दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को एक हाई-स्टेक्स मुकदमे की सुनवाई हुई, जिसमें दिवंगत उद्योगपति सुंजय कपूर की लगभग ₹30,000 करोड़ की संपत्ति पर विवाद छिड़ गया। उनकी पत्नी प्रिया कपूर और करिश्मा कपूर के बच्चों के बीच यह कानूनी लड़ाई अब नए मोड़ पर पहुँच चुकी है।
मुख्य तथ्य
- सुंजय कपूर की 21 मार्च की वसीयत पर विवाद, जिसमें पूरी संपत्ति प्रिया कपूर को दी गई।
- करिश्मा कपूर के बच्चों ने वसीयत को नकली बताते हुए 1/5 हिस्सा मांगा।
- प्रिया कपूर का दावा: बच्चों को पहले ही ₹1,900 करोड़ की संपत्ति RK फैमिली ट्रस्ट से मिली।
- अदालत में वसीयत की कॉपी न देने पर सवाल; प्रिया पर वसीयत छुपाने का आरोप।
- वकीलों के बीच तीखी बहस, जिसमें तलाक और पारिवारिक रिश्तों का जिक्र भी हुआ।
दिवंगत उद्योगपति सुंजय कपूर की संपत्ति पर छिड़ी लड़ाई अब अदालत के दरवाजे तक पहुँच चुकी है। उनकी पत्नी प्रिया कपूर और करिश्मा कपूर के बच्चे — समीरा और किआन — आमने-सामने आ गए हैं। बच्चों का दावा है कि मार्च 2024 की वह वसीयत, जिसमें पूरी संपत्ति प्रिया कपूर के नाम की गई है, नकली है और इसे संपत्ति हड़पने के लिए गढ़ा गया।
करिश्मा की बेटी समीरा ने अपनी मां को पावर ऑफ अटॉर्नी दी है जबकि बेटा किआन, जो नाबालिग है, अपनी मां के जरिए इस मामले में प्रतिनिधित्व कर रहा है। उन्होंने अदालत से पिता की संपत्ति में 1/5 हिस्सा मांगा है और प्रिया कपूर व अन्य सहयोगियों पर वसीयत छुपाने का आरोप लगाया है।
सुनवाई के दौरान प्रिया कपूर की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर ने कहा कि यह मुकदमा टिकाऊ नहीं है क्योंकि प्रिया सुंजय की कानूनी पत्नी हैं। उन्होंने तल्ख अंदाज़ में कहा, “इतना प्यार तब कहाँ था जब तलाक के केस सुप्रीम कोर्ट तक गए थे। अब जब पति का निधन हुआ है, तो कृपया सहानुभूति दिखाइए। मैं विधवा हूँ और उनकी आखिरी पत्नी।”
प्रिया कपूर ने यह भी कहा कि करिश्मा के बच्चों को पहले ही ₹1,900 करोड़ की संपत्ति RK फैमिली ट्रस्ट से मिल चुकी है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “इतना रोना-धोना क्यों? ₹1,900 करोड़ की संपत्ति मिल चुकी है। कितना और चाहिए?”
दूसरी ओर, बच्चों की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि पहले प्रिया ने कहा था कि कोई वसीयत नहीं है, लेकिन 30 जुलाई को RK फैमिली ट्रस्ट की बैठक में अचानक बताया गया कि वसीयत मौजूद है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रिया के सहयोगियों ने वसीयत को सात हफ्तों तक दबाए रखा और बाद में परिवार की मीटिंग में इसका खुलासा किया।
जेठमलानी ने आगे कहा कि यह वसीयत न केवल संदिग्ध है बल्कि रजिस्टर्ड भी नहीं है, जो इसे और विवादास्पद बनाती है। अदालत ने जब पूछा कि बच्चों को वसीयत की कॉपी क्यों नहीं दी गई, तो नायर ने जवाब दिया कि सर्वोच्च न्यायालय में वसीयत रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य नहीं है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हाई-प्रोफाइल कपूर परिवार की इस कानूनी जंग का अंत किस ओर होता है।