कौन हैं अहमद अल अहमद, जिन्होंने बोंडी बीच हमलावर को पकड़ा

निहत्थे फल विक्रेता की बहादुरी से टली बड़ी त्रासदी

newsdaynight
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अहमद अल अहमद: बोंडी बीच हमले के नायक की कहानी

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बोंडी बीच पर हुई भयावह गोलीबारी के बीच एक आम नागरिक की असाधारण बहादुरी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है। 43 वर्षीय अहमद अल अहमद, जो पेशे से एक फल विक्रेता हैं, ने जान की परवाह किए बिना बंदूकधारी हमलावर पर काबू पाया और दर्जनों लोगों की जान बचाई।

मुख्य तथ्य

  • अहमद अल अहमद की उम्र 43 वर्ष, पेशे से फल विक्रेता
  • बोंडी बीच गोलीबारी के दौरान निहत्थे हमलावर को पकड़ा
  • अहमद को 2 गोलियां लगीं, अस्पताल में इलाज जारी
  • अहमद 2 बच्चों के पिता, सदरलैंड शायर के निवासी
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने की प्रशंसा

 

गोलीबारी के बीच दिखाई अद्भुत हिम्मत

बोंडी बीच पर जब गोलियों की आवाज़ गूंज रही थी और लोग जान बचाकर भाग रहे थे, उसी समय अहमद अल अहमद ने असाधारण साहस का परिचय दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे लगभग 15 सेकंड के वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे अहमद खड़ी कारों के पीछे छिपते हैं और सही मौका देखकर हमलावर की ओर दौड़ पड़ते हैं।
निहत्थे अहमद ने पीछे से हमलावर की गर्दन पकड़ ली, उसकी राइफल छीनकर उसे जमीन पर गिरा दिया और फिर उसी हथियार से उसे काबू में रखा। इस साहसिक कदम ने स्थिति को और भयावह होने से रोक दिया।

खुद घायल हुए, लेकिन पीछे नहीं हटे

बताया जा रहा है कि इस संघर्ष के दौरान अहमद को दो गोलियां लगीं। इसके बावजूद उन्होंने हमलावर को छोड़ा नहीं। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत गंभीर लेकिन स्थिर है।
ऑस्ट्रेलिया में लोग उन्हें अब केवल एक आम नागरिक नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय हीरो के रूप में देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें सलाम कर रहे हैं और उनकी बहादुरी को इंसानियत की मिसाल बता रहे हैं।

परिवार और निजी जीवन

अहमद अल अहमद सिडनी के दक्षिण में स्थित सदरलैंड शायर में रहते हैं। वह दो बच्चों के पिता हैं और एक छोटी सी फल की दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
घटना के समय वह अपने चचेरे भाई के साथ बोंडी बीच पर घूमने गए थे। तभी उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति अंधाधुंध फायरिंग कर रहा है। डरकर भागने के बजाय अहमद ने स्थिति को समझा और तुरंत फैसला लिया कि अगर अभी कदम नहीं उठाया गया, तो कई निर्दोष लोगों की जान जा सकती है।

सीरिया से ऑस्ट्रेलिया तक का सफर

अहमद के माता-पिता हाल ही में सीरिया से ऑस्ट्रेलिया आए हैं। कुछ सप्ताह पहले ही वे अपने बेटे के पास पहुंचे थे। अहमद की पहले भी कंधे की सर्जरी हो चुकी है, इसके बावजूद उन्होंने शारीरिक कमजोरी को अपनी बहादुरी के आड़े नहीं आने दिया।
उनके इस कदम को प्रवासी समुदायों के बीच भी गर्व के रूप में देखा जा रहा है, जहां एक साधारण व्यक्ति ने असाधारण साहस दिखाया।

दुनिया भर से मिल रही प्रशंसा

अहमद की बहादुरी की गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इस घटना का जिक्र करते हुए कहा,

“एक बेहद बहादुर व्यक्ति ने सीधे हमलावर पर हमला किया और कई लोगों की जान बचाई। वह गंभीर रूप से घायल है, लेकिन उसने जो किया वह अविश्वसनीय साहस का उदाहरण है।”

वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कैबिनेट बैठक में अहमद के साहस को “वीरता की पराकाष्ठा” बताया और उनकी बहादुरी को सलाम किया।
ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के बीच भी यह मांग उठ रही है कि अहमद को राष्ट्रीय सम्मान दिया जाना चाहिए।

 

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