फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी जेल में, 5 साल की सजा

लीबिया से अवैध फंडिंग मामले में दोषी पाए गए निकोलस सरकोजी को पेरिस की ला सैंटे जेल भेजा गया है, जहां वे एकांतवास में रहेंगे।

newsdaynight
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सरकोजी जेल में, लीबिया फंडिंग केस में दोषी करार

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को लीबिया से अवैध चुनावी धन प्राप्त करने के मामले में पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई है। मंगलवार को वे अपनी पत्नी कार्ला ब्रूनी का हाथ थामे पेरिस स्थित अपने घर से जेल के लिए रवाना हुए। सरकोजी को अब ला सैंटे जेल के एकांतवास खंड में रहना होगा।

मुख्य तथ्य

  • निकोलस सरकोजी को 5 साल की सजा सुनाई गई है, जिसमें वे पेरिस की ला सैंटे जेल में रहेंगे।
  • आरोप है कि उन्होंने 2007 के चुनाव में लीबिया के पूर्व तानाशाह गद्दाफी से लगभग 450 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
  • यह मामला 2011 में Mediapart वेबसाइट पर दस्तावेज लीक होने के बाद खुला।
  • सरकोजी ने कहा, “वे किसी पूर्व राष्ट्रपति को नहीं, बल्कि एक निर्दोष व्यक्ति को जेल में डाल रहे हैं।”
  • सरकोजी के वकील ने उनकी रिहाई के लिए अदालत में अपील दायर कर दी है।

फ्रांस की राजनीति में एक बड़ा झटका तब लगा जब देश के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी (70) को लीबिया से जुड़े अवैध धन के मामले में दोषी ठहराया गया और जेल भेजा गया। यह पहला मौका है जब किसी फ्रांसीसी राष्ट्रपति को भ्रष्टाचार से संबंधित अपराध में जेल की सजा काटनी पड़ रही है।

मंगलवार को सरकोजी अपनी पत्नी कार्ला ब्रूनी-सारकोजी का हाथ थामे पेरिस के 16वें जिले में स्थित अपने आलीशान विला से बाहर निकले और सीधे ला सैंटे जेल पहुंचे। अब उन्हें पांच साल तक एकांतवास खंड की एक छोटी कोठरी में रहना होगा।

सरकोजी का बयान: “सत्य की जीत होगी”

जेल जाने से पहले सरकोजी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा — “सत्य की जीत होगी, लेकिन इसकी कीमत बहुत भारी है। वे किसी पूर्व राष्ट्रपति को नहीं, बल्कि एक निर्दोष व्यक्ति को जेल में डाल रहे हैं।”

उनके वकील क्रिस्टोफ़ इंग्रेन ने बताया कि रिहाई के लिए अपील दायर कर दी गई है और उम्मीद है कि सरकोजी को कुछ हफ्तों में राहत मिल सकती है। “उनकी कैद उचित नहीं है। संभव है कि वे सिर्फ तीन सप्ताह या एक महीने जेल में रहें,” इंग्रेन ने कहा।

किस मामले में जेल गए सरकोजी?

2007 के राष्ट्रपति चुनाव में सरकोजी पर आरोप था कि उन्होंने लीबिया के दिवंगत तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी से लगभग 450 करोड़ रुपये (50 मिलियन यूरो) प्राप्त किए और उसे अपने चुनाव अभियान में खर्च किया।

2011 में फ्रेंच न्यूज वेबसाइट Mediapart ने इस सौदे से संबंधित दस्तावेज लीक किए थे। इसके बाद गद्दाफी के बेटे सैफ अल-इस्लाम ने भी इस फंडिंग की पुष्टि की थी। इसके आधार पर 2013 में आधिकारिक जांच शुरू हुई।

लेबनानी व्यवसायी जियाद ताकीदीन, जो फ्रांस और मध्य-पूर्व के बीच बिचौलिये के रूप में काम करते थे, उन्होंने भी अदालत में स्वीकार किया कि इस सौदे के दस्तावेज असली हैं और भुगतान सरकोजी के राष्ट्रपति बनने के बाद किया गया था।

गद्दाफी से गुप्त समझौते के आरोप

रिपोर्टों के अनुसार, सरकोजी और उनके सहयोगियों ने 2005 में गद्दाफी शासन के साथ भ्रष्टाचार से जुड़ा एक “गुप्त समझौता” किया था। इसमें गद्दाफी के बदले में सरकोजी से यह अपेक्षा की गई थी कि वे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को सुधारने के लिए राजनयिक, कानूनी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करेंगे।

2007 में गद्दाफी की पेरिस यात्रा भी इसी समझौते का हिस्सा बताई जाती है। उस समय सरकोजी पहले पश्चिमी नेता थे जिन्होंने 1980 के बाद किसी लीबियाई नेता का औपचारिक स्वागत किया था।

फ्रांस में राजनीतिक हलचल

सरकोजी के जेल जाने से फ्रांस में राजनीतिक हलचल मच गई है। जहां एक वर्ग इसे न्याय की जीत बता रहा है, वहीं उनके समर्थक इसे “राजनीतिक बदले” का परिणाम मान रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला फ्रांस के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह दिखाता है कि कानून सबके लिए समान है — चाहे वह एक आम नागरिक हो या पूर्व राष्ट्रपति।

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