भारत में दशकों से जारी नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई एक नए चरण में पहुंच गई है। प्रतिबंधित संगठन CPI-माओवादी (CPI-M) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर युद्धविराम और शांति वार्ता की पेशकश की है। संगठन ने कहा है कि वह मुख्यधारा में शामिल होने को तैयार है।
मुख्य तथ्य
- CPI-M ने केंद्र सरकार को युद्धविराम और शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया।
- संगठन ने कहा, मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के लिए तैयार।
- गृह मंत्री शाह ने 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का ऐलान किया था।
- दिसंबर 2023 से अब तक 453 नक्सली मारे गए, 1,616 गिरफ्तार हुए।
- नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 126 से 18 रह गई है।
भारत में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही दशकों पुरानी जंग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (CPI-M) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर युद्धविराम और शांति वार्ता की पेशकश की है। पत्र में नक्सलियों ने साफ किया है कि वे मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने और सशस्त्र संघर्ष छोड़ने को तैयार हैं।
पत्र में कहा गया है कि संगठन एक महीने तक हिंसा रोक सकता है, बशर्ते सरकार भी इस दौरान तलाशी अभियान रोककर औपचारिक युद्धविराम की घोषणा करे। नक्सलियों ने मांग की है कि जेल में बंद उनके साथियों को विचार-विमर्श की अनुमति दी जाए और इस प्रक्रिया में पुलिस दबाव न बनाया जाए। CPI-M ने साफ किया कि वे गृह मंत्री अमित शाह या उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सलियों के इस प्रस्ताव के पीछे हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों की लगातार सफलताएं और गृह मंत्री अमित शाह का मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का अल्टीमेटम अहम भूमिका निभा रहा है। अगस्त 2024 में शाह ने रायपुर में ऐलान किया था कि “लेफ्ट विंग माओवाद” का सफाया अंतिम चरण में है और अब निर्णायक प्रहार का समय आ गया है।
गृह मंत्रालय के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। दिसंबर 2023 से अब तक 453 नक्सली मारे गए, 1,616 गिरफ्तार हुए और 1,666 ने आत्मसमर्पण किया। सिर्फ 2025 में छत्तीसगढ़ में ही 241 नक्सली मारे गए, जिनमें से अधिकांश बस्तर क्षेत्र में थे। बड़े इनामी नक्सली नेताओं के मारे जाने से संगठन की ताकत लगातार कमजोर होती जा रही है। मई 2025 में 1.5 करोड़ के इनामी बसवा राजू और सितंबर में 1 करोड़ के इनामी सहदेव सोरेन को सुरक्षाबलों ने मार गिराया।
इसके अलावा, कई बार सुरक्षाबलों ने एक ही दिन दर्जनों नक्सलियों को मार गिराने में सफलता पाई। जनवरी और फरवरी 2025 में ही कांकेर, बीजापुर और ओडिशा सीमा पर सैकड़ों नक्सली ढेर किए गए। लगातार दबाव के कारण नक्सलियों का दायरा तेजी से सिमटता जा रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार, 2014 में जहां 126 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे, वहीं अब यह संख्या घटकर मात्र 18 रह गई है।
इस तरह, नक्सलवाद पर काबू पाने की लड़ाई अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचती नजर आ रही है। सवाल यह है कि क्या सरकार और CPI-M की यह संभावित शांति वार्ता वाकई दशकों से चल रही हिंसा का स्थायी अंत ला पाएगी?


