सऊदी अरब और पाकिस्तान ने दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप देते हुए एक रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते (Strategic Mutual Defense Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों देशों को बाहरी आक्रमण की स्थिति में एक-दूसरे का समर्थन करने का वादा करता है।
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सऊदी अरब और पाकिस्तान ने पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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समझौते में बाहरी आक्रमण की स्थिति में परस्पर सहयोग का वादा।
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की रियाद यात्रा के दौरान समझौता हुआ।
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यह समझौता दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग को संस्थागत रूप देने की दिशा में अहम कदम है।
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संयुक्त बयान में क्षेत्रीय और वैश्विक शांति सुनिश्चित करने पर जोर।
सऊदी अरब और पाकिस्तान ने अपने लंबे समय से चले आ रहे सुरक्षा सहयोग को अब औपचारिक रूप देते हुए ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता’ (Strategic Mutual Defense Agreement) किया है। इस समझौते के तहत दोनों देश किसी भी बाहरी आक्रमण की स्थिति में एक-दूसरे का साथ देंगे। इसे विशेषज्ञ एक ऐतिहासिक और रणनीतिक कदम मान रहे हैं, जो दोनों इस्लामिक देशों के बीच सैन्य सहयोग को संस्थागत आधार देगा।
शहबाज़ शरीफ़ की रियाद यात्रा में हुआ समझौता
यह समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की सऊदी अरब यात्रा के दौरान हुआ। उन्होंने रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। बैठक के बाद दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में इस रक्षा समझौते की घोषणा की गई।
समझौते का मकसद
संयुक्त बयान में कहा गया, “यह समझौता दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो सुरक्षा को मजबूत करने और क्षेत्र व विश्व में शांति सुनिश्चित करने की दिशा में है। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं को विकसित करना और किसी भी आक्रमण के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को सुदृढ़ करना है।”
दशकों पुराने रिश्तों को नई दिशा
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा सहयोग नया नहीं है। दोनों देशों ने लंबे समय से सैन्य और सुरक्षा मुद्दों पर एक-दूसरे का सहयोग किया है। हालांकि, यह पहली बार है जब इस सहयोग को संस्थागत और औपचारिक स्वरूप दिया गया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम खाड़ी क्षेत्र और दक्षिण एशिया की रणनीतिक स्थिति पर गहरा असर डालेगा।
क्षेत्रीय शांति की दिशा में कदम
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया दोनों ही क्षेत्रों में भू-राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। बाहरी आक्रमण की स्थिति में परस्पर सहयोग का यह वादा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अहम साबित हो सकता है।
इस प्रकार, यह रक्षा समझौता केवल सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा सहयोग को गहरा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।


