पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा में हवाई हमले, 30 की मौत

रविवार रात पाकिस्तानी वायुसेना ने TTP ठिकानों पर हमले का दावा किया, लेकिन निशाने पर आए रिहायशी इलाके।

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पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा में हवाई हमला

पाकिस्तान की वायुसेना ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अफगान सीमा के पास हवाई हमले किए। इन हमलों में बच्चों और महिलाओं समेत 30 लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों को निशाना बनाया, मगर स्थानीय लोग इसे रिहायशी इलाकों पर हमला बता रहे हैं।

मुख्य तथ्य

  • पाक वायुसेना ने रविवार देर रात हवाई हमले किए, 30 लोगों की मौत।
  • हमला चीनी JF-17 थंडर विमान से 8 LS-6 बम गिराकर किया गया।
  • पाकिस्तानी सेना का दावा—TTP ठिकानों को निशाना बनाया।
  • खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान का संसाधनों से समृद्ध और रणनीतिक इलाका।
  • इस साल अब तक यहां 605 आतंकी घटनाएं दर्ज, जिनमें 138 नागरिक मारे गए।

पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रविवार और सोमवार की रात को भीषण हवाई हमले हुए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी वायुसेना ने लंडी कोटल तहसील के मात्रे दारा गांव में यह कार्रवाई की, जिसमें बच्चों और महिलाओं समेत 30 लोगों की मौत हो गई। रात करीब 2 बजे हुए इस हमले ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी।

पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों को निशाना बनाया। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि बमबारी रिहायशी इलाकों में की गई, जिससे बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए। खैबर पख्तूनख्वा को TTP का गढ़ माना जाता है, जहां सेना को अक्सर आतंकियों और स्थानीय विरोध दोनों का सामना करना पड़ता है।

क्यों खास है खैबर पख्तूनख्वा?

खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी प्रांत है, जो अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। खैबर दर्रा ऐतिहासिक रूप से भारत और मध्य एशिया के बीच संपर्क का प्रमुख मार्ग रहा है। इस क्षेत्र का आर्थिक महत्व भी कम नहीं है—कोहाट, बन्नू और करक जिले तेल और गैस भंडारों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां से पाकिस्तान की 35-40% प्राकृतिक गैस निकलती है। साथ ही यहां दुर्लभ खनिज तत्व मौजूद हैं, जिनका उपयोग मिसाइलों, मोबाइल और आधुनिक तकनीक में होता है।

पाकिस्तानी सेना की रणनीति

TTP जैसे संगठनों की मौजूदगी के कारण पाकिस्तानी सेना को खैबर पख्तूनख्वा में जमीनी ऑपरेशनों में सफलता नहीं मिलती। इसी वजह से वे हवाई हमलों पर निर्भर रहते हैं। सेना ने इस हमले को अंजाम देने के लिए चीनी लड़ाकू विमान JF-17 थंडर का इस्तेमाल किया और 8 LS-6 गाइडेड बम गिराए। ये बम चीन के बेइदोउ उपग्रह नेविगेशन सिस्टम से चलते हैं और 5 मीटर तक की सटीकता से लक्ष्य को निशाना बना सकते हैं।

LS-6 बम पारंपरिक फ्री-फॉल बमों को सटीक हथियार में बदलने की तकनीक से बनाए गए हैं। 10,000 मीटर की ऊंचाई से छोड़े जाने पर इनकी मारक क्षमता 60 किलोमीटर तक होती है। यही वजह है कि इन्हें बेहद खतरनाक माना जाता है।

बढ़ते हमले और अंतरराष्ट्रीय चिंता

खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अगस्त तक यहां 605 आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें 138 नागरिक और 79 पुलिसकर्मी मारे गए। अकेले अगस्त में ही 129 आतंकी हमले दर्ज हुए। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान सेना इस इलाके के संसाधनों पर अमेरिकी कंपनियों का दखल बढ़ाना चाहती है, लेकिन TTP की मौजूदगी इसमें बाधा है। यही कारण है कि सेना हवाई हमलों का सहारा ले रही है।

नागरिकों की मौत ने इन हमलों की वैधता और मानवीय पहलुओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान अपने ही नागरिकों को ‘कोलैटरल डैमेज’ की तरह देख रहा है।

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