Congress सांसद शशि थरूर को NGO HRDS India द्वारा दिए जाने वाले “Veer Savarkar International Impact Award” को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। थरूर ने साफ कहा कि वे यह सम्मान स्वीकार नहीं करेंगे और आयोजकों ने उनकी अनुमति लिए बिना नाम की घोषणा कर दी। वहीं NGO का दावा है कि थरूर पहले ही इस सम्मान पर सहमति जता चुके थे।
मुख्य तथ्य
- Shashi Tharoor ने कहा—वे Savarkar Award स्वीकार नहीं करेंगे, न कोई सहमति दी थी।
- NGO HRDS India का दावा—थरूर को एक महीने पहले ही जानकारी दी गई थी, दो मीटिंग भी हुईं।
- Award समारोह में Rajnath Singh और Manoj Sinha होंगे मुख्य अतिथि।
- Congress नेताओं ने थरूर की हालिया गतिविधियों पर सवाल उठाए—खासकर Putin Dinner में शामिल होने पर।
- विवाद ने Congress के अंदर वैचारिक खींचतान और थरूर की स्थिति पर नई बहस छेड़ दी।
Congress सांसद और वरिष्ठ नेता Shashi Tharoor एक नए राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गए हैं, जब उन्हें NGO HRDS India की ओर से दिए जाने वाले “Veer Savarkar International Impact Award” के लिए चुना गया। सोमवार शाम यह खबर सामने आते ही थरूर ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे न तो इस पुरस्कार के बारे में जानते थे और न ही उन्होंने इसे स्वीकार करने की सहमति दी थी। उन्होंने आयोजकों पर “बिना अनुमति नाम घोषित करने की गैर-जिम्मेदारी” का आरोप लगाया।
थरूर ने X (Twitter) पर जारी बयान में कहा, “मैं यह घोषणा मीडिया रिपोर्ट्स से जान पाया। तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बातचीत में मैंने स्पष्ट किया कि न मुझे इसकी जानकारी थी और न ही मैंने इसे स्वीकार किया था।” उन्होंने कहा कि बिना किसी संदर्भ, विवरण या स्पष्टीकरण के ऐसा पुरस्कार स्वीकार करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।

NGO का दावा—“थरूर ने पहले ही हां कही थी”
लेकिन कहानी यहीं दूसरी तरफ मुड़ जाती है जब HRDS India के संस्थापक–सचिव Aji Krishnan ने दावा किया कि थरूर न केवल इस पुरस्कार पर पहले से सहमत थे, बल्कि उनसे दो बार मुलाकात भी की गई थी।
Krishnan ने कहा, “हमने एक महीने पहले उनके घर जाकर Award की जानकारी दी थी। दो हफ्ते पहले हमारे Jury Chairman ने भी उनसे मुलाकात की। उन्होंने अन्य पुरस्कार विजेताओं के बारे में पूछा था और हमनें जानकारी साझा की। कहीं भी आपत्ति नहीं जताई गई। हमें लगता है कि अब Congress के दबाव में वे पीछे हट रहे हैं।”
NGO का कहना है कि थरूर को यह पुरस्कार उनकी “global credentials” और “भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले कार्यों” के लिए चुना गया। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने हाल ही में उन्हें Operation Sindoor के बाद विदेशों में भारत का पक्ष रखने के लिए विशेष प्रतिनिधिमंडल में भी भेजा था।
कांग्रेस के भीतर बढ़ते सवाल
थरूर द्वारा Putin के सम्मान में दिए गए State Dinner में शामिल होने के बाद ही कांग्रेस नेतृत्व की ओर से उन पर संदेह जताया गया था। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा था कि “जो लोग यह निमंत्रण भेजते हैं उन पर भी सवाल हैं और जो स्वीकार करते हैं वे भी जांच के दायरे में हैं।” उन्होंने संकेत दिया था कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व — राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे — को आमंत्रित न करके केंद्र सरकार ने संदेश देने की कोशिश की।
अब Savarkar Award विवाद के बीच कांग्रेस के कई नेताओं ने खुले तौर पर थरूर पर वैचारिक विचलन का आरोप लगाया है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के. मुरलीधरन ने कहा कि “कांग्रेस का कोई नेता Savarkar के नाम पर दिया जाने वाला पुरस्कार स्वीकार नहीं कर सकता। यह दल की विचारधारा के खिलाफ है।”
वहीं CPI(M) नेता पी. राजीव ने कहा, “कांग्रेस में अब ऐसा माहौल है जहाँ कोई RSS विचारधारा को स्वीकार कर भी पार्टी में बना रह सकता है।”
Award Ceremony का राजनीतिक महत्व
इस पुरस्कार का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे और कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के LG मनोज सिन्हा भी मुख्य अतिथि रहेंगे। Tharoor उन छह पुरस्कार विजेताओं में शामिल बताए गए थे।
परंतु अब स्थिति साफ है—थरूर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे और न ही यह सम्मान स्वीकार करेंगे। यह निर्णय राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि Savarkar पर कांग्रेस और BJP की विचारधाराएँ बिल्कुल उलट हैं।
विवाद को क्या दिशा मिलेगी?
थरूर का दावा और NGO की तरफ से आए आरोप—दोनों की बातें बिल्कुल परस्पर विरोधी हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह विवाद सिर्फ संवादहीनता का परिणाम है या कांग्रेस के भीतर बढ़ती वैचारिक खींचतान की एक और मिसाल?
थरूर लंबे समय से पार्टी में एक “स्वतंत्र आवाज़” माने जाते हैं—कभी-कभी पार्टी लाइन के विपरीत सार्वजनिक मत भी रखते आए हैं। इस विवाद के चलते यह बहस फिर से तेज हो गई है कि क्या कांग्रेस और थरूर राजनीतिक दृष्टिकोण में एक ही पन्ने पर हैं।


