- राहुल गांधी के आरोप
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेजेंटेशन के दौरा चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए:
- “बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख से अधिक वोट चोरी” का दावा
- कांग्रेस की 40 सदस्यीय टीम द्वारा किए गए विश्लेषण का हवाला
- फर्जी पते, डुप्लीकेट वोटर और संदिग्ध फॉर्म-6 आवेदनों का आरोप
- “चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहा है” – राहुल गांधी
राहुल ने दावा किया कि महादेवपुरा में भाजपा को 1.14 लाख वोटों की बढ़त मिली, जिसके कारण वह 32,707 वोटों से सीट जीत पाई।
- चुनाव आयोग का जवाब
आयोग ने राहुल गांधी को दो विकल्प दिए हैं:
- घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर अपने आरोपों की पुष्टि करें
- देश से माफी मांगें “निराधार आरोपों” के लिए
आयोग के सूत्रों ने कहा:
“अगर राहुल गांधी को अपने विश्लेषण पर विश्वास है, तो उन्हें घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो इसका मतलब है कि वे अपने ही आरोपों पर यकीन नहीं रखते। ऐसे में उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।”
आयोग ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि:
- राहुल अपने हस्ताक्षर वाले पत्र नहीं भेजते
- आयोग की प्रतिक्रिया को बाद में “अस्वीकार” कर देते हैं
- पिछले उदाहरण (दिसंबर 2024 में महाराष्ट्र मामले) का हवाला दिया
- कर्नाटक CEO की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल को पंजीकृत निर्वाचक नियम, 1960 के तहत:
- घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा
- विशिष्ट शिकायतें और सबूत मांगे
- “आपसे अनुरोध है कि हस्ताक्षरित घोषणा पत्र जमा करें ताकि कार्रवाई शुरू की जा सके”
- प्रियंका गांधी का बयान
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया से कहा:
- “राहुल गांधी ने गंभीर खुलासे किए हैं… जांच होनी चाहिए”
- “अफिडेविट मांगने के बजाय मामले की जांच करें”
- “लोकतंत्र को नष्ट करने वालों को जवाब देना होगा”
विश्लेषण:
- यह विवाद चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठाता है
- आयोग का रुख “सबूत या माफी” का दबाव दिखाता है
- राजनीतिक दलों के बीच विश्वास की कमी को उजागर करता है