Nowgam Police Station Blast: फोरेंसिक प्रक्रिया में बड़ा हादसा

जैश मॉड्यूल से बरामद विस्फोटक के अस्थिर होने से हुआ धमाका; नौ की मौत, कई घायल।

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Nowgam Blast: फोरेंसिक प्रक्रिया में बड़ा हादसा

श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में 14 नवंबर की रात हुआ जोरदार विस्फोट एक साधारण फोरेंसिक प्रक्रिया को विनाशकारी त्रासदी में बदल गया। जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल से बरामद सैकड़ों किलो विस्फोटक के अस्थिर होने के कारण हुए इस हादसे में नौ लोगों की मौत और कई घायल हुए। घटना ने सुरक्षा एजेंसियों के SOPs और केस प्रॉपर्टी स्टोरेज सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मुख्य तथ्य

  • नौगाम पुलिस स्टेशन में 350+ किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य सामग्री स्टोर थी।
  • ये केस प्रॉपर्टी जैश-ए-मोहम्मद के उसी मॉड्यूल से बरामद हुई थी जो रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्यूल से जुड़ा था।
  • विस्फोट फोरेंसिक सैंपलिंग प्रक्रिया के दौरान हुआ, SOP फॉलो किए जा रहे थे।
  • DGP नलिन प्रभात ने सामग्री को “अस्थिर” बताया, जो समय के साथ खतरनाक रूप ले चुकी थी।
  • धमाका इतना तेज था कि पुलिस स्टेशन का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और आसपास इलाके में दहशत फैल गई।

श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित नौगाम पुलिस स्टेशन में 14 नवंबर की देर रात एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे सुरक्षा तंत्र को झकझोर दिया। यह विस्फोट किसी आतंकी हमले की वजह से नहीं, बल्कि केस प्रॉपर्टी में सुरक्षित रखे गए खतरनाक रसायनों और विस्फोटकों के अस्थिर हो जाने से हुआ। देर रात 12 बजे के आसपास हुआ धमाका इतना शक्तिशाली था कि इसकी आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई और पुलिस स्टेशन का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।

यह विस्फोट उस समय हुआ जब पुलिस अधिकारी फोरेंसिक सैंपलिंग प्रक्रिया में जुटे थे। जाँच में सामने आया कि पुलिस स्टेशन में 350 किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट, सैकड़ों किलो रसायन, इलेक्ट्रॉनिक टाइमर, बैटरियां और डेटोनेटर रखे हुए थे। ये सभी सामग्री जैश-ए-मोहम्मद के उस मॉड्यूल से जब्त की गई थी, जिसे हाल ही में हरियाणा और दिल्ली से पकड़ा गया था और जो रेड फोर्ट कार ब्लास्ट मॉड्यूल से जुड़ा हुआ माना जाता है।

स्थिति तब जटिल हो गई जब यह पता चला कि यह सामग्री पिछले कई महीनों से पुलिस स्टेशन के मालखाने में रखी हुई थी। SOP के अनुसार, सभी बरामद हथियार और विस्फोटक स्थानीय पुलिस स्टेशन की कस्टडी में लिए जाते हैं ताकि उनका फोरेंसिक परीक्षण हो सके और अदालत में पेश किया जा सके। हालांकि, अगर सामग्री अत्यंत खतरनाक हो तो उसे कोर्ट मालखाने में स्थानांतरित किया जा सकता है। इस मामले में, रसायन और विस्फोटक पुलिस स्टेशन में ही पड़े रहे—और समय के साथ अस्थिर हो गए।

घटना के बाद अधिकारियों ने बताया कि सामग्री को एयरटाइट कंटेनरों में पैक कर छोटे ट्रकों से लाया गया था और पूरा परिवहन SOP के तहत हुआ था। लेकिन खतरनाक रसायनों का एकत्रित रूप से लंबे समय तक रखना जोखिम बढ़ा सकता है। जांचकर्ताओं का कहना है कि जैश मॉड्यूल से जब्त किए गए विस्फोटक पहले से ही मिश्रित रूप में थे और तापमान, नमी और समय के कारण उनकी रासायनिक संरचना बदल सकती थी।

DGP नलिन प्रभात ने घटना को “एक दुखद, लेकिन पूरी तरह से आकस्मिक धमाका” बताया और यह भी स्वीकार किया कि विस्फोटक सामग्री समय के साथ बेहद अस्थिर हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक टीम उस समय सैंपलिंग कर रही थी, और संभवतः किसी छोटे रिएक्शन ने इस बड़े विस्फोट की चिंगारी पैदा कर दी।

विस्फोट इतना भारी था कि पुलिस स्टेशन का एक बड़ा हिस्सा ढह गया। नौ लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें पुलिस अधिकारी और स्टाफ शामिल हैं। कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और उनका इलाज जारी है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और फोरेंसिक टीमें घटनास्थल की विस्तृत जांच में जुटी हैं।

इस हादसे ने देश की कानून-प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षा ढांचे के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक को पारंपरिक केस प्रॉपर्टी के रूप में स्टोर करना कितना सुरक्षित है? विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े आतंकी मॉड्यूल से बरामद खतरनाक रसायनों के लिए अलग उच्च-सुरक्षा भंडारण की व्यवस्था होनी चाहिए।

पुलिस अब न केवल विस्फोट के कारणों की गहन जांच कर रही है, बल्कि SOP में संभावित बदलावों पर भी विचार कर रही है। यह घटना भविष्य में ऐसी सामग्री की हैंडलिंग और स्टोरेज पर नए दिशा-निर्देश तय करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु बन सकती है।

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