इस वर्ष दिवाली के अवसर पर दिल्ली की वायु गुणवत्ता भयावह स्तर पर पहुंच गई। Central Pollution Control Board (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, इस बार राजधानी का औसत AQI 345 दर्ज किया गया, जो पिछले वर्षों से अधिक है। पटाखों की भारी फायरिंग और मौसमी स्थितियों ने स्थिति को गंभीर बना दिया।
मुख्य तथ्य
- दिवाली की रात में दिल्ली-एनसीआर के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर 5 व PM10 का स्तर 1,400-1,800 µg/m³ तक पहुंचा, जो मानक से लगभग 15-20 गुना अधिक है।
- इस वर्ष का AQI 345 रहा, जो पिछले वर्ष 2024 में 328, 2023 में 218 और 2022 में 312 था।
- शाम 8 बजे के बाद प्रदूषण तीव्र हुआ; कुछ स्थानों पर डेटा के बीच गेप भी दर्ज किए गए, अनुमानित उपकरण सैचुरेशन के कारण।
- प्रमुख स्टेशन- एनंद विहार, द्वारका सेक्टर 8, पटपर्गंज व जहांगीरपुरी में रात में अत्यधिक रिकॉर्ड देखने को मिला।
- मौसम तथा वायु प्रवाह की कमी ने धुएँ व धूल को नीचे फँसाए रखा, जिससे प्रदूषण जल्दी कम नहीं हुआ।
इस वर्ष की दिवाली रात दिल्लीवासियों के लिए राहत नहीं बल्कि खतरनाक साबित हुई। पटाखों की होड़ और मौसमी परिस्थितियों की नाकामी ने राजधानी की हवा को “बहुत खराब” श्रेणी तक धकेल दिया। इंद्रप्रस्थ नगर जैसे केंद्रों में रात 10 बजे तक PM2.5 का स्तर 1,763 µg/m³ तक पहुंच गया — राष्ट्रीय 24-घंटे मानक (60 µg/m³) से लगभग 30 गुना अधिक।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के रियल-टाइम डेटा ने रातभर पटाखों की आवाजाही के साथ ही प्रदूषण के चरम स्तर दर्ज किए। उदाहरण स्वरूप एनंद विहार में 2 बजे PM10 स्तर 1,824 µg/m³ तक गया, जबकि द्वारका सेक्टर 8 में 10 बजे 1,602 µg/m³ देखा गया।
CPCB के 24-घंटे औसत AQI के अनुसार इस साल का मान 345 रहा — यह पिछले 3 वर्षों में सबसे खराब स्थिति है। 2024 में यह 328 था, जबकि 2023 में काफी बेहतर स्थिति — 218 दर्ज की गई थी।
मौसम और वायु प्रवाह की अनुकूलता नहीं होने से धुएँ व कण नीचे फँस गए। विशेषज्ञों ने बताया कि रात में वायु शांत होने से प्रदूषण बिखर नहीं सका। DPCC के पूर्व एंटी चेयरपर्सन डॉ. मोहन जॉर्ज ने चेतावनी दी है कि कई मॉनिटरिंग स्टेशन 11 बजे से 5 बजे तक डेटा प्रदत्त नहीं कर पाए, संभवतः उपकरण सैचुरेशन या टेक्निकल गड़बड़ी के कारण।
मौसम में सुधार के बाद सुबह तक कुछ राहत मिली, लेकिन तब भी कई इलाकों में PM2.5 मान अभी भी 300-500 µg/m³ के बीच थे — जो मानक (60 µg/m³) से कई गुना अधिक हैं। उदाहरण स्वरूप मंडिर मार्ग पर सुबह 9 बजे 365µg/m³, रोहिणी में 396µg/m³ दर्ज हुआ।
इस तरह इस दिवाली पर राजधानी की हवा ने एक बार फिर से अलार्म बजा दिया है कि उत्सव के संदर्भ में जारी पटाखे-नेता अनुपालन एवं नियंत्रण नीतियाँ कितनी प्रभावहीन साबित हो रही हैं।


