दिल्ली का AQI 374 पहुंचा; छात्रों, कार्यकर्ताओं ने दीर्घकालिक समाधान की माँग उठाई

जंतर-मंतर पर ‘जीने के अधिकार’ की पुकार, बेहद खराब हवा में फूटा गुस्सा

newsdaynight
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दिल्ली की हवा ज़हरीली!

दिल्ली में हवा लगातार ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है, और इसी बढ़ते संकट के बीच मंगलवार को जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में छात्र, कार्यकर्ता और नागरिक इकट्ठे हुए। प्रदूषण के खिलाफ इस शांत प्रदर्शन में लोगों ने साफ हवा को मौलिक ‘जीवन के अधिकार’ के रूप में बहाल करने की माँग उठाई। कई ने गैस मास्क और प्रतीकात्मक पोस्टर के साथ सरकार से दीर्घकालिक नीति-स्तर के कदम उठाने की अपील की।

मुख्य तथ्य

  • दिल्ली का AQI 374 तक पहुँचा, जबकि नोएडा और गाज़ियाबाद “गंभीर” श्रेणी में
  • जंतर-मंतर पर छात्रों व कार्यकर्ताओं ने स्वच्छ हवा को “right to life” बताया
  • IITM के अनुसार—दिल्ली की PM प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान परिवहन से (15%)
  • पड़ोसी जिलों का प्रदूषण दिल्ली पर अधिक असर डाल रहा है, पराली का योगदान सिर्फ 43%
  • प्रदर्शनकारियों ने सरकार से ठोस, दीर्घकालिक और विज्ञान-आधारित कार्ययोजना की माँग की

दिल्ली की हवा एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुँच गई है। मंगलवार को राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बढ़कर 374 हो गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है, जबकि नोएडा और गाज़ियाबाद का AQI क्रमशः 454 और 434 दर्ज किया गया—जो ‘गंभीर’ श्रेणी है। ऐसे में हवा की बिगड़ती हालत से परेशान नागरिकों का धैर्य टूटता दिखा, और इसी विरोध की गूंज दिल्ली के जंतर-मंतर पर सुनाई दी, जहाँ छात्र, कार्यकर्ता और कई आम लोग इकट्ठे हुए। यह प्रदर्शन ठीक नौ दिन बाद हुआ जब इंडिया गेट पर प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को हिरासत में लिया गया था।

प्रदर्शनकारियों में कई युवा शामिल थे, जिन्होंने गैस मास्क और पेड़-पौधों से जुड़े प्रॉप्स के जरिए संदेश देने की कोशिश की। अटल नाम के एक प्रदर्शनकारी ने एक अनोखा गैस मास्क पहना हुआ था, जिसके साथ एक कैनिस्टर जुड़ा था जिसमें एक जीवित पौधा रखा गया था। उन्होंने कहा, “मैं चार साल से दिल्ली में रह रहा हूँ, और हर साल हवा पहले से ज्यादा खराब हो रही है। मैं यह ध्यान आकर्षित करने के लिए नहीं पहन रहा, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए पहन रहा हूँ। जैसा साफ पानी खरीदने की आवश्यकता पहले कभी सोची नहीं थी, वैसे ही संभव है कि आने वाले वर्षों में हमें ‘सांस लेने लायक हवा’ भी खरीदनी पड़े।”

AQI में बढ़ोतरी और मौसम विभाग की भविष्यवाणी ने नागरिकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। IITM के अनुसार आने वाले दिनों में भी दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ ही रहने वाली है। सिस्टम के ‘Decision Support System’ (DSS) आंकड़ों के अनुसार—शहर में कणीय प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत परिवहन (18.15%) है। वहीं, पड़ोसी शहरों जैसे गाज़ियाबाद (5.95%) और गौतम बुद्ध नगर (4.85%) का प्रदूषण दिल्ली में प्रवेश कर इसकी हवा को और जहरीला बना रहा है। दिलचस्प रूप से, जिस पराली जलाने को अक्सर दोषी ठहराया जाता है, उसका योगदान इस दिन केवल 5.43% रहा।

लगातार बढ़ते AQI से परेशान दिल्लीवाले
लगातार बढ़ते AQI से परेशान दिल्लीवाले

प्रदर्शन में पहुंचे युवा वकील शुभम गुप्ता ने प्रदर्शनकारियों में 21 सवालों वाले RTI फॉर्म बाँटे। उन्होंने कहा, “पहले दिल्ली सरकार केंद्र पर आरोप लगाती थी। अब केंद्र, दिल्ली, हरियाणा, यूपी—सब जगह एक ही पार्टी की सरकार है, इसलिए जिम्मेदारी तय होना जरूरी है।” उन्होंने यह भी साफ किया कि यह आंदोलन राजनीतिक नहीं है बल्कि जवाबदेही की माँग है। RTI में ऐसे सवाल शामिल थे जैसे—AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों पर पानी छिड़कने का फैसला किसने लिया, क्या कोई अध्ययन किया गया कि बीजिंग या लॉस एंजेलिस ने प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया, और क्या दिल्ली में परिवहन या औद्योगिक प्रदूषण रोकने की कोई दीर्घकालिक योजना है।

स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव ने भी प्रदर्शन को और मजबूती दी। कई छात्रों और शोधार्थियों ने बताया कि उन्हें लगातार सिरदर्द, गले में जलन और थकान जैसी समस्याएँ हो रही हैं। रणविजय नाम के एक पीएचडी छात्र ने कहा, “लगभग हर कोई सिरदर्द की शिकायत कर रहा है। डॉक्टर भी यही कह रहे हैं कि यह हवा की वजह से है और मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं।” हालांकि, उन्होंने मास्क को अल्पकालिक समाधान बताया और कहा कि असली बदलाव तभी आएगा जब नीतिगत स्तर पर सख्त कदम उठाए जाएँ, जैसे—सार्वजनिक परिवहन बढ़ाना, ओड-ईवन जैसी नीतियाँ लागू करना और औद्योगिक प्रदूषण पर सख्ती करना।

इस प्रदर्शन के पीछे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए निर्देशों का भी बड़ा प्रभाव था। कई छात्रों ने कहा कि वे कोर्ट की टिप्पणी के बाद ही जंतर-मंतर पर इकट्ठे हुए, ताकि यह दिखा सकें कि “साफ हवा नागरिकों की वास्तविक मांग है, और सरकार को इसे मौलिक अधिकार की तरह सुनिश्चित करना चाहिए।” प्रदर्शनकारियों के अनुसार, यह सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं बल्कि लोगों के “जीवन के अधिकार” से जुड़ा सवाल है, जिसे अब और नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

जंतर-मंतर पर गूंजते नारों और पोस्टरों ने एक बार फिर यह याद दिलाया कि दिल्ली को सिर्फ आपातकालीन उपायों से नहीं, बल्कि दीर्घकालिक और वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता है। चाहे वह सार्वजनिक परिवहन में सुधार हो, शहर-स्तरीय वायु प्रबंधन योजना हो या पड़ोसी राज्यों के सहयोग से प्रदूषण नियंत्रण—सभी की भूमिका अहम है। प्रदर्शनकारियों का संदेश स्पष्ट था: “हम साफ हवा को अपना अधिकार मानते हैं, और इसे सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है।”

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