तमन्नाह भाटिया का स्पष्ट बयान: रिश्ते में “झूठ नहीं” मुझे बर्दाश्त नहीं

अभिनेत्री तमन्नाह भाटिया ने इंटरव्यू में बताया कि रिश्ते में उनका सबसे बड़ा “नो-निगोशिएबल” है—झूठ। उन्होंने कहा, “अगर हत्या करोगे, मैं छुपा दूँगी, लेकिन झूठ मत बोलना।”

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तमन्नाह भाटिया का रिश्ता निश्चित: “झूठ बर्दाश्त नहीं”

बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री तमन्नाह भाटिया ने हाल-फिलहाल एक साक्षात्कार में अपने रिश्तों को लेकर बेहद पारदर्शी विवेचना दी। उन्होंने खुलकर कहा कि उन्हें झूठ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है—यह उनकी प्राथमिक शर्तों में से एक है।

मुख्य तथ्य

  • तमन्नाह ने कहा: “मुझसे न झूठ बर्दाश्त नहीं होता। गुज़र जाएँ थोड़ी बहुत गलतियाँ, लेकिन झूठ नहीं।”
  • उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा: “मर्डर करोगे, मैं छुपा दूँगी, लेकिन झूठ मत बोलना।”
  • क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. एनीथा बी के अनुसार, रिश्ते में छोटा-सा झूठ भी भावनात्मक सुरक्षा को हिला सकता है।
  • धोखाधड़ी, असमय झूठ और भरोसेघात—ये ऐसे “रेड फ्लैग” हैं जिन्हें तमन्नाह गंभीर मानती हैं।
  • झूठ की प्रतिक्रिया सिर्फ “गलत बात” से नहीं बल्कि यह महसूस होने से आती है कि दूसरे ने हमें बेवकूफ समझ लिया है।

बॉलीवुड में कामयाबी के साथ-साथ निजी-संबंधों को लेकर खुलकर बोलना शायद कम ही देखा गया है, लेकिन तमन्नाह भाटिया ने हाल ही में अपने रिश्तों-परिवेशों को लेकर बेहद स्पष्ट और ईमानदार रवैया अपनाया है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि उनके लिए रिश्ते में झूठ कुछ ऐसा है जिसे वे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। उन्होंने मजाकिया लेकिन मार्मिक अंदाज़ में कहा- “अगर आप मर्डर करोगे, मैं छुपा देने में पीछे नहीं हटूंगी, लेकिन कृपया झूठ मत बोलना।”

यह बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत मूड का इजहार नहीं है, बल्कि रिश्तों की बुनियादी सुरक्षा-भावना को विधिवत उद्घाटित करता है। तमन्नाह ने बताया कि वह इन छोटी-छोटी चीजों को बहुत गंभीरता से लेती हैं—यदि कोई व्यक्ति बड़ा झूठ नहीं भी बोलता, लेकिन छोटी-छोटी गलत बातों में दिलचस्पी लेता है, तो वह उसके लिए एक संकेत बन जाती है कि “यह व्यक्ति सच में क्या बात कह-रहा है?”

उनके इस विचार को समर्थन देते हुए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. एनीथा बी कहती हैं कि रिश्तों में माथे पर दिखाई न देने वाला झूठ भी उस व्यक्ति की भावनात्मक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाता है, जिसने भरोसा किया है। “जब कोई प्रियजन सच्चाई छिपाता है, तो हम यह सवाल उठाते हैं कि बाकी-की बातें कितनी सच्ची होंगी?” वह कहती हैं।

तमन्नाह ने अपने पिछले ब्रेकअप्स को इस दृष्टिकोण से देखा है। एक टीवी-पोडकास्ट में उन्होंने कहा था कि “मैं ऐसी इंसान के साथ नहीं रह सकती जिसे मैं झूठ बोलते देखती रहूँ – चाहे वह झूठ इतना छोटा हो जितना यह कि उसने हमें गिफ्ट लिया है, जबकि वह उपहार था।”

