एशिया कप फाइनल में चमकी भारतीय हॉकी

सुपर 4 में कोरिया के खिलाफ जूझी भारतीय टीम ने फाइनल में गजब का तालमेल दिखाकर 4-1 से जीत हासिल की।

newsdaynight
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भारतीय हॉकी ने एशिया कप फाइनल 4-1 से जीता

भारतीय हॉकी टीम ने एशिया कप के फाइनल में शानदार खेल दिखाते हुए दक्षिण कोरिया को 4-1 से हराया। टीम की जीत का राज़ सिर्फ स्ट्राइकिंग सर्कल में गोल करना नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के बीच मजबूत कनेक्शन रहा। पूर्व कप्तान सरदार सिंह से लेकर मौजूदा कोच क्रेग फुल्टन तक, सभी ने इस तालमेल को टीम की सबसे बड़ी ताकत बताया है।

मुख्य तथ्य

  • भारत ने फाइनल में दक्षिण कोरिया को 4-1 से हराया।
  • सरदार सिंह ने कहा – “हॉकी कनेक्शन का खेल है।”
  • दिलप्रीत सिंह ने फाइनल में दो शानदार गोल किए।
  • पिछले तीन सालों में भारत के कुल गोलों की संख्या घटी है।
  • कोच फुल्टन ने टीम की कूलनेस और कॉम्पोज़र की सराहना की।

पूर्व कप्तान सरदार सिंह हमेशा कहा करते थे कि हॉकी का खेल असल में कनेक्शन्स का खेल है। मैदान पर पास देने से पहले ही खिलाड़ी एक-दूसरे की नज़र, इशारों और मूवमेंट को पढ़ लेते हैं। यही चीज़ भारत की जीत का सबसे बड़ा कारण बनी।

फाइनल में टीम ने कोरिया के खिलाफ गजब का तालमेल दिखाया। पहला गोल हरमनप्रीत सिंह के शानदार पास से हुआ, जिसे सुखजीत सिंह ने रिवर्स हिट में बदल दिया। वहीं, दूसरा और तीसरा गोल तो ट्रेनिंग ग्राउंड से निकली रणनीति की तरह लगे। संजय ने बेसलाइन से दिलप्रीत को पास दिया, जिसने मौके पर पहुंचकर गेंद को गोलपोस्ट में पहुंचा दिया। तीसरे क्वार्टर में भी दिलप्रीत ने सही टाइमिंग और पोज़िशनिंग के दम पर अपना दूसरा गोल किया।

दिलप्रीत, जो कजाखस्तान जैसी कमजोर टीम के खिलाफ जूझते दिखे थे, फाइनल में हीरो बन गए। उन्होंने खुद कहा – सही समय, सही पोज़िशन और अनसेल्फ़िश खेल ही हमारी जीत की कुंजी है।”

गोलों की गिरती संख्या

अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोलों की संख्या पिछले तीन वर्षों में लगातार गिरी है। 2023 में 36 मैचों में 160 गोल करने वाली टीम ने 2024 में अब तक सिर्फ 23 मैचों में 73 गोल किए हैं। हालांकि प्रतिशत के लिहाज़ से प्रदर्शन बेहतर है, लेकिन फील्ड गोल की कमी साफ दिखती है।

कोच सिद्धार्थ पांडे का मानना है कि आजकल वन-ऑन-वन डिफेंडिंग बेहद मजबूत हो चुकी है। ऐसे में सर्कल एंट्री के बाद टीम अधिकतर पेनल्टी कॉर्नर कमाने की कोशिश करती है। यही वजह है कि भारत अक्सर हरमनप्रीत सिंह की ड्रैग-फ्लिक्स पर निर्भर हो जाता है।

कोच का फोकस – कॉम्पोज़र

कोच क्रेग फुल्टन ने कहा कि गोल करने का दबाव खिलाड़ियों को जल्दबाजी में डाल देता है। लेकिन कोरिया के खिलाफ फाइनल में खिलाड़ियों ने धैर्य और संयम दिखाया। यही संयम भारत को जीत तक ले गया।

भारतीय टीम ने एशिया कप के आखिरी तीन मैचों में लास्ट माइल कनेक्टिविटी की कमी पूरी की और यही बड़ा बदलाव टीम को चैंपियन बनाने में काम आया।

 

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