अफगानिस्तान भूकंप: मौत का आंकड़ा 1,400 पार, बचाव कार्य जारी

Rahul Balodi
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अफगानिस्तान भूकंप: मौत का आंकड़ा 1,400 पार

मुख्य तथ्य

  • भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई।
  • कुनार प्रांत में सबसे ज्यादा 1,411 लोगों की मौत और 3,100 घायल।
  • नंगरहार प्रांत में भी दर्जनों मौतें और सैकड़ों घायल।
  • संयुक्त राष्ट्र ने $5 मिलियन की तत्काल सहायता की घोषणा की।
  • तालिबान शासन के बाद विदेशी मदद में आई भारी कमी।

अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप की भयावह त्रासदी से जूझ रहा है। रविवार देर रात आए 6.0 तीव्रता वाले इस भूकंप ने पूर्वी अफगानिस्तान के कुनार और नंगरहार प्रांतों में भारी तबाही मचा दी। तालिबान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1,400 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 3,000 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं। यह हाल के दशकों में अफगानिस्तान का सबसे घातक भूकंप साबित हो रहा है।

कुनार प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां 1,411 लोगों की मौत और 3,100 घायल दर्ज किए गए। वहीं नंगरहार प्रांत में भी दर्जनों मौतें और सैकड़ों घायलों की पुष्टि हुई है। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप की गहराई महज आठ किलोमीटर थी और इसका केंद्र जलालाबाद के पास स्थित था।

भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि मिट्टी और पत्थर से बने घर चंद सेकंडों में जमींदोज हो गए। राहतकर्मी और स्थानीय लोग मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटे हैं। कई इलाकों तक सड़कें टूटने और मार्ग अवरुद्ध होने के कारण राहत सामग्री पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। कुनार प्रांत के आपदा प्रबंधन प्रमुख एहसानुल्लाह एहसान ने बताया कि दूरदराज़ गांवों से लगातार घायल लोगों को अस्पतालों में लाने का प्रयास किया जा रहा है।

गांवों के लोग खुद हाथों से मलबा हटाकर जीवित बचे लोगों को निकाल रहे हैं। मृतकों में बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। शवों को सफेद कपड़े में लपेटकर दफनाया जा रहा है, जबकि चारों ओर मातम पसरा हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र ने इस भूकंप को “भारी मानवीय संकट” करार देते हुए चेतावनी दी है कि इससे “लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं”। महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने $5 मिलियन की तत्काल सहायता की घोषणा की और कहा कि यूएन अफगान प्रशासन के साथ मिलकर ज़रूरतें पूरी करने की दिशा में काम कर रहा है।

अफगानिस्तान पहले से ही तालिबान शासन और वैश्विक फंडिंग कटौती के कारण मानवीय संकट का सामना कर रहा है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद विदेशी मदद में भारी कमी आई है। इसके अलावा लाखों अफगान शरणार्थियों की वापसी ने स्थिति को और खराब कर दिया है।

अफगानिस्तान भूकंप-प्रवण देश है, खासकर हिंदू कुश क्षेत्र में। हाल के वर्षों में 2022 के पक्तिका और 2023 के हेरात भूकंपों में भी हजारों जानें गई थीं।

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