लद्दाख में हिंसा भड़कने के दो दिन बाद पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें लद्दाख से बाहर ले जाया जा सकता है। इस कदम के खिलाफ विपक्षी दलों और परिवार ने तीखा विरोध जताया है।
मुख्य तथ्य
- हिंसा के बाद लगातार तीसरे दिन लद्दाख में कर्फ्यू जारी।
- सोनम वांगचुक को NSA कानून के तहत किया गया गिरफ्तार।
- लेह में इंटरनेट सेवाएं बंद, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी।
- आम आदमी पार्टी और उमर अब्दुल्ला ने सरकार को घेरा।
- पत्नी ने कहा- “पति के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार।”
लद्दाख में बीते दिनों भड़की हिंसा के बीच पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह कार्रवाई सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई है। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है।
पुलिस कार्रवाई और सुरक्षा हालात
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस वांगचुक को लद्दाख से बाहर ले जा सकती है। सुरक्षा स्थिति को देखते हुए लेह में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और पुलिस-बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। वांगचुक को फिलहाल एक अज्ञात जगह पर रखा गया है। वहीं, हिंसा के चलते लगातार तीसरे दिन कर्फ्यू लागू है और सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।
राजनीतिक विरोध
वांगचुक की गिरफ्तारी पर राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा, “लद्दाख के अधिकारों की आवाज उठाने पर वांगचुक को गिरफ्तार कर सरकार ने तानाशाही का चेहरा दिखा दिया है।” पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश में तानाशाही चरम पर है और इसका अंत बेहद बुरा होगा।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले वादे किए लेकिन अब उनसे मुकर गई है।
परिवार का आक्रोश
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “मेरे पति के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया। यह लोकतंत्र का सबसे घटिया रूप है। सरकार एक शख्स की छवि खराब करने के लिए इतने नीचे गिर सकती है, ये सोचा भी नहीं था।”
NSA का कानूनी प्रावधान
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) को 1980 में लाया गया था। इसके तहत पुलिस किसी व्यक्ति को बिना आरोप तय किए तीन महीने तक जेल में रख सकती है, जिसे बाद में एक साल तक बढ़ाया भी जा सकता है। यह कानून आमतौर पर देश की सुरक्षा और आंतरिक शांति बनाए रखने के मामलों में इस्तेमाल होता है।