अभिनेत्री तमन्नाह भाटिया
अभिनेत्री तमन्नाह भाटिया

उनके अनुसार, रिश्तों में बात सिर्फ “मिलना-जुलना” नहीं है, बल्कि यह उस-व्यक्ति को जानने देने का मामला है जिस पर आप भरोसा जमाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी माना कि कभी-कभी स्त्री या पुरुष इसका हिस्सा बन जाते हैं, लेकिन असली समस्या वह है जब दूसरे पक्ष ने यह मान-रखा हो कि आप इसकी कमी पर ध्यान नहीं देंगे। “मुझसे अगर झूठ हुआ, तो यह मुझे नहीं सिर्फ दुखी करता—मुझे क्रोधित करता है क्योंकि कोई मुझे बेवकूफ समझ रहा था,” तमन्नाह ने कहा।

उनका यह बयान सोशल-मीडिया पर खूब चर्चा में रहा क्योंकि उन्होंने रिश्तों के संदर्भ में “अगर मैं मर्डर कर दूँ तुम छुपाओ” जैसे कटाक्ष करके यह स्पष्ट किया कि वे ड्रामैटिक नहीं बल्कि किन-किन बातों पर अडिग रहती हैं। इसके साथ-ही उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने पार्टनर से यह अपेक्षा करती हैं कि वह सुनने वाला बने—उनके विचारों, चिंताओं और भावनाओं को समझे।

डॉ. एनीथा के मुताबिक, रिश्ते में झूठ का असर शुरू-में अचानक न दिखे, लेकिन समय-के साथ यह विश्वासघात का रूप ले लेता है। जिम्मेदारी तब शुरू होती है जब “मैं आहत हूँ” इसे हम स्वीकार करें। यह प्रतिक्रिया संकट का हिस्सा है—अगर इसे दबाया गया, तो आगे चेहरा और विकृत होता है। चिकित्सकीय दृष्टि से, “कूद-कर प्रतिक्रिया देने” से बेहतर है कि एक पल विश्राम किया जाए, सांस ली जाए, और फिर संवाद की दिशा तय हो।

तमन्नाह एक तरह से यह संदेश दे रही हैं—रिश्ते में भरोसा केवल दावा भर नहीं होता, वह हर-दिन के छोटे-बड़े कामों, बोले-न बोले गए शब्दों और साझा अनुभवों से बनता है। उन्होंने यह महसूस किया है कि प्यार बहुआयामी है—लेकिन यदि इस प्यार में सहमति-निष्ठा और ईमानदारी का आधार नहीं होगा, तो वह जल्द ही लेन-देन में बदल जाता है।

उनका दृष्टिकोण आज के समय में खास महत्व रखता है—जहाँ सोशल-मीडिया, रिश्तों की कल्पना और वास्तविकता के बीच की दूरी बढ़ गई है। एक-तरफा प्यार, इमोशनल लेन-दे, आज के संबंधों में अधिक सामान्य हो गए हैं। तमन्नाह ने अपने अनुभवों से सीखा है कि “दूसरे को बदलने की कोशिश” और “छोटी-छोटी झूठ” दोनों ही बड़े खतरे हैं।

हालाँकि उनका यह विश्वास एक कठोर शर्त की तरह भी महसूस हो सकती है—“मैंजी तुझसे झूठ नहीं बर्दाश्त कर सकती”—लेकिन तमन्नाह इसे अस्थिर रिश्तों की स्पर्श-रेखा के रूप में प्रस्तुत करती हैं। उनकी टिप्पणी दर्शाती है कि वे सिर्फ शैली-वार बयान नहीं दे रही हैं, बल्कि अपने व्यक्तिगत विकास, सीख और आत्म-जागरूकता की कसौटी पर खड़ी हैं।

संक्षिप्त में कहा जाए, तो तमन्नाह भाटिया का विचार है—पारदर्शिता, संवाद और भरोसा ही रिश्तों की नींव हैं। झूठ का असर सिर्फ उस ‘एक घटना’ से नहीं, बल्कि यह जानने-से आता है कि क्या अब आप उस व्यक्ति को सच्चे तौर पर जान पा रहे हैं जिसे आपने पसंद किया था।

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