हिंदी सिनेमा के महान कलाकार धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पंजाब के एक छोटे से गाँव से निकलकर छह दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले धरम पाजी अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका सफर, उनकी मुस्कान और उनका विनम्र स्वभाव अब केवल यादों में बचेगा।
मुख्य तथ्य
- धर्मेंद्र ने 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और पांच दशकों तक सुपरस्टार बने रहे।
- ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘यादों की बारात’ जैसी क्लासिक फिल्मों में अमर किरदार दिए।
- 1970 का दशक उनके करियर और निजी जीवन—दोनों के लिए निर्णायक रहा।
- Hema Malini के साथ उनकी जोड़ी ऑन-स्क्रीन और फिर ऑफ-स्क्रीन सुपरहिट रही।
- अंतिम फिल्म ‘इक्कीस’ इस साल 25 दिसंबर को रिलीज़ होगी।
धर्मेंद्र—एक ऐसा नाम, जो पीढ़ियों के दिलों में दर्ज है। एक ऐसा अभिनेता, जिसे लोग सिर्फ़ पर्दे पर नहीं, अपनी ज़िंदगी में भी “धरम पाजी” कहकर अपनाते थे। 89 साल की उम्र में उनका जाना हिंदी सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है।
गाँव से आए, सितारा बनकर दुनिया को रोशन किया
1935 में पंजाब के लुधियाना ज़िले के एक गाँव में जन्मे धर्मेंद्र एक स्कूल शिक्षक के बेटे थे। फिल्मों का सपना देखते हुए उन्होंने एक फिल्म मैगज़ीन द्वारा आयोजित टैलेंट कॉन्टेस्ट जीता। यही वह पल था जिसने उन्हें सीधे मुंबई पहुँचा दिया। 1960 में दिल भी तेरा हम भी तेरे से शुरुआत हुई, लेकिन पहचान मिली शोला और शबनम (1961), अनपढ़ (1962) और बंदिनी (1963) से।
जल्द ही उनकी गंभीर और सरल अदाकारी ने आलोचकों और दर्शकों दोनों का दिल जीत लिया।
वो दशक जिसने धरम पाजी को ‘He-Man’ बना दिया
1970 का दशक धर्मेंद्र के करियर का स्वर्णिम काल था। जीवन मृत्यु, गुड्डी, यादों की बारात, ब्लैकमेल, प्रतिग्या, चुपके चुपके, सीता और गीता, धर्म वीर जैसी फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया।
एक तरफ़ ‘शोले’ का वीरू लोगों की हंसी और आंसू दोनों का कारण बना, तो दूसरी तरफ़ मेरा गांव मेरा देश और द बर्निंग ट्रेन जैसी फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड का “He-Man” बना दिया।
लेकिन एक दिलचस्प बात यह रही कि उनका बाहरी दमखम और एक्शन रोल्स उनके असल स्वभाव से बिलकुल अलग थे—क्योंकि निजी जीवन में वे बेहद विनम्र, शांत और स्नेहिल इंसान थे।
हृषिकेश मुखर्जी ने चुपके चुपके (1975) में उनकी कॉमिक टाइमिंग की जो झलक दिखाई, वह आज भी unmatched मानी जाती है।

हृषिकेश दा ने एक इंटरव्यू में कहा था—
“वह सिर्फ़ अच्छे अभिनेता नहीं, एक अद्भुत इंसान भी हैं।”
हेमा मालिनी से मुलाकात—एक फ़िल्मी प्रेम कहानी
1970 में तुम हसीन मैं जवान की शूटिंग ने धर्मेंद्र की ज़िंदगी का रुख बदल दिया। यहाँ उनकी मुलाकात हुई हेमा मालिनी से—जो बाद में उनकी जीवनसाथी बनीं।
हालाँकि उस समय धर्मेंद्र शादीशुदा थे और चार बच्चों के पिता, लेकिन हेमा और धरम की chemistry इतनी गहरी थी कि परिवार के विरोध के बावजूद दोनों ने शादी कर ली।
एक अनोखी व्यवस्था बनी—धरम अपने पहले परिवार के साथ रहते रहे, और हेमा उनके घर के पास। उनकी बेटियाँ—ईशा देओल और अहाना देओल—आज भी पिता से गहरा लगाव रखती हैं।
फिल्म निर्माता और नई पीढ़ी को लॉन्च करने वाले पिता
1983 में धर्मेंद्र ने Vijayta Films की स्थापना की और अपने बेटे सनी देओल को बेताब से लॉन्च किया। इसके बाद घायल, बरसात, सोचा ना था और हाल ही में करन देओल की पल पल दिल के पास तक—वह नए कलाकारों के मार्गदर्शक बने रहे।
राजनीति की पारी
2004 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और राजस्थान की बीकानेर सीट से सांसद बने। 2009 तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन फिर राजनीति से दूरी बना ली।
आखिरी सांस तक अभिनय — और सबसे लंबा करियर
धर्मेंद्र ऐसे इकलौते अभिनेता हैं जो 35+ साल तक लगातार लीड रोल में नज़र आए।
यमला पगला दीवाना: फिर से (2018) उनका अंतिम मुख्य किरदार था।
लेकिन उन्होंने उम्र के अंतिम वर्षों में भी शानदार सहायक भूमिकाएँ कीं—
लाइफ इन ए… मेट्रो, जॉनी गद्दार और हाल ही में रॉकी और रानी की प्रेम कहानी।
उनकी अंतिम फिल्म ‘इक्कीस’ इस साल 25 दिसंबर को रिलीज़ होगी। यही उनकी अमर विरासत की अंतिम झलक होगी।


