ओणम को केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। फसल कटाई के इस पर्व को पूरे राज्य में सभी समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। यह त्योहार न केवल परंपराओं और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि महाबली राजा की उस याद को भी जीवित रखता है, जिनके स्वर्णिम शासन को लोग आज भी श्रद्धा से याद करते हैं।
मुख्य तथ्य
- ओणम को 1961 में केरल का राष्ट्रीय त्योहार घोषित किया गया।
- त्योहार 10 दिन तक चलता है, जिसमें आठम और तिरुओणम सबसे महत्वपूर्ण दिन हैं।
- ओणसद्य नामक पारंपरिक भोज में 11 से 13 व्यंजन परोसे जाते हैं।
- वल्लमकली (स्नेक बोट रेस) ओणम का सबसे आकर्षक आयोजन है।
- महिलाएं पूकलम (फूलों की रंगोली) और पारंपरिक नृत्यों से महाबली का स्वागत करती हैं।
केरल का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय पर्व ओणम हर साल अगस्त-सितंबर में धूमधाम से मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम की शुरुआत के साथ यह त्योहार शुरू होता है और पूरे 10 दिन तक चलता है। पहले दिन आठम और अंतिम दिन तिरुओणम को सबसे शुभ और खास माना जाता है।
महाबली राजा की कथा
लोककथा के अनुसार, ओणम का त्योहार असुरराज महाबली की स्मृति में मनाया जाता है। उनके शासनकाल को केरल का स्वर्ण युग कहा जाता है, जब जनता सुखी और समृद्ध थी। किंतु देवताओं ने उनकी लोकप्रियता से भयभीत होकर उनका राज समाप्त कर दिया। इसके बावजूद, महाबली के अच्छे कर्मों के कारण उन्हें यह वरदान मिला कि वे हर साल अपने लोगों से मिलने लौट सकते हैं। यही वजह है कि ओणम को महाबली के स्वागत के रूप में मनाया जाता है।
ओणसद्य: पारंपरिक भोज
ओणम का सबसे खास आकर्षण ओणसद्य है। यह एक पारंपरिक नौ-कोर्स भोज है, जिसमें 11 से 13 व्यंजन केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं। लोग फर्श पर बिछी चटाई पर बैठकर सामूहिक रूप से भोजन करते हैं। यह भोज ओणम के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को और गहरा कर देता है।
वल्लमकली: स्नेक बोट रेस
ओणम का दूसरा बड़ा आकर्षण वल्लमकली यानी स्नेक बोट रेस है। यह प्रतियोगिता पंपा नदी पर आयोजित होती है, जहां सैकड़ों नाविक लयबद्ध गीतों के बीच विशाल नावों को दौड़ाते हैं। यह नज़ारा जितना रंगीन होता है, उतना ही रोमांचक भी।
खेल, नृत्य और फूलों की सजावट
त्योहार के दौरान ओणकलिकल नामक पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है। पुरुष तलप्पंथुकली (गेंद से खेला जाने वाला खेल), अंबेय्याल (तीरंदाज़ी), कुटुकुटु और अन्य मुकाबले खेलते हैं। वहीं महिलाएं घर के आंगन में रंग-बिरंगे फूलों से पूकलम सजाती हैं और कैकोटिकली तथा थुंबी थुल्लल जैसे नृत्य प्रस्तुत करती हैं।

इसके अलावा कुम्माटिकली और पुलिकली जैसे लोकनृत्य ओणम के उत्सव को और जीवंत बना देते हैं। यही कारण है कि 1961 में इसे आधिकारिक रूप से केरल का राष्ट्रीय त्योहार घोषित किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
भारत सरकार भी इस जीवंत त्योहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देती है। ओणम के दौरान ‘टूरिस्ट वीक’ मनाया जाता है, जिससे हजारों विदेशी और घरेलू पर्यटक केरल पहुंचते हैं और इस अनोखे पर्व का हिस्सा बनते हैं।