अमेरिका संग तनाव के बीच तिआनजिन में रणनीतिक बातचीत पर सबकी नजरें
मुख्य तथ्य
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे।
- SCO समिट में हिस्सा लेने के लिए तिआनजिन शहर का दौरा।
- शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात तय।
- अमेरिका संग बढ़ते तनाव के बीच भारत-चीन रिश्तों पर फोकस।
- सीमा विवाद, आतंकवाद और व्यापार पर अहम चर्चाएं होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे हैं। इस बार उनका दौरा केवल औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में हिस्सा लेने के लिए तिआनजिन शहर पहुंचे हैं। इस दौरान उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होगी।
अमेरिका संग तनाव के बीच अहम दौरा
यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास आ चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय सामानों पर डबल टैरिफ लगा दिया है, साथ ही रूसी तेल खरीद पर 25% का अतिरिक्त शुल्क भी लगाया है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, मोदी की यह यात्रा चीन और रूस की तरफ किसी झुकाव का संकेत नहीं है, बल्कि यह बहुपक्षीय मंच पर भारत की सक्रियता को दिखाती है।
जापान से सीधे चीन पहुंचे मोदी
इससे पहले मोदी जापान में थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ मिलकर कई आर्थिक समझौते किए। जापान ने भारत में अगले 10 सालों में $68 बिलियन (करीब ₹5.6 लाख करोड़) निवेश का ऐलान किया है। इसके साथ ही दोनों देशों ने इकोनॉमिक सिक्योरिटी इनिशिएटिव शुरू किया, जिसका मकसद अमेरिका की व्यापार नीतियों से पैदा हुई अनिश्चितताओं से निपटना है।
भारत-चीन रिश्तों में नई शुरुआत?
रविवार को मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात होगी। माना जा रहा है कि यह बैठक 2020 में LAC पर हुए तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश है। बातचीत में सीमा पर शांति, सीधी उड़ानों की बहाली और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हो सकती है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत आए थे और कई समझौतों पर सहमति बनी थी, जिससे उम्मीदें और बढ़ गई हैं।
SCO समिट में क्या होगा खास
SCO समिट के दौरान मोदी की मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी हो सकती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी। वहीं सोमवार को मोदी की मुलाकात रूसी राष्ट्रपति पुतिन से होगी, जिसमें रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी दबाव, भारत-रूस रक्षा सहयोग और पुतिन के दिसंबर में भारत दौरे की तैयारी जैसे मुद्दे चर्चा में रहेंगे।
आतंकवाद पर भारत की सख्ती
भारत चाहता है कि SCO घोषणापत्र में सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा हो। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने कहा है कि भारत अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश देने की कोशिश करेगा। हालांकि SCO का चार्टर द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं देता, लेकिन भारत लगातार इस मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाता रहा है।