भारत-जापान समझौता: सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और रणनीति में नए आयाम

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भारत-जापान सुरक्षा और आर्थिक समझौता

अमेरिकी टैरिफ और चीन की चालों के बीच मोदी-इशिबा ने साझेदारी को दी नई दिशा

मुख्य तथ्य

  • टोक्यो में पीएम मोदी और जापानी पीएम शिगेरु इशिबा की मुलाकात।
  • रक्षा, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और लोगों के बीच संपर्क पर 15 बिंदुओं वाला समझौता।
  • अमेरिका-भारत रिश्तों में टैरिफ विवाद के चलते तनाव।
  • चीन-भारत रिश्तों में अस्थायी सुधार की कोशिशें।
  • जापान-भारत साझेदारी को Quad और “Act East” नीति से मजबूती।

जापान और भारत के बीच शुक्रवार को हुआ नया समझौता एशियाई भू-राजनीति में एक अहम कदम माना जा रहा है। यह समझौता सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि सुरक्षा, आर्थिक और रणनीतिक सहयोग के स्तर पर गहराई से जुड़ने की दिशा में है।

टोक्यो में प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने साझेदारी की मजबूती पर जोर दिया। इशिबा ने कहा, हमारे बीच एक-दूसरे की ताकतों को साझा कर संयुक्त समाधान बनाने की क्षमता है, और यही दोनों देशों के हित में है।” मोदी ने जवाब में कहा, मजबूत लोकतंत्र स्वाभाविक साझेदार हैं। शांति, प्रगति और समृद्धि का हमारा साझा सपना हमें जोड़ता है।”

15 बिंदुओं वाला रोडमैप

दोनों देशों की सरकारों ने जो outcome document जारी किया, उसमें कम से कम 15 प्रमुख बिंदु शामिल हैं। इनमें रक्षा और सुरक्षा सहयोग, आर्थिक साझेदारी और लोगों के बीच संपर्क को प्राथमिकता दी गई है। बयान में खासतौर पर दीर्घकालिक साझेदारी को “अगली पीढ़ी की सुरक्षा और समृद्धि की साझेदारी” बताया गया है।

अमेरिका-भारत रिश्तों में तनाव

यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास आई हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 50% टैरिफ लगा दिया है, जो चीन से आने वाले सामान पर लगे 30% टैरिफ से भी अधिक है। इसकी वजह भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदना बताया गया। भारत ने इन कदमों को “अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया।

चीन की चालें और भारत की रणनीति

उधर, चीन भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश करता दिख रहा है। हाल ही में भारतीय और चीनी विदेश मंत्रियों की मुलाकात में कश्मीर क्षेत्र में शांति बनाए रखने की बात कही गई। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रुख केवल मोदी की चीन यात्रा से पहले का अस्थायी कदम है।

जापान इस स्थिति में भारत को और करीब लाना चाहता है ताकि Quad—जिसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं—मजबूत बना रहे। चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच टोक्यो नई दिल्ली को एक विश्वसनीय साझेदार मान रहा है।

आसान साझेदार’ जापान

भारत भी जापान के साथ रिश्तों को अहम मानता है। मोदी सरकार की “Act East Policy” जापान को एक स्वाभाविक सहयोगी के रूप में देखती है। न सीमा विवाद है, न कोई ऐतिहासिक तनाव। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी साथ हैं।

हालांकि, भारत अब भी “रणनीतिक स्वायत्तता” की नीति पर चलता है। यानी अमेरिका, यूरोप, रूस या चीन किसी भी ध्रुव पर पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहता। SCO समिट के दौरान मोदी का रूस और चीन के नेताओं से मिलना इसी नीति का हिस्सा है।

जापानी अधिकारियों का कहना है कि भारत के साथ केवल “साझा दृष्टिकोण” ही नहीं, बल्कि ठोस सहयोग लागू करना भी ज़रूरी है ताकि यह साझेदारी लंबे समय तक स्थायी रह सके।

SOURCES:JapanNews
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