कभी ‘भद्दा लैंप’ कहा गया, लगभग तोड़ी गई थी Eiffel Tower

आज जिसे प्यार और रोमांस का प्रतीक माना जाता है, वही Eiffel Tower एक समय “भद्दा ढांचा” और “बेकार लोहा” कहकर अपमानित किया गया था। जानिए, कैसे गुस्ताव एफिल ने इसे विनाश से बचाया।

newsdaynight
newsdaynight
5 Min Read
Eiffel Tower जिसे कभी भद्दा कहा गया, आज दुनिया का प्रतीक

पेरिस की पहचान बन चुकी Eiffel Tower आज दुनिया भर के प्रेमियों के लिए सपनों का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे कभी “बेकार,” “भद्दा,” और “एक दुखद स्ट्रीट लैंप” कहा गया था? 20 साल की अस्थायी अनुमति पर बनी यह लौह संरचना एक समय विध्वंस के कगार पर थी, जब तक कि इसके निर्माता गुस्ताव एफिल ने इसे विज्ञान का केंद्र बनाकर बचा नहीं लिया।

मुख्य तथ्य

  • Eiffel Tower को शुरू में सिर्फ 20 साल के लिए अनुमति दी गई थी।
  • 1889 में विश्व मेले के लिए इसे बनाया गया था।
  • कलाकारों और लेखकों ने इसे “भद्दा” और “बेकार” कहा था।
  • गुस्ताव एफिल ने इसे वैज्ञानिक प्रयोग केंद्र बनाकर बचाया।
  • कुछ सिद्धांतों के अनुसार, निकोल टेस्ला के विचारों ने टॉवर की डिज़ाइन को प्रभावित किया।

आज Eiffel Tower पेरिस की आत्मा माना जाता है — लाखों पर्यटकों की मुस्कान, प्रेम प्रस्तावों की साक्षी और फिल्मों का रोमांटिक दृश्य। लेकिन इसकी शुरुआत उतनी शानदार नहीं थी। 19वीं सदी के अंत में जब यह टॉवर बन रहा था, तब पेरिस के कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने इसे शहर की “बदसूरत धातु की चादर” कहकर नकार दिया था।

कैसे शुरू हुआ Eiffel Tower का सपना?

1884 में दो फ्रेंच इंजीनियर — एमिल नोउगुइयर (Emile Nouguier) और मॉरिस कोशलिन (Maurice Koechlin) — ने 300 मीटर ऊंचे एक लौह टॉवर का विचार रखा। उनके बॉस गुस्ताव एफिल (Gustave Eiffel) को यह आइडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे पेटेंट करा लिया।
1889 में पेरिस विश्व मेले (World’s Fair) के लिए Eiffel Tower को चुना गया। लेकिन उस समय इसे केवल 20 साल के लिए अनुमति मिली थी, जिसके बाद 1910 में इसे तोड़ने की योजना थी।

कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने किया था विरोध

Eiffel Tower के निर्माण के दौरान 1887 में Le Temps नामक अखबार में एक खुला पत्र छपा, जिसमें कलाकारों और लेखकों ने इस परियोजना का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे “भद्दा,” “बेकार” और “पेरिस की सुंदरता को नष्ट करने वाला ढांचा” कहा।
यह विरोध इतना गहरा था कि प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चार्ल्स गार्नियर (Paris Opera के डिज़ाइनर) ने इसे “भयानक वस्तु” कहा, जबकि कुछ ने इसे “ट्रेजिक स्ट्रीट लैंप” और “बेबिल की मीनार” तक कह दिया।

गुस्ताव एफिल ने कैसे बचाया टॉवर को?

एफिल को एहसास हुआ कि अगर यह टॉवर केवल एक सजावटी ढांचा रहा, तो 20 साल बाद निश्चित रूप से तोड़ दिया जाएगा। उन्होंने इसे उपयोगी बनाकर इसका भविष्य बदल दिया।
उन्होंने टॉवर के शीर्ष पर वैज्ञानिक प्रयोगशाला बनाई, जहां मौसम विज्ञान (meteorology), रेडियो ट्रांसमिशन, और वायरलेस कम्युनिकेशन से जुड़े प्रयोग किए गए।
यह रणनीतिक कदम टॉवर को “वैज्ञानिक संपत्ति” में बदलने में सफल रहा। जब 1910 में इसका परमिट समाप्त हुआ, तब तक Eiffel Tower फ्रांस की तकनीकी प्रगति का प्रतीक बन चुका था — और इसे गिराने का कोई कारण नहीं बचा था।

निकोल टेस्ला का रहस्यमय कनेक्शन

हाल ही में कंटेंट क्रिएटर कुलदीप सिंघानिया ने एक रोचक सिद्धांत सामने रखा। उनके अनुसार, 1880 में निकोल टेस्ला ने पेरिस यात्रा के दौरान गुस्ताव एफिल से मुलाकात की थी और उन्हें वायरलेस बिजली (Wireless Electricity) की अवधारणा बताई थी।
कहा जाता है कि एफिल ने टेस्ला के कुछ विचारों को अपने टॉवर डिज़ाइन में शामिल किया, जिससे यह “एक गुप्त एंटीना” जैसा बन गया।
सिंघानिया के अनुसार, Eiffel Tower ने पहले विश्व युद्ध के दौरान एक जर्मन संदेश इंटरसेप्ट किया था, जिससे फ्रांसीसी सेना को एक जासूसी नेटवर्क का पता चला। साथ ही, टॉवर के नीचे एक गुप्त बंकर और निर्माण के दौरान रहस्यमय बिजली गिरने की घटनाएं भी दर्ज की गईं।

हालांकि यह सिद्धांत इतिहासकारों के लिए “साइंस-फिक्शन” जैसा लगता है, लेकिन यह Eiffel Tower की रहस्यमय कहानी में एक नया आकर्षण जोड़ता है।

आज का Eiffel Tower: विज्ञान, रोमांस और रहस्य का संगम

Eiffel Tower अब सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि “विज्ञान और सुंदरता के मेल” का प्रतीक है। गुस्ताव एफिल की रणनीति और दूरदर्शिता ने इसे न सिर्फ संरक्षित किया, बल्कि इसे एक वैश्विक प्रतीक बना दिया।
चाहे आप टॉवर को रोमांस का प्रतीक मानें या “टेस्ला की गुप्त तकनीक” का वाहक — यह अब भी पेरिस के ऊपर गूंजता एक जीवंत इतिहास है।

Share This Article
Leave a Comment