मुख्य तथ्य
- असीम मुनीर के बाद बिलावल भुट्टो ने भारत को दी युद्ध की धमकी।
- सिंधु जल संधि पर भारत के कदम को “ऐतिहासिक हमला” बताया।
- कहा—”हर प्रांत का नागरिक युद्ध के लिए तैयार है”।
- पाकिस्तान के कई प्रांतों में पानी की किल्लत की बात दोहराई।
- असीम मुनीर ने पहले परमाणु हथियार के इस्तेमाल की चेतावनी दी थी।
विस्तृत रिपोर्ट
पाकिस्तान से भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर द्वारा अमेरिका की धरती से परमाणु हमले की धमकी देने के कुछ ही दिनों बाद, अब पूर्व पाकिस्तानी विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी युद्ध की चेतावनी दे डाली है।
भुट्टो ने सोमवार को सिंध सरकार के संस्कृति विभाग के एक कार्यक्रम में बोलते हुए सिंधु जल संधि पर भारत के कदम को “ऐतिहासिक हमला” और “संधि का उल्लंघन” करार दिया। उन्होंने कहा,
“हमने अतीत में कई युद्ध लड़े हैं, लेकिन सिंधु नदी पर कभी हमला नहीं हुआ। अगर भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसा कदम उठाने की कोशिश की, तो पाकिस्तान के हर प्रांत का नागरिक युद्ध के लिए तैयार है।”
भुट्टो ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान इतना मजबूत है कि युद्ध के बाद सभी छह नदियों पर दोबारा कब्जा कर सकता है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान कभी झुकेगा नहीं और यह एक ऐसा युद्ध होगा जिसे आप हारेंगे।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। भुट्टो का कहना है कि इस फैसले के बाद पाकिस्तान के कई प्रांतों में पानी की भारी किल्लत हो रही है।
गौरतलब है कि इससे पहले असीम मुनीर ने फ्लोरिडा में एक कार्यक्रम के दौरान भारत को परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, “अगर हमारे अस्तित्व को खतरा हुआ, तो हम अपने साथ आधी दुनिया को ले जाएंगे।”
भारत ने इन धमकियों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पाकिस्तान की यह आदत उसकी गैरजिम्मेदार परमाणु नीति को उजागर करती है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इससे खुद निष्कर्ष निकालना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि ऐसी बयानबाजी, खासकर किसी तीसरे मित्र देश की धरती से करना, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
इन बयानों से साफ है कि सिंधु जल संधि को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, और आने वाले समय में यह विवाद कूटनीतिक मंच से लेकर सुरक्षा एजेंसियों तक गंभीर चर्चा का विषय बना रहेगा।