मुख्य तथ्य
- HIRE Act का पूरा नाम Halting International Relocation of Employment है।
- प्रस्ताव: अमेरिकी कंपनियों द्वारा विदेशी कर्मचारियों को भुगतान पर 25% टैक्स।
- टैक्स से मिलने वाली राशि घरेलू रोजगार और अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम्स पर खर्च होगी।
- कंपनियां इन आउटसोर्सिंग खर्चों को टैक्स डिडक्शन में नहीं दिखा पाएंगी।
- भारत की IT और BPO इंडस्ट्री पर सबसे बड़ा असर पड़ सकता है।
अमेरिका में नौकरियों को आउटसोर्सिंग से बचाने के लिए एक नया प्रस्तावित कानून चर्चा में है। रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो (ओहायो) ने 5 सितंबर को HIRE Act 2025 पेश किया है। इस कानून के तहत किसी भी अमेरिकी कंपनी द्वारा विदेशी कर्मचारियों को दिए गए भुगतान पर 25% टैक्स लगाने का प्रावधान है।
HIRE Act क्या है?
HIRE Act का उद्देश्य अमेरिकी वर्कफोर्स की सुरक्षा करना और आउटसोर्सिंग पर लगाम लगाना है। इसके तहत:
विदेशी कर्मचारियों को भुगतान पर 25% टैक्स लगाया जाएगा।
इस टैक्स से एक “Domestic Workforce Fund” बनाया जाएगा, जिससे अप्रेंटिसशिप और वर्कफोर्स डेवलपमेंट प्रोग्राम्स को फंड मिलेगा।
कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों पर हुए खर्च को टैक्स डिडक्शन में शामिल करने की अनुमति नहीं होगी।
बिल पेश करते हुए मोरेनो ने कहा, “जब अमेरिकी कॉलेज ग्रेजुएट्स नौकरी खोजने में संघर्ष कर रहे हैं, तब बड़ी कंपनियां और ग्लोबलिस्ट नेता नौकरियां विदेशों में भेज रहे हैं। अब ये दिन खत्म होने चाहिए। कंपनियां अगर विदेशियों को हायर करेंगी, तो उन्हें अपनी जेब से भारी कीमत चुकानी होगी।”
भारत पर संभावित असर
भारत, खासकर IT और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) सेक्टर, अमेरिका से सबसे ज्यादा कारोबार करता है। अगर यह कानून पास हो गया, तो अमेरिकी कंपनियों को भारत जैसी लो-कॉस्ट डेस्टिनेशंस से काम आउटसोर्स करना महंगा पड़ेगा।
यह भारतीय IT कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी क्लाइंट्स से आता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि HIRE Act अपने मौजूदा स्वरूप में पास हो गया, तो अमेरिकी कंपनियां मजबूर होकर काम ऑनशोर (यानी अमेरिका के भीतर) शिफ्ट करेंगी।
हालांकि, यह फिलहाल सिर्फ प्रस्ताव है और इसके पास होने की संभावना पर अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिका में कई टेक कंपनियां और उद्योग समूह इस बिल का विरोध कर सकते हैं, क्योंकि आउटसोर्सिंग लागत कम करने और नवाचार को तेज करने का एक अहम साधन है।
भारत सरकार और उद्योग जगत इस प्रस्ताव पर करीब से नजर रखे हुए हैं। अगर यह कानून लागू होता है तो यह न केवल भारत बल्कि फिलीपींस और अन्य आउटसोर्सिंग डेस्टिनेशंस को भी गहरी चोट पहुंचा सकता है।