल बिज़नेस डेटा” हैं, जो सबूत के तौर पर अहम हैं।
- पत्नी ने 2023 में व्यभिचार और क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी।
- सुप्रीम कोर्ट का शारदा बनाम धर्मपाल (2003) केस इस फैसले का आधार बना।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी अपने पति और उसकी कथित प्रेमिका (paramour) के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और लोकेशन डिटेल्स की मांग कर सकती है। अदालत ने माना कि ये न्यूट्रल ऑब्जेक्टिव रिकॉर्ड हैं, जो व्यभिचार जैसे गंभीर आरोपों की जांच में सहायक हो सकते हैं।
मामला क्या है?
इस मामले में पति और कथित प्रेमिका ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर परिवार अदालत के 29 अप्रैल 2025 के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में पत्नी की याचिका स्वीकार करते हुए पुलिस और टेलीकॉम कंपनियों को 2020 से अब तक के कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन डिटेल्स सुरक्षित रखने और उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।
पत्नी ने तलाक की अर्जी में आरोप लगाया था कि पति का विवाहेतर संबंध है और दोनों कई बार साथ यात्रा भी कर चुके हैं। उसने अदालत में कहा कि इन रिकॉर्ड्स से उसका दावा मजबूत होगा।
निजता बनाम सच तक पहुँचना
कथित प्रेमिका ने दलील दी कि यह आदेश उसकी निजता का हनन करता है और पत्नी ने यह कदम केवल उसे परेशान करने के इरादे से उठाया है। वहीं पति का कहना था कि केवल कॉल डिटेल्स या टावर लोकेशन से व्यभिचार साबित नहीं किया जा सकता।
लेकिन न्यायमूर्ति अनिल क्षेतरपाल और हरिश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे डेटा “सट्टा लगाने या मछली पकड़ने जैसी कवायद” नहीं हैं, बल्कि सीधे-सीधे पत्नी की याचिका से जुड़े हुए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि कॉल डिटेल्स में बातचीत की सामग्री का खुलासा नहीं होगा, बल्कि सिर्फ नंबर और लोकेशन संबंधी तथ्य मिलेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का हवाला
हाईकोर्ट ने अपने 32 पन्नों के फैसले में 2003 के सुप्रीम कोर्ट के शारदा बनाम धर्मपाल मामले का जिक्र किया। उस समय भी अदालत ने कहा था कि matrimonial disputes (वैवाहिक विवादों) में सच तक पहुँचने के लिए निजता में सीमित हस्तक्षेप स्वीकार्य है।
अदालत ने कहा, “सीडीआर और लोकेशन डेटा वस्तुनिष्ठ रिकॉर्ड हैं, जो सबूत के तौर पर सहायक हो सकते हैं और न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत बनाते हैं।”
वैवाहिक विवादों के लिए नजीर
यह फैसला न केवल इस मामले के लिए, बल्कि अन्य matrimonial disputes में भी महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है। क्योंकि यह साफ करता है कि यदि पति-पत्नी में व्यभिचार या अविश्वास जैसे गंभीर आरोप लगे हों, तो अदालत “सीमित निजता हस्तक्षेप” की अनुमति दे सकती है, ताकि सच सामने आ सके।