सिगरेट-तंबाकू पर जीएसटी से ज्यादा अतिरिक्त टैक्स, लग्जरी कारों को राहत

सरकार ने संकेत दिए कि ‘सिन गुड्स’ पर टैक्स बोझ मौजूदा स्तर पर ही रहेगा, जबकि लग्जरी कार और बाइक सिर्फ 40% जीएसटी दर पर टैक्स होंगी।

newsdaynight
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सिगरेट-तंबाकू पर अतिरिक्त टैक्स, लग्जरी कारों को राहत

सरकार ने साफ किया है कि सिगरेट और तंबाकू जैसे ‘सिन गुड्स’ पर टैक्स बोझ मौजूदा स्तर से कम नहीं होगा