वैभव सूर्यवंशी को लेकर BCCI अलर्ट, चेतावनी दी—‘मेहनत बेकार न हो’

14 साल के बल्लेबाज़ की तूफानी पारियां, लेकिन विकास को लेकर बढ़ी चिंता

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वैभव सूर्यवंशी पर BCCI अलर्ट

महज़ 14 साल की उम्र में बिहार के युवा ओपनर Vaibhav Suryavanshi ने जिस तरह रन बरसाए हैं, उसने क्रिकेट जगत का ध्यान खींचा है।
हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी में उनकी 84 गेंदों पर 190 रन की पारी ने रिकॉर्ड बनाए, लेकिन अब BCCI और पूर्व चयनकर्ताओं ने उनके सही विकास को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

मुख्य तथ्य

  • वैभव सूर्यवंशी ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 84 गेंदों पर 190 रन बनाए
  • बिहार विजय हजारे ट्रॉफी के प्लेट ग्रुप में खेल रहा है
  • पूर्व चयनकर्ता देवांग गांधी ने BCCI को “प्रोएक्टिव” होने की सलाह दी
  • चेतावनी दी गई कि कमजोर स्तर का क्रिकेट “गलत आदतें” डाल सकता है
  • वैभव को कठिन फर्स्ट क्लास (Red-ball) क्रिकेट की जरूरत बताई गई

कम उम्र, बड़ा धमाका

क्रिकेट फैंस के लिए वैभव सूर्यवंशी अब कोई नया नाम नहीं हैं। सिर्फ एक साल में उन्होंने यह दिखा दिया है कि उनकी बैट स्पीड और पावर सीनियर खिलाड़ियों को भी टक्कर देती है। अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ 190 रन की विस्फोटक पारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया। इससे पहले IPL में Rajasthan Royals के लिए उनकी रिकॉर्ड शतकीय पारी को भी क्रिकेट प्रेमी नहीं भूले हैं।

Vaibhav Suryavanshi Batting

असल चिंता कहां है?

हालांकि, समस्या उनकी प्रतिभा नहीं, बल्कि वह स्तर है जिस पर वे फिलहाल खेल रहे हैं। बिहार इस समय विजय हजारे ट्रॉफी के प्लेट ग्रुप में है, जहां गेंदबाज़ी का स्तर उस चुनौती के बराबर नहीं है, जिसका सामना उन्हें आगे चलकर इंटरनेशनल क्रिकेट में करना होगा।
पूर्व भारतीय चयनकर्ता Devang Gandhi ने कहा कि ऐसे रिकॉर्ड चयनकर्ताओं को सही आकलन करने में मदद नहीं करते।

गलत आदतें’ पड़ने का खतरा

देवांग गांधी के अनुसार, कमजोर विरोधियों के खिलाफ लगातार बड़े रन बनाने से युवा खिलाड़ी में गलत आदतें विकसित हो सकती हैं। बाद में इन्हें सुधारने में दोगुनी मेहनत लगती है।
उन्होंने साफ कहा कि चयनकर्ता इन रिकॉर्ड्स को गंभीरता से नहीं लेते और BCCI को ऐसे टैलेंटेड खिलाड़ियों के लिए एक “पैरलल सिस्टम” बनाना चाहिए, ताकि वे उच्च स्तर का क्रिकेट खेल सकें।

फर्स्ट क्लास क्रिकेट क्यों ज़रूरी?

गांधी ने जोर देकर कहा कि वैभव के विकास के लिए कठिन फर्स्ट क्लास (Red-ball) क्रिकेट बेहद जरूरी है। अभी वे ज़्यादातर White-ball क्रिकेट खेल रहे हैं, जहां चुनौतियां सीमित हैं।
लंबे स्पेल, स्विंग और सीम मूवमेंट के सामने खेलना ही उन्हें असली टेस्ट देगा, जो किसी भी युवा बल्लेबाज़ के लिए सबसे बड़ा सीखने का मंच होता है।

मेहनत बेकार नहीं जानी चाहिए’

सबसे अहम चेतावनी यही है कि वैभव जो घंटे घरेलू क्रिकेट में लगा रहे हैं, वे “meaningless” न हो जाएं।
उनके पास असाधारण टैलेंट है, लेकिन असली सुधार तभी होगा जब उन्हें लगातार मुश्किल परिस्थितियों में खेलने का मौका मिले।
फिलहाल वे बिहार के लिए विजय हजारे ट्रॉफी में खेलते रहेंगे और आने वाले समय में IPL में RR के लिए फर्स्ट चॉइस ओपनर भी माने जा रहे हैं। अब चुनौती है—इस छलांग को सीनियर क्रिकेट तक सही तरीके से पूरा करना।

 

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