पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों पर उठाए सवाल
मुख्य तथ्य
- जैक सुलिवन ने कहा, ट्रंप की “ट्रेड ऑफेंसिव” नीति भारत को चीन के करीब ले जा रही है।
- मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे, जहां शी जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात करेंगे।
- डेमोक्रेट्स ने भी ट्रंप पर भारत को टारगेट करने और रिश्ते बिगाड़ने का आरोप लगाया।
- AJC ने व्हाइट हाउस सलाहकार के “मोदी का युद्ध” बयान की आलोचना की।
- विशेषज्ञों का कहना है कि भारत पर दबाव डालकर अमेरिका अपने ही रिश्ते कमजोर कर रहा है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत विरोधी व्यापार नीतियों की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन का “मासिव ट्रेड ऑफेंसिव” नई दिल्ली को बीजिंग की ओर धकेल रहा है। यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन की यात्रा पर पहुंचे हैं, जहां वे SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे।
सुलिवन ने द बुलवार्क पॉडकास्ट में कहा कि आज एशियाई देशों की नजर में अमेरिका अविश्वसनीय साथी बन गया है। उन्होंने कहा, “चीन अब खुद को जिम्मेदार वैश्विक खिलाड़ी की तरह प्रस्तुत कर रहा है, जबकि अमेरिका की ब्रांड वैल्यू नीचे गिर चुकी है।”
भारत-अमेरिका रिश्तों में बढ़ी दरार
सुलिवन के मुताबिक, जब बाइडन प्रशासन भारत के साथ स्थायी रिश्ते बनाने की कोशिश कर रहा था, उसी दौरान ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगा दिए। इसके चलते भारत अब यह सोचने पर मजबूर हो रहा है कि अगर अमेरिका भरोसेमंद नहीं है तो चीन के साथ तालमेल बैठाना जरूरी हो सकता है।
डेमोक्रेट्स का हमला
सिर्फ सुलिवन ही नहीं, अमेरिकी संसद की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमिटी के डेमोक्रेट्स ने भी ट्रंप पर भारत को अनुचित रूप से निशाना बनाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि चीन, जो रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात करता है, उस पर कोई पेनल्टी नहीं लगाई गई। इस वजह से यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के बजाय सीधे भारत को दबाव में लाने के लिए उठाया गया।
“मोदी का युद्ध” बयान पर विवाद
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने रूस-यूक्रेन युद्ध को “मोदी का युद्ध” करार दिया। इस बयान पर अमेरिकन ज्यूइश कमिटी (AJC) ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि भारत को इस तरह जिम्मेदार ठहराना अनुचित है। AJC ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक और रणनीतिक साझेदार है, और समय आ गया है कि अमेरिका-भारत रिश्तों को रीसेट किया जाए।”
आगे की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत पर अतिरिक्त दबाव बनाकर अमेरिका अपने ही रणनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। भारत, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का अहम साझेदार माना जाता है, अब चीन और रूस के साथ नजदीकियां बढ़ाने पर मजबूर होता दिख रहा है।