Viral ‘19-Minute Video’ पर बड़ा अलर्ट: लिंक शेयर किया तो जेल और भारी जुर्माना | IT Act की सख्त चेतावनी

सोशल मीडिया पर वायरल 19-मिनट MMS को लेकर साइबर एक्सपर्ट्स ने चेताया—देखना, शेयर करना दोनों अपराध; IT Act के तहत हो सकती है गिरफ्तारी

newsdaynight
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Viral 19-Minute Video: शेयर किया तो जेल | (PHOTO: Social media)

सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल रहे ‘19-minute viral MMS’ ने इंटरनेट पर हड़कंप मचा दिया है। वीडियो की authenticity की कोई पुष्टि नहीं है, फिर भी इसे लेकर बड़े पैमाने पर speculation और गलत पहचान का शिकार बनने की घटनाएँ सामने आ रही हैं।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और कानूनी जानकारों ने साफ चेतावनी दी है—इस तरह के unverified, Deepfake-संदिग्ध वीडियो को देखना, फॉरवर्ड करना या पोस्ट करना भी IT Act 2000 के तहत गंभीर अपराध है।

मुख्य तथ्य

  • ‘19-Minute Viral MMS’ की authenticity की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
  • Cyber experts का कहना है—वीडियो deepfake या डिजिटल manipulation हो सकता है।
  • Unverified वीडियो forward करने पर जेल और भारी जुर्माना लग सकता है (IT Act 2000 के तहत)।
  • वीडियो से गलत पहचान की घटनाएँ व ऑनलाइन harassment बढ़ा है।
  • Experts ने लोगों से अपील की—ऐसी सामग्री का प्रसार न करें; यह कानूनन अपराध है और ethically भी गलत।

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक कथित ‘19-minute viral MMS’ तेजी से शेयर किया जा रहा है, जिसके कारण इंटरनेट पर अफरा-तफरी मची हुई है। वीडियो में दिख रहे व्यक्तियों की पहचान को लेकर कई तरह की भ्रामक चर्चाएँ फैल रही हैं, जबकि इसकी सत्यता की पुष्टि किसी भी विश्वसनीय स्रोत ने नहीं की। इस बीच, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और कानूनी विशेषज्ञों ने कड़ी चेतावनी जारी की है कि इस तरह का वीडियो देखना, सेव करना, या फॉरवर्ड करना भी भारतीय कानून के तहत अपराध है।

Deepfake का शक, डिजिटल धोखाधड़ी की आशंका

कई fact-checkers और cybersecurity analysts ने आशंका जताई है कि यह वीडियो एक deepfake हो सकता है—यानी AI आधारित डिजिटल तकनीक से बनाया गया नकली कंटेंट।
पिछले कुछ दिनों में इस वीडियो की कई अलग-अलग versions सामने आए हैं, जिनमें समान तरह का manipulated कंटेंट देखा गया। Experts का कहना है कि इससे स्पष्ट होता है कि यह कोई isolated incident नहीं, बल्कि एक उभरती हुई digital exploitation trend है, जिसमें संवेदनशील और निजी सामग्री को manipulate करके वायरल किया जाता है।

गलत पहचान और उत्पीड़न का संकट

सबसे खतरनाक पहलू यह है कि वीडियो के कारण कई निर्दोष लोगों को online harassment का सामना करना पड़ा है। बिना किसी सबूत के सोशल मीडिया यूज़र्स वीडियो में दिख रही कथित पहचान के बारे में अंदाजे लगाते हैं और इससे व्यक्ति की privacy तथा reputation को गंभीर नुकसान पहुँचता है।
Cyber lawyers का कहना है कि गलत पहचान के आधार पर बदनाम करने या किसी का नाम उछालने पर भी IPC की कई धाराएँ लागू हो सकती हैं, जिनमें आपराधिक मानहानि और साइबर स्टॉकिंग शामिल हैं।

IT Act 2000: वीडियो शेयर करने पर जेल कैसे हो सकती है?

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस वीडियो को फॉरवर्ड करना या प्रसारित करना निम्न धाराओं के तहत अपराध बनता है:

  • IT Act Section 67 & 67A – sexually explicit या objectionable content प्रसारित करना
  • IT Act Section 66E – किसी की privacy का electronic माध्यम से उल्लंघन
  • IPC Section 354C – Voyeurism
  • IPC Section 500/509 – मानहानि और अपमानजनक व्यवहार

इन धाराओं के तहत 3 से 7 साल तक की जेल और लाखों रुपये का जुर्माना संभव है।
Experts ने साफ कहा—“अगर आप सिर्फ forward भी करते हैं, तब भी आप कानून के दायरे में आते हैं।”

लोग क्या करें? Cyber Experts की सलाह

  1. किसी भी unverified MMS/video को न देखें और न शेयर करें।
  2. Deepfake पहचानने के लिए हमेशा trusted fact-check sources पर भरोसा करें।
  3. किसी भी link पर क्लिक न करें—कई ऐसे links malware/phishing traps भी हो सकते हैं।
  4. अगर कोई वीडियो गलती से मिले, तुरंत report और delete करें।
  5. गलत पहचान, harassment या morphed कंटेंट की पीड़ितों को तुरंत cyber cell में शिकायत करनी चाहिए।

 

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