जब लोग फ्रेंच डिफेंस कंपनी Thales का नाम सुनते हैं तो ज़हन में राफेल फाइटर जेट और हाई-टेक रडार आते हैं। लेकिन Amnesty International की नई रिपोर्ट ने इस कंपनी का एक और चेहरा उजागर किया है—पाकिस्तान की कुख्यात डिजिटल फ़ायरवॉल से जुड़ा हुआ।
मुख्य तथ्य
- अमनेस्टी की रिपोर्ट “Shadows of Control” ने पाकिस्तान के निगरानी तंत्र का खुलासा किया।
- वेब मॉनिटरिंग सिस्टम (WMS) और लॉफल इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम (LIMS) इस नेटवर्क की रीढ़ हैं।
- WMS 2.0 चीन की Geedge Networks और विदेशी तकनीक पर आधारित है।
- फ्रेंच कंपनी Thales की Sentinel लाइसेंसिंग टेक्नोलॉजी इस सिस्टम को चलाती है।
- रिपोर्ट में इसे “मानवाधिकारों पर हमला और निगरानी का वैश्विक बाज़ार” बताया गया।
अमनेस्टी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान की इंटरनेट सेंसरशिप और निगरानी व्यवस्था का भंडाफोड़ किया है। “Shadows of Control” शीर्षक वाली इस जांच में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान का Web Monitoring System (WMS) और Lawful Intercept Management System (LIMS) घरेलू नहीं, बल्कि जर्मनी, फ्रांस, चीन, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से आई तकनीक पर टिका हुआ है।
पाकिस्तान का “ग्रेट फ़ायरवॉल”
2018 में लॉन्च हुए WMS का पहला वर्ज़न कनाडा की Sandvine कंपनी पर आधारित था। लेकिन 2023 में इसके हटने के बाद चीन की Geedge Networks ने कमान संभाली और WMS 2.0 विकसित किया। Amnesty का कहना है कि यह अपग्रेडेड सिस्टम दरअसल चीन की “Great Firewall” तकनीक का निर्यात संस्करण है।

हालाँकि, यह केवल चीन का योगदान नहीं है। इस सिस्टम में अमेरिकी कंपनी Niagara Networks का हार्डवेयर, फ्रांस की Thales का Sentinel लाइसेंसिंग सॉफ़्टवेयर और चीन की H3C Technologies के सर्वर शामिल हैं। Amnesty की जांच से पता चला कि अगर इनमें से कोई भी घटक हटा दिया जाए तो पूरा फ़ायरवॉल ठप पड़ जाएगा।
LIMS और लोगों की जासूसी
पाकिस्तान का Lawful Intercept Management System (LIMS) जर्मन कंपनी Utimaco की तकनीक पर चलता है, जो UAE की Datafusion के ज़रिए पाकिस्तान तक पहुँचती है। यह सिस्टम सीधे टेलीकॉम नेटवर्क्स में एम्बेड होता है और ISI जैसे एजेंसियों को कॉल, मैसेज, ईमेल और इंटरनेट ब्राउज़िंग तक की जानकारी देता है।
Thales की चुप्पी और दोहरी भूमिका
जहाँ Thales राफेल जेट्स को अत्याधुनिक रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम देकर उसका “ब्रेन” बनाती है, वहीं उसकी Sentinel तकनीक पाकिस्तान की सेंसरशिप मशीनरी को चालू रखने में अहम है। Amnesty की जांच में मिले Geedge के आंतरिक स्क्रीनशॉट्स इस संबंध की पुष्टि करते हैं।
मानवाधिकारों पर असर
Amnesty ने इसे “oppression की अर्थव्यवस्था” बताया है। संगठन का कहना है कि यह नेटवर्क सिर्फ़ तकनीक नहीं, बल्कि डर और नियंत्रण का औज़ार है। पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने बताया कि फोन कॉल से लेकर व्हाट्सऐप चैट तक सबकुछ निगरानी में है। कई पत्रकारों को भ्रष्टाचार की रिपोर्ट छापने के बाद न केवल खुद, बल्कि उनके संपर्कों पर भी दबाव झेलना पड़ा।
अग्नेस कैलामार्ड, अमनेस्टी की महासचिव, ने कहा—“कमज़ोर क़ानून और ताक़तवर तकनीक का मेल पाकिस्तान में निजता और अभिव्यक्ति की आज़ादी को लगातार सीमित कर रहा है।”