सोनम वांगचुक को जोधपुर जेल भेजा गया, लद्दाख में कर्फ्यू जारी

एनएसए के तहत गिरफ्तारी, लेह में तनावपूर्ण हालात और इंटरनेट बंद

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सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: जोधपुर जेल भेजे गए

लद्दाख के सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गुरुवार रात पुलिस ने गिरफ्तार कर जोधपुर की केंद्रीय जेल भेज दिया। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया है। गिरफ्तारी के बाद से लेह और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू और इंटरनेट बंद है।

मुख्य तथ्य

  • सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को गिरफ्तार कर हवाई मार्ग से जोधपुर लाया गया।
  • उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया है।
  • लेह में लगातार चौथे दिन कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाएं बंद।
  • अब तक 60 लोगों की गिरफ्तारी, कई पर FIR दर्ज।
  • हिंसा लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर भड़की।

लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया है। 26 सितंबर को हुई इस गिरफ्तारी के बाद उन्हें पुलिस रातोंरात हवाई मार्ग से राजस्थान के जोधपुर ले गई और केंद्रीय जेल में रखा गया। उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया है, जिसके तहत लंबे समय तक बिना जमानत हिरासत में रखा जा सकता है।

लेह और आसपास के इलाकों में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। लगातार चौथे दिन कर्फ्यू लागू है। प्रशासन ने स्कूल और कॉलेज बंद करा दिए हैं और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं। पुलिस, CRPF और ITBP के जवानों को इलाके में भारी संख्या में तैनात किया गया है। अब तक करीब 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और कई पर FIR दर्ज की गई है।

हिंसा की वजह लद्दाख की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांगें हैं। लोग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इन्हीं मांगों को लेकर वांगचुक बीते 15 दिनों से आमरण अनशन पर थे।

स्थिति तब बिगड़ी जब छात्रों और स्थानीय लोगों ने बुधवार को लेह में बंद का आह्वान किया। प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी और प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और एक CRPF वाहन में आग लगा दी। इस घटना ने केंद्र और राज्य प्रशासन को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।

विशेषज्ञों का मानना है कि वांगचुक की गिरफ्तारी और जनता की नाराजगी आने वाले दिनों में लद्दाख की राजनीति और केंद्र-प्रदेश संबंधों पर बड़ा असर डाल सकती है। फिलहाल, प्रशासन हालात काबू में लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जनता की मांगें और आंदोलन के स्वर तेज होते जा रहे हैं।

 

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