कभी कंगना रनौत के साथ बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले चिराग पासवान आज बिहार की राजनीति में एक मजबूत चेहरा हैं। उनकी फिल्म मिले ना मिले हम बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई और इसी नाकामी ने उन्हें एहसास दिलाया कि वे फिल्मी दुनिया के लिए नहीं बने। क्यों बॉलीवुड करियर खत्म कर उन्होंने राजनीति में वापसी की—चिराग ने खुद विस्तार से बताया है।
मुख्य तथ्य
- चिराग पासवान और कंगना की फिल्म मिले ना मिले हम ने ₹1 करोड़ भी नहीं कमाए—सिर्फ ₹97 लाख पर सिमटी।
- चिराग बोले—“देश से पहले मुझे समझ आ गया था कि मैं एक डिज़ास्टर हूं।”
- उन्होंने बताया कि डायलॉग याद रखना और मेकअप करना उन्हें सूट नहीं करता था।
- कंगना और चिराग की दोस्ती आज भी कायम—दोनों संसद में दोबारा मिले।
- आज चिराग पासवान NDA सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हैं और बिहार की राजनीति में बड़े खिलाड़ी।
कभी बॉलीवुड में कदम रखने वाले चिराग पासवान आज भारतीय राजनीति में एक बेहद प्रभावशाली चेहरा हैं। 2014 में रिलीज़ हुई उनकी डेब्यू फिल्म मिले ना मिले हम भले ही बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी हो, लेकिन इस नाकामी ने उनकी जिंदगी की दिशा हमेशा के लिए बदल दी। कंगना रनौत के साथ रोमांटिक ड्रामा से शुरुआत करने वाले चिराग ने खुलकर स्वीकार किया है कि फिल्म जगत उनके लिए नहीं था—और यह बात उन्हें दर्शकों से पहले ही समझ आ गई थी।
फिल्म में चिराग ने एक टेनिस खिलाड़ी की भूमिका निभाई थी जिसे कंगना के किरदार से प्यार हो जाता है। फिल्म में कबीर बेदी, पूनम ढिल्लों, सागरिका घाटगे और नीरू बाजवा जैसे कलाकार भी थे, लेकिन भारी स्टारकास्ट भी फिल्म को नहीं बचा सकी। यह फिल्म ₹97 लाख वैश्विक कलेक्शन पर ही सिमट गई—एक दशक बाद भी इसे बॉलीवुड की सबसे बड़ी फ्लॉप्स में गिना जाता है।
“मुझे खुद एहसास हो गया था कि मैं डिज़ास्टर हूं” — चिराग
एक इंटरव्यू में चिराग ने कहा:
“मेरे परिवार में कभी कोई बॉलीवुड में नहीं गया। मैं पहली पीढ़ी था जिसने कोशिश की। लेकिन बहुत जल्दी समझ आया कि यह एक डिज़ास्टर है। देश से पहले मैंने खुद समझ लिया कि मैं डिज़ास्टर हूं। मुझे पता चल गया कि मैं इसके लिए बना ही नहीं हूं।”

उन्होंने बताया कि फिल्म के सेट पर दो लाइन का डायलॉग दिया जाता था, लेकिन वे दो पन्ने बोल देते थे क्योंकि पिता रामविलास पासवान को देखकर उन्हें लगता था कि मंच पर बोले जाने वाली हर बात तत्काल (इम्प्रोम्प्टू) कही जा सकती है।
“मैं बड़े होकर पापा को स्पीच देते देखता था, इसलिए लगा कि डायलॉग भी बस इम्प्रोवाइज़ किए जा सकते हैं। लेकिन यहां तो डायलॉग रटे जाते हैं। मुझे मेकअप पसंद नहीं, डायलॉग याद रखना मुश्किल, और फिल्मी दुनिया अलग ही थी।”
कंगना संग दोस्ती—एकमात्र अच्छी याद
चिराग ने बताया कि फिल्म भले ही फ्लॉप रही हो, लेकिन उनसे मिली एक खास दोस्ती आज भी कायम है।
“एक अच्छी चीज़ जो मेरे अभिनय करियर से आई, वह कंगना के साथ मेरी दोस्ती है। हम फिल्म के बाद भी दोस्त रहे और संसद में दोबारा मिलकर अच्छा लगा।”
कंगना ने भी हाल ही में एक वायरल टिप्पणी में लिखा था—“अब तो वो मुझे देखते ही रास्ता बदल लेते हैं… हमें संसद में बख्श दीजिए।”
फिल्मों से राजनीति तक—क्यों लिया बड़ा फैसला
चिराग पासवान ने कहा कि उनका मुंबई में करियर ठीक चल रहा था, लेकिन बिहारियों के साथ अन्य राज्यों में होने वाले भेदभाव ने उन्हें राजनीति में लौटने का निर्णय करने पर मजबूर किया।
“‘बिहारी’ शब्द एक गाली बन चुका था। यह देखकर अंदर ही अंदर गुस्सा भर गया था।”
2020 में अपने पिता और LJP संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद उन्होंने पार्टी की कमान संभाली। वे 2014 में जमुई से सांसद बने, और आज हाजीपुर से सांसद हैं। अब वे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष हैं, और NDA सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भी।
बिहार चुनावों में दमदार वापसी
हालिया बिहार विधानसभा चुनावों में चिराग की पार्टी ने 29 में से 19 सीटें जीतीं, जो उनकी बड़ी राजनीतिक जीत मानी जा रही है।
कभी उनके विरोधी भी उन्हें कम आंकते थे, लेकिन आज वे NDA के सबसे प्रभावशाली युवा नेताओं में गिने जाते हैं। 2020 में चलाए गए अपने अभियान में चिराग खुद को प्रधानमंत्री मोदी के “हनुमान” के रूप में पेश करते रहे—यह छवि आज भी उनके साथ जुड़ी है।


