भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों की आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस इस महीने 23 और 24 अक्टूबर को जैसलमेर में आयोजित होगी। इस बैठक में अग्निवीर रिटेंशन दर को मौजूदा 25% से बढ़ाकर 75% तक करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। साथ ही तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता बढ़ाने और मिशन सुदर्शन चक्र की प्रगति पर भी चर्चा होगी।
मुख्य तथ्य
- अग्निवीरों की रिटेंशन दर 25% से बढ़ाकर 75% करने का प्रस्ताव।
- जैसलमेर में 23-24 अक्टूबर को होगी दूसरी चरण की कॉन्फ्रेंस।
- तीनों सेनाओं के एकीकरण और थिएटर कमांड गठन पर फोकस।
- मिशन सुदर्शन चक्र की समीक्षा भी एजेंडे में शामिल।
- वेटरन सैनिकों के अनुभव का बेहतर उपयोग करने पर भी विचार।
भारतीय सेना की सालाना रणनीतिक बैठक आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का दूसरा चरण इस बार जैसलमेर में 23 और 24 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा। इस बैठक का सबसे अहम मुद्दा होगा — अग्निवीर रिटेंशन दर को बढ़ाने का प्रस्ताव। सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा 25% रिटेंशन दर को 75% तक बढ़ाने की संभावना पर चर्चा की जाएगी। यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अग्निवीरों की पहली बैच अगले साल चार साल की सेवा पूरी करने जा रही है।
अग्निवीर नीति में बड़ा बदलाव संभव
अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती हुए जवानों में से केवल 25% को स्थायी सेवा में रखा जाता है। लेकिन अब सेना के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि 75% तक अग्निवीरों को स्थायी रूप से रखा जाए, ताकि प्रशिक्षित और अनुभवी सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा सके। यह प्रस्ताव अगर स्वीकृत होता है, तो यह योजना में सबसे बड़ा सुधार साबित हो सकता है।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि पहले बैच के अग्निवीरों के प्रदर्शन और प्रशिक्षण अनुभव के बाद यह बदलाव सेना की क्षमता और मनोबल दोनों को मजबूत करेगा।
तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता पर फोकस
इस कॉन्फ्रेंस में एक अन्य प्रमुख एजेंडा तीनों सेनाओं — थलसेना, नौसेना और वायुसेना — के बीच जॉइंटनेस (Jointness) बढ़ाने का होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दिशा में कई कदमों पर विचार हो सकता है, जिनमें साझा लॉजिस्टिक सप्लाई चैन, मानकीकृत उपकरण, और संयुक्त प्रशिक्षण शामिल हैं।
साथ ही, तीनों सेनाओं के बीच क्रॉस-पोस्टिंग और ट्राय-सर्विसेज सोशल इंटरैक्शन को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। यह सभी पहलें भारत में भविष्य में थिएटर कमांड सिस्टम लागू करने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही हैं।
मिशन सुदर्शन चक्र और वेटरन सहभागिता
कॉन्फ्रेंस में मिशन सुदर्शन चक्र की प्रगति पर भी चर्चा होगी। यह मिशन तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाने और रक्षा ढांचे को आधुनिक बनाने पर केंद्रित है। इसके अलावा, बढ़ती वेटरन संख्या को ध्यान में रखते हुए उनके अनुभव का बेहतर उपयोग करने के लिए नए विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा।
वर्तमान में वेटरन सैनिकों को सीमित भूमिकाओं में लगाया जाता है, जैसे आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी या ECHS (एक्स-सर्विसमेन हेल्थ स्कीम) क्लीनिकों में। लेकिन अब उन्हें अन्य सैन्य और प्रशासनिक भूमिकाओं में भी शामिल करने की संभावना तलाश की जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बैठक
यह कॉन्फ्रेंस ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद पहली बड़ी बैठक होगी। इस दौरान शीर्ष कमांडर न केवल मौजूदा सुरक्षा हालात की समीक्षा करेंगे, बल्कि आपातकालीन उपकरण मरम्मत, गोला-बारूद स्टॉकिंग और मिशन स्तर पर तैयारियों की स्थिति भी जांचेंगे।
पहला चरण इसी महीने दिल्ली में आयोजित हुआ था, जबकि जैसलमेर की बैठक में ऑपरेशनल रेडीनेस और भविष्य की रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श होने की उम्मीद है।


