फ्रांस में राजनीतिक संकट: 2 साल में पांचवें पीएम की तलाश में मैक्रों

प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बैरू का कार्यकाल 9 महीने में खत्म, विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों नए पीएम की खोज में।

newsdaynight
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फ्रांस में राजनीतिक संकट: मैक्रों नए पीएम की तलाश में

फ्रांस एक बार फिर राजनीतिक संकट में है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को सिर्फ दो साल से भी कम समय में पांचवें प्रधानमंत्री की तलाश करनी पड़ रही है। विपक्षी दलों के एकजुट होने के बाद प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बैरू ने सोमवार रात विश्वास मत खो दिया और मंगलवार को इस्तीफा सौंप दिया।

मुख्य तथ्य

  • पीएम फ्रांस्वा बैरू ने संसद में विश्वास मत खोने के बाद इस्तीफा दिया।
  • राष्ट्रपति मैक्रों अब नए प्रधानमंत्री की तलाश में।
  • देश पर बजट घाटा घटाने और कर्ज कम करने का दबाव।
  • रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू का नाम संभावित उत्तराधिकारियों में।
  • “ब्लॉक एवरीथिंग” नामक विरोध प्रदर्शन की तैयारी, 80,000 पुलिस तैनात।

फ्रांस की राजनीति में एक और भूचाल आ गया है। प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बैरू का नौ महीने का कार्यकाल सोमवार को संसद में विश्वास मत हारने के बाद समाप्त हो गया। उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इस्तीफा सौंप दिया। अब तक वे और उनकी सरकार अंतरिम रूप से काम करेंगे जब तक नया प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं हो जाता।

यह संकट ऐसे समय आया है जब फ्रांस को अगले साल का बजट पारित करने के लिए संसद को एकजुट करना होगा। लेकिन हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। फ्रांस का बजट घाटा यूरोपीय संघ की 3% सीमा से लगभग दोगुना है और देश का कर्ज GDP के 114% के बराबर पहुंच चुका है।

अगला प्रधानमंत्री कौन?

मौजूदा रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू का नाम संभावित नए प्रधानमंत्री के रूप में चर्चा में है। हालांकि, मैक्रों किसी केंद्र-वामपंथी नेता या तकनीकी विशेषज्ञ (टेक्नोक्रेट) को भी यह जिम्मेदारी दे सकते हैं। राष्ट्रपति के पास नए प्रधानमंत्री चुनने की कोई समयसीमा या प्रक्रिया तय नहीं है, लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि मैक्रों जल्द ही नए नाम का ऐलान कर सकते हैं।

इस बीच, एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। नेशनल रैली (RN) पार्टी के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला को 43% लोगों ने प्रधानमंत्री पद के लिए पसंदीदा बताया। जबकि पार्टी प्रमुख मरीन ले पेन और आंतरिक मंत्री ब्रूनो रेटाइयो को 36% समर्थन मिला। RN लगातार मैक्रों पर इस्तीफा देने या समय से पहले आम चुनाव कराने का दबाव डाल रही है।

विपक्ष और जनता की मांग

सोशलिस्ट पार्टी ने भी दावा किया कि अब सत्ता संभालने की बारी उनकी है। पार्टी प्रमुख ओलिवियर फॉरे ने कहा, हमें सत्ता का दावा करना होगा।”

मैक्रों पहले ही पिछले साल समय से पहले चुनाव कराकर संसद को खंडित स्थिति में ले आए थे। इसका असर अब दिख रहा है और शासन चलाना मुश्किल हो गया है।

विरोध प्रदर्शन और आर्थिक चिंता

फ्रांस के कारोबारी जगत ने इस राजनीतिक अस्थिरता पर चिंता जताई है। टेक्नोलॉजी क्षेत्र की संस्था फ्रांस डिजिटल की माया नोएल ने कहा कि, इस अस्थिरता की वजह से निवेश और रोजगार दोनों प्रभावित हो रहे हैं।”

इसी बीच सोशल मीडिया पर ब्लॉक एवरीथिंग” नाम से एक नया आंदोलन शुरू होने की तैयारी है। माना जा रहा है कि यह 2018 के येलो वेस्ट प्रोटेस्ट जैसा रूप ले सकता है। इसके मद्देनज़र पेरिस पुलिस प्रमुख लॉरेंट नुनेज ने बताया कि देशभर में 80,000 पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। आशंका है कि प्रदर्शनकारी मुख्य सड़कों और रेलवे स्टेशनों को निशाना बना सकते हैं।

फ्रांस के सामने अब दोहरी चुनौती है—एक ओर राजनीतिक स्थिरता की कमी, दूसरी ओर आर्थिक सुधारों की सख्त जरूरत। आने वाले दिनों में राष्ट्रपति मैक्रों के फैसले यह तय करेंगे कि देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा।

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