AI फर्जी तस्वीरों से परेशान Janhvi-Varun

बॉलीवुड सितारों ने AI दुरुपयोग पर जताई चिंता, साइबर पुलिस और मनोवैज्ञानिकों ने बताए खतरे और समाधान।

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AI फर्जी तस्वीरों पर जाह्नवी-वरुण की चिंता

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जहां एक ओर नए अवसर ला रहा है, वहीं इसके दुरुपयोग ने गंभीर चिंताएँ भी बढ़ा दी हैं। हाल ही में फिल्म सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी के ट्रेलर लॉन्च पर अभिनेता वरुण धवन और जाह्नवी कपूर ने बताया कि कैसे उनकी नकली AI तस्वीरें बिना अनुमति के सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही हैं।

मुख्य तथ्य

  • जाह्नवी कपूर ने कहा, “मेरी नकली AI तस्वीरें देखकर आम लोग असली समझ लेते हैं।”
  • वरुण धवन ने पहचान की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत बताई।
  • IPS शिव प्रकाश देवराजु ने साइबर शिकायत पोर्टल और सबूत सुरक्षित रखने की सलाह दी।
  • फर्जी तस्वीरें बनाने वालों पर IT Act और IPC की धाराओं के तहत केस दर्ज हो सकता है।
  • मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसी घटनाएँ आत्मसम्मान और रिश्तों पर गहरा असर डालती हैं।

बॉलीवुड अभिनेत्री जाह्नवी कपूर ने हाल ही में खुलासा किया कि सोशल मीडिया पर उनकी कई AI-जनरेटेड तस्वीरें बिना अनुमति के वायरल की जा रही हैं। उन्होंने कहा, “आप और मैं कह सकते हैं कि यह AI इमेज है, लेकिन आम आदमी सोचता है कि मैं सचमुच ऐसा पहनकर बाहर गई थी।” उन्होंने मानव रचनात्मकता और असली कहानी कहने की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि तकनीक के इस अंधेरे पक्ष से उन्हें गहरी चिंता है।

अभिनेता वरुण धवन ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी मददगार जरूर है, लेकिन इसके नुकसान भी उतने ही खतरनाक हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार और नियामक संस्थाओं को कानून और नियमों के ज़रिए कलाकारों की पहचान और इमेज की रक्षा करनी चाहिए। वरुण का मानना है कि किसी भी एल्गोरिद्म से इंसान की “X-फैक्टर” वाली खासियत की जगह नहीं ली जा सकती।

साइबर अपराधों पर काम कर रहे IPS शिव प्रकाश देवराजु ने बताया कि पीड़ितों को तुरंत सबूत जैसे स्क्रीनशॉट, लिंक और मेटाडेटा सुरक्षित करना चाहिए। साथ ही उन्हें राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल या सीधे पुलिस से संपर्क करना चाहिए। उनका कहना है कि पुलिस दो स्तर पर काम करती है—पहला, प्लेटफॉर्म से कंटेंट हटवाना और दूसरा, डिजिटल फॉरेंसिक और IP ट्रेसिंग के ज़रिए अपराधियों तक पहुँचना।

देवराजु ने बताया कि इस तरह के मामलों में IT Act की धारा 66E (प्राइवेसी उल्लंघन) लागू होती है। वहीं, अगर सामग्री से किसी की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही हो या मॉडेस्टी को ठेस पहुँचाने की मंशा हो, तो IPC की धारा 354C और 509 भी लगाई जा सकती है। गंभीर मामलों में और भी सख्त धाराएँ लागू होती हैं।

मनोवैज्ञानिक नेहा कदंबम ने चेतावनी दी कि AI से बनी फर्जी तस्वीरें किसी व्यक्ति पर गंभीर मनोवैज्ञानिक असर डाल सकती हैं। इससे पीड़ित को चिंता, अवसाद और आत्मसम्मान की कमी महसूस हो सकती है। इतना ही नहीं, यह उनकी सामाजिक छवि और प्रोफेशनल रिश्तों को भी नुकसान पहुँचा सकता है।

कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ भी अब तकनीक का इस्तेमाल करके ऐसे अपराधों पर नकेल कसने लगी हैं। साइबर यूनिट्स डिजिटल फॉरेंसिक तकनीकों की मदद से नकली तस्वीरों की पहचान करती हैं और सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर उन्हें हटवाती हैं। देवराजु ने साफ संदेश दिया कि AI का दुरुपयोग कर किसी की पहचान से खिलवाड़ करना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि कड़ी सज़ा वाला अपराध भी है।

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