मुख्य तथ्य
- रूस ने भारत को ब्रेंट की तुलना में प्रति बैरल 3-4 डॉलर सस्ता तेल ऑफर किया।
- अगस्त के आखिरी हफ्ते में भारतीय रिफाइनर्स ने 1.14 करोड़ बैरल रूसी क्रूड खरीदा।
- सितंबर में भारत 10-20% ज्यादा तेल आयात करने की तैयारी में है।
- ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की।
- सस्ते तेल से भारत ने अप्रैल 2022 से जून 2025 तक करीब 17 अरब डॉलर की बचत की।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशें भारत और रूस के बीच तेल व्यापार को रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा हाल ही में लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के बावजूद भारत अब पहले से ज्यादा रूसी तेल खरीदने जा रहा है।
रूस का बढ़ता डिस्काउंट
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने भारत को सितंबर और अक्टूबर की शिपमेंट के लिए यूरल्स क्रूड तेल ब्रेंट से 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता ऑफर किया है। जुलाई में यह डिस्काउंट केवल 1 डॉलर था, जबकि कुछ हफ्ते पहले 2.50 डॉलर तक था।
भारतीय रिफाइनर्स की आक्रामक खरीद
रिपोर्ट के मुताबिक, 27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच भारतीय सरकारी और निजी रिफाइनर्स ने कुल 1.14 करोड़ बैरल रूसी क्रूड खरीदा। यह खरीद ऐसे समय में हुई जब अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 25% का अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाया था। अब सितंबर में भारत अपने रूसी तेल आयात को अगस्त की तुलना में 10 से 20% बढ़ाने की योजना बना रहा है, यानी रोजाना करीब 1.5 से 3 लाख बैरल अतिरिक्त।
अमेरिकी दबाव और भारत का पलटवार
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारत के निर्यात पर डबल टैरिफ लगाया, यह कहते हुए कि नई दिल्ली रूस की जंग को फंड कर रहा है। व्हाइट हाउस सलाहकार पीटर नवारो ने तो यहां तक कह दिया कि “रूस-यूक्रेन युद्ध अब मोदी की जंग है।” उन्होंने भारत पर रूसी तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर दोबारा बेचने का आरोप भी लगाया।
इस पर भारत ने कड़ा रुख अपनाया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि भारत का यह व्यापार न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक ऊर्जा स्थिरता के लिए जरूरी है। वहीं, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत का हर सौदा पूरी तरह पारदर्शी और वैध है।
रूस और चीन से बढ़ते रिश्ते
भारत केवल रूस ही नहीं, बल्कि चीन के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत करने के संकेत दे रहा है। हाल ही में चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस को “विशेष साझेदार” बताया और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रिश्तों को “प्रतिद्वंद्वी नहीं, साझेदार” की दिशा में ले जाने की बात कही।
भारत को बड़ा आर्थिक फायदा
2022 से पहले भारत का रूस से तेल आयात लगभग न के बराबर था। लेकिन आज यह बढ़कर कुल आयात का लगभग 40% हो चुका है। केवल अप्रैल 2022 से जून 2025 के बीच ही भारत ने सस्ते तेल से कम से कम 17 अरब डॉलर बचाए हैं। भारत लगातार कहता रहा है कि उसकी यह खरीद किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करती और पश्चिमी देशों की आलोचना को दोहरे मापदंड बताते हुए खारिज करता है।