अमेरिकी सपनों की चमक में डूबे हरियाणा के 50 युवा रविवार को भारत लौटे — टूटे हौसलों, कर्ज और ठगी की कहानियों के साथ। ये सभी युवक अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने के बाद पकड़े गए थे। इन्हें “डंकी रूट” यानी खतरनाक मानव तस्करी मार्ग से अमेरिका भेजा गया था।
मुख्य तथ्य
- 50 युवाओं को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया, जिनमें से 16 करनाल, 14 कैथल, 5 कुरुक्षेत्र और 1 पानीपत के हैं।
- सभी ने ‘डंकी रूट’ से दक्षिण व मध्य अमेरिका के रास्ते अमेरिका में प्रवेश किया।
- कई युवाओं ने एजेंटों को ₹30 से ₹60 लाख तक दिए, ज़मीन तक बेचनी पड़ी।
- कुछ महीनों में गिरफ्तार होकर जेल भेजे गए, कुछ एक साल से अधिक हिरासत में रहे।
- विदेश मंत्रालय के अनुसार, जनवरी 2025 से अब तक 2,500 भारतीय अमेरिका से डिपोर्ट किए जा चुके हैं।
हरियाणा के 50 युवक, जो कभी अमेरिकी सपनों के पीछे अपनी ज़िंदगी दांव पर लगा बैठे थे, रविवार को भारत लौटे — लेकिन अब उनके पास सिर्फ पछतावा, कर्ज और ठगी की कहानी है। इनमें से ज्यादातर 25 से 40 साल की उम्र के हैं और सभी को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इनमें 16 युवक करनाल, 14 कैथल, 5 कुरुक्षेत्र और एक पानीपत जिले से हैं।
इन युवाओं ने “डंकी रूट” यानी दक्षिण और मध्य अमेरिकी देशों के जरिए अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश किया था। कुछ महीनों तक काम करने के बाद वे अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के शिकंजे में आ गए।
26 वर्षीय अंकुर सिंह, करनाल के रहरा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अमेरिका पहुंचने के लिए ₹29 लाख चुकाए। “मैं अक्टूबर 2022 में निकला था। कई दक्षिण अमेरिकी देशों से होकर यात्रा की, चार महीने बाद अमेरिका पहुंचा। सब ठीक चल रहा था जब तक फरवरी में मुझे जॉर्जिया में गिरफ्तार नहीं किया गया,” उन्होंने बताया। अंकुर को कैंप में रखा गया और 24 अक्टूबर को भारत लौटने वाले विमान में बिठा दिया गया।
वहीं, करनाल के ही हुसन (21) की कहानी और भी दर्दनाक है। तीन बहनों के इकलौते भाई हुसन के परिवार ने एजेंटों को ₹45 लाख देने के लिए तीन एकड़ ज़मीन बेच दी। सितंबर 2024 में अमेरिका पहुंचने के तुरंत बाद ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके चाचा सुरेंद्र सिंह ने बताया, “वे दिल्ली एयरपोर्ट पर सुबह 1 बजे पहुंचे। उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां थीं।”
कैथल जिले के निवासी नरेश कुमार ने बताया कि उन्होंने 14 महीने अमेरिकी जेल में बिताए। “एजेंटों ने मुझसे ₹57.5 लाख ले लिए। पहले ₹42 लाख में भेजने की बात कही, फिर बार-बार पैसे मांगते रहे। मुझे कर्ज लेना पड़ा, भाई ने ज़मीन बेची, रिश्तेदारों ने भी मदद की,” उन्होंने बताया।
हरियाणा पुलिस ने पुष्टि की कि सभी युवकों ने ‘डंकी रूट’ का इस्तेमाल किया था। कैथल एसपी उपासना ने कहा, “इनमें से एक युवक एक्साइज केस में भी वांछित था।”
जिंद जिले के एसपी कुलदीप सिंह ने बताया कि तीन डिपोर्टी उनके जिले के थे। उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर अपराध है। अवैध माइग्रेशन परिवारों को आर्थिक रूप से तोड़ देता है। कई युवकों को रास्ते में हिंसा, शोषण और धोखे का सामना करना पड़ता है।”
उन्होंने चेतावनी दी, “जो भी युवा विदेश जाना चाहते हैं, वे केवल कानूनी रास्ता अपनाएं। एजेंटों की जांच करें, बिना सत्यापन के पैसा न दें। इस तरह के गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जनवरी 2025 से अब तक अमेरिका से लगभग 2,500 भारतीय डिपोर्ट किए गए हैं — जिनमें से अधिकांश पंजाब, हरियाणा और गुजरात से हैं। इनमें से कई पहले से ही अमेरिकी जेलों में महीनों तक रह चुके थे।
यह घटना एक चेतावनी है कि “अमेरिकी सपना” का लालच कितनी बड़ी कीमत वसूल सकता है — कर्ज, ठगी और अपमान के रूप में।


