भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को बड़ी गिरावट देखी गई। इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ऐलान है, जिसमें उन्होंने पेटेंटेड और ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की। यह नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा और इससे भारतीय निर्यातकों पर सीधा असर पड़ सकता है।
मुख्य तथ्य
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पेटेंटेड और ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ का ऐलान किया।
- यह नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा।
- टैरिफ से केवल वे कंपनियां बचेंगी जो अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बना रही हैं।
- भारतीय फार्मा शेयरों में 2-3% से अधिक की गिरावट दर्ज।
- अमेरिका, भारतीय फार्मा निर्यात का सबसे बड़ा बाज़ार है (35% हिस्सेदारी)।
भारतीय दवा कंपनियों के शेयरों को शुक्रवार को जोरदार झटका लगा। वजह रही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई घोषणा, जिसमें उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका पेटेंटेड और ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाएगा, जब तक कंपनियां अमेरिका में अपने उत्पादन संयंत्र नहीं बना रही हैं।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, “अगर कोई कंपनी अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का निर्माण कर रही है या उसका निर्माण शुरू कर चुकी है, तो उन दवाओं पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। लेकिन बाकी मामलों में 100% शुल्क लगाया जाएगा।” इस घोषणा ने निवेशकों और दवा उद्योग दोनों को चिंता में डाल दिया है।
शेयर बाज़ार पर असर
घोषणा के तुरंत बाद भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। सन फार्मा, ल्यूपिन, बायोकॉन, नैटको फार्मा, लॉरस लैब्स, ग्लैंड फार्मा और आईपीसीए लैब्स के शेयर 3% से ज्यादा टूट गए। वहीं, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज, डिविस लैब्स, अजंता फार्मा, ग्रेन्यूल्स इंडिया, अल्केम लैब्स और मैनकाइंड फार्मा में 2% से अधिक की गिरावट आई। इस कारण निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.6% लुढ़क गया।
भारतीय कंपनियों पर संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस कदम का असर भारतीय फार्मा निर्यातकों पर नकारात्मक हो सकता है। अमेरिका, भारतीय दवा निर्यात का सबसे बड़ा बाज़ार है और यहां से करीब 35% निर्यात (FY25 में लगभग 10 अरब डॉलर) होता है। हालांकि, फिलहाल यह टैरिफ मुख्य रूप से ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर लागू होगा, जिन पर वैश्विक इनोवेटर्स का दबदबा है।
च्वाइस इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एनालिस्ट मैत्री शेख ने कहा, “यह अभी स्पष्ट नहीं है कि कॉम्प्लेक्स जेनेरिक और स्पेशलिटी मेडिसिन्स पर इसका असर होगा या नहीं। यदि ऐसा हुआ, तो भारतीय कंपनियों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। जिन कंपनियों के अमेरिका में प्लांट बन रहे हैं, उन्हें राहत मिल सकती है।”
जेनेरिक और अन्य दवाओं की स्थिति
फिलहाल जेनेरिक दवाएं, ओटीसी ड्रग्स, बायोलॉजिक्स और स्पेशलिटी दवाएं इस टैरिफ से बाहर हैं, क्योंकि इन पर अमेरिकी वाणिज्य विभाग की अलग जांच चल रही है। गौरतलब है कि भारत अमेरिका का सबसे बड़ा जेनेरिक सप्लायर है। केवल 2025 की पहली छमाही में ही भारत ने अमेरिका को 3.7 अरब डॉलर मूल्य की जेनेरिक दवाएं निर्यात कीं।
आशिका इंस्टीट्यूशनल रिसर्च का कहना है कि अभी प्रत्यक्ष जोखिम कम है, लेकिन भविष्य में यदि टैरिफ का दायरा जेनेरिक्स तक बढ़ा तो भारतीय फार्मा सेक्टर पर बड़ा असर हो सकता है। वर्तमान में यह फैसला निवेशकों के लिए “हेडलाइन्स रिस्क” ज़रूर है, लेकिन “ऑपरेशनल रिस्क” सीमित है।


