रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्यूल: विदेशी हैंडलर ने डॉक्टर को भेजे 42 बम-वीडियो

encrypted apps के ज़रिए भेजी गई सामग्री की जांच; दक्षिण भारत की अन्य धमाकों से कनेक्शन तलाश रही एजेंसियां

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रेड फोर्ट ब्लास्ट में विदेशियों की भूमिका के प्रमाण

दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्यूल की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉक्टरों के मॉड्यूल को विदेशी हैंडलरों ने एन्क्रिप्टेड ऐप्स के माध्यम से 42 बम बनाने के वीडियो भेजे थे। जांच एजेंसियाँ अब यह पता लगा रही हैं कि क्या यही हैंडलर दक्षिण भारत में हुए कोयंबटूर, मंगलुरु और बेंगलुरु कैफे विस्फोटों जैसे “DIY (Do-It-Yourself) बम हमलों” के पीछे भी थे।

मुख्य तथ्य

  • आरोपी डॉक्टर मुज़म्मिल गनई को विदेशी हैंडलर “हंज़ुल्लाह” ने भेजे 42 बम-निर्माण वीडियो
  • 2,500 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री डॉक्टर गनई के ठिकाने से बरामद
  • मुख्य संदिग्ध विदेशी हैंडलर: “हंज़ुल्लाह”, “निसार”, “उकासा”—सभी संभवतः फर्जी पहचान
  • दक्षिण भारत के कोयंबटूर, मंगलुरु और बेंगलुरु कैफे धमाकों में समान मॉडस ऑपरेंडी
  • NIA की जांच में सामने आया—कर्नाटक व तमिलनाडु मॉड्यूल के पीछे ‘कॉमन’ IS-लिंक्ड हैंडलर मोहम्मद शाहिद फ़ैसल

दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में सुरक्षा एजेंसियों ने कई गंभीर खुलासे किए हैं। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से जुड़े मॉड्यूल को विदेशी हैंडलरों ने बम बनाने की तकनीक, प्रशिक्षण और निर्देश एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स के ज़रिए दिए थे। डॉक्टर मुज़म्मिल अहमद गनई, जिन्हें विस्फोट से 10 दिन पहले गिरफ्तार किया गया था, को अकेले “हंज़ुल्लाह” नामक विदेशी हैंडलर ने 42 DIY बम-निर्माण वीडियो भेजे थे। इन वीडियो के आधार पर मॉड्यूल ने IED और अन्य विस्फोटक सामग्री तैयार की थी।

जांच अधिकारियों के अनुसार, ये हैंडलर — “हंज़ुल्लाह”, “निसार” और “उकासा”— संभवतः छद्म नामों का उपयोग कर रहे थे। इनमें से “उकासा” के तुर्की में होने की आशंका है। एजेंसियाँ अब यह पता लगा रही हैं कि क्या इन्हीं विदेशी हैंडलरों का हाथ दक्षिण भारत में पिछले कुछ वर्षों में हुए DIY बम धमाकों में भी था। इन धमाकों में कोयंबटूर कार आत्मघाती विस्फोट (2022), मंगलुरु ऑटोरिक्शा ब्लास्ट (2022) और बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट (2024) शामिल हैं।

2,500 किलो विस्फोटक जब्त, व्यापक नेटवर्क के संकेत

डॉ. मुज़म्मिल गनई की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनके ठिकाने से 2,500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री, जिनमें 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल था, बरामद किया। जांचकर्ताओं का कहना है कि यह मात्रा बताती है कि मॉड्यूल एक बड़े हमले की योजना बना रहा था और मॉड्यूल को “रिमोट” हैंडलरों से लगातार दिशा-निर्देश मिल रहे थे।

गनई, आरोपी उमर नबी के सहयोगी थे, जिसने दिल्ली में ब्लास्ट अंजाम दिया था। मॉड्यूल की गतिविधियों से साफ है कि उन्हें न केवल तकनीकी सामग्री दी गई थी बल्कि उन्हें “सुसाइड अटैक की ओर प्रेरित” भी किया गया था।

शाहिद फ़ैसल—भारत से तुर्की-सीरिया बॉर्डर तक सक्रिय कॉमन हैंडलर

जांच में सबसे बड़ा नाम मोहम्मद शाहिद फ़ैसल का सामने आया है, जो “कर्नल”, “लैपटॉप भाई” और “भाई” जैसे कोड-नेम से जाना जाता है। फ़ैसल 2012 में बेंगलुरु में एक लेT (LeT) मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद लापता हो गया था और माना जाता है कि वह भारत से भागकर पहले पाकिस्तान, फिर सीरिया-तुर्की बॉर्डर पहुंच गया।

