लीक हुए इज़रायली खुफिया रिकॉर्ड से पता चला—गाज़ा में मारे गए ज्यादातर लोग नागरिक, सेना के सार्वजनिक दावों से बड़ा विरोधाभास।
मुख्य तथ्य
- इज़रायली खुफिया डेटाबेस के अनुसार गाज़ा में मारे गए 83% लोग नागरिक थे।
- इज़रायल ने दावा किया था कि नागरिक और लड़ाकों का अनुपात 1:1 या 2:1 है।
- डेटाबेस में 47,653 नाम दर्ज, जिनमें से लगभग 8,900 को मृत माना गया।
- अब तक गाज़ा में कुल मौतों का आंकड़ा 53,000 पहुंच चुका है।
- पक्के आंकड़े मानें तो नागरिक मौतों का अनुपात 86% तक पहुंचता है।
इज़रायल के आंतरिक खुफिया डेटाबेस से सामने आए आंकड़ों ने गाज़ा युद्ध में नागरिक हताहतों की सच्चाई उजागर कर दी है। +972 मैगज़ीन, लोकल कॉल और द गार्डियन की संयुक्त जांच में सामने आया कि गाज़ा में मारे गए कम से कम 83% लोग नागरिक थे। यह दावा इज़रायली सेना और सरकार के आधिकारिक बयानों से बिल्कुल उलट है, जिसमें बार-बार कहा गया था कि नागरिक और लड़ाकों का अनुपात 1:1 या 2:1 है।
खुफिया रिकॉर्ड से खुलासा
डेटाबेस का प्रबंधन इज़रायली सैन्य खुफिया निदेशालय (अमन) करता है और इसे ही सबसे विश्वसनीय माना जाता है। इसमें 47,653 फिलिस्तीनियों के नाम दर्ज हैं, जिन्हें हमास और इस्लामिक जिहाद के सक्रिय सदस्य माना गया है। इनमें 34,973 को हमास और 12,702 को इस्लामिक जिहाद से जुड़ा बताया गया है।
मई तक उपलब्ध डेटा के अनुसार, इज़रायल का मानना था कि उसने लगभग 8,900 ऑपरेटिव्स को मार दिया है—जिनमें 7,330 की मौत पक्की मानी गई और 1,570 को “संभावित मृत” की श्रेणी में रखा गया। इनमें से ज्यादातर निचले स्तर के लड़ाके थे, जबकि 750 वरिष्ठ नामों में से केवल 100–300 को ही मार गिराने का अनुमान है।
नागरिक मौतें क्यों अधिक?
गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े नागरिक और लड़ाकों में अंतर नहीं करते। लेकिन जब इन खुफिया आंकड़ों को मंत्रालय की कुल मौतों (53,000) से मिलाया गया, तो साफ हुआ कि कम से कम 83% और संभवतः 86% तक मौतें नागरिकों की हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि असल आंकड़े इससे भी ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि डेटाबेस में केवल उन्हीं लड़ाकों के नाम दर्ज हैं जिनकी पहचान सुनिश्चित हो सकी। इसमें वे शामिल नहीं हैं जो लड़ाई में मारे गए लेकिन आधिकारिक रूप से सदस्य नहीं थे, या राजनीतिक हस्तियां जिन्हें इज़रायल निशाना बनाता रहा।
अंतरराष्ट्रीय असर
यह खुलासा आधुनिक युद्धों में नागरिक हताहतों के अनुपात को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। कई स्वतंत्र अध्ययनों ने पहले ही गाज़ा में नागरिक मौतों की भयावह दर को उजागर किया था। अब इज़रायल का अपना खुफिया रिकॉर्ड इन निष्कर्षों को मजबूत करता दिख रहा है।