फ़ैसल दक्षिण भारत के कई मॉड्यूल को सक्रिय करने में केंद्रीय भूमिका निभाता रहा है—

  • कोयंबटूर कार सुसाइड ब्लास्ट (2022)
  • मंगलुरु ऑटो विस्फोट (2022)
  • बेंगलुरु रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट (2024)

NIA द्वारा गिरफ्तार दो अभियुक्त — मुस्साविर हुसैन शाज़िब और अबदुल मतीन ताहा — की डिजिटल जांच में पता चला कि फ़ैसल ने उन्हें दर्जनों बम-निर्माण वीडियो और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से धन भेजा था। ताहा, एक IT इंजीनियर था, जिसे दक्षिण भारत में IS-लिंक्ड मॉड्यूलों को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

दक्षिण भारत और दिल्ली मॉड्यूल—समान पैटर्न, समान प्लेटफॉर्म

कर्नाटक और तमिलनाडु के हालिया ब्लास्ट मामलों में जिस तरह से अभियुक्तों ने

  • उर्वरक (urea),
  • अमोनियम नाइट्रेट,
  • बैटरियां,
  • पाइप बम कंपोनेंट
    जैसी रोजमर्रा की चीजों का उपयोग कर DIY IED तैयार किए,

उसी विधि का उपयोग रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्यूल ने भी किया। यही कारण है कि जांच एजेंसियां इसे “कंट्रोल्ड, रिमोट-गाइडेड मॉड्यूल” मान रही हैं।

इसके अलावा, सभी मॉड्यूल Signal, Session और Telegram जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का उपयोग कर रहे थे—जहाँ से बम-निर्माण वीडियो और निर्देश शेयर किए गए।

कोयंबटूर कार ब्लास्ट से सबसे करीबी समानता

2022 के कोयंबटूर कार सुसाइड ब्लास्ट में भी एक युवा इंजीनियर जेमशा मुबीन ने एक सेकेंड-हैंड Maruti 800 कार का उपयोग कर IED विस्फोट करवाया था। जांच में पता चला कि उसे ऑनलाइन “DIY जिहाद” की ओर उकसाने वाले विदेशी हैंडलरों से प्रेरणा और निर्देश मिले थे। उसकी संपत्तियों से पोटेशियम नाइट्रेट, रेड फॉस्फोरस, PETN जैसे केमिकल्स और बम-निर्माण वाले डिजिटल कंटेंट मिले थे।

NIA को संदेह है कि मुबीन और गनई दोनों को “कॉमन हैंडलर” के जरिए IED बनाना सिखाया गया था।

एक चौंकाने वाली समानता यह है कि मुबीन और मंगलुरु आरोपी मोहम्मद शारिक ने IED के “टेस्ट ब्लास्ट” दूरस्थ नदी किनारों पर किए थे—ठीक वैसे ही परीक्षण दिल्ली मॉड्यूल में भी संदिग्ध बताए गए हैं।

2020–2025: भारत में IS-लिंक्ड मॉड्यूलों का उभार

जांच अधिकारियों के अनुसार, 2020 से 2025 के बीच भारत में कई IS-फ्रंटेड मॉड्यूल तैयार हुए—दिल्ली, पुणे, पादघ, कर्नाटक और तमिलनाडु में। इनमें एक समानता थी—

  • युवा IT इंजीनियर या प्रोफेशनल
  • ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन
  • DIY IED निर्माण
  • विदेशी हैंडलरों द्वारा रिमोट प्रशिक्षण

NIA का कहना है कि फ़ैसल कर्नाटक–तमिलनाडु मॉड्यूल का मुख्य हैंडलर है, जबकि दिल्ली–पुणे–पादघ मॉड्यूल “राशिद” नामक एक लापता संदिग्ध द्वारा निर्देशित थे।

दिल्ली मॉड्यूल की जांच—आगे क्या?

दिल्ली ब्लास्ट के बाद NIA ने दक्षिण भारत के जेलों में बंद कई IS-लिंक्ड अभियुक्तों से पूछताछ की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि “हंज़ुल्लाह”, “निसार” और “उकासा” नामों के पीछे कौन लोग सक्रिय हैं।

जांच एजेंसियों का मानना है कि एक बड़ा रिमोट कंट्रोल्ड टेरर नेटवर्क पिछले पाँच वर्षों में भारत में सक्रिय रहा है, जो घरेलू युवाओं को ऑनलाइन उकसाकर DIY IED तकनीक सिखाता रहा है।

 

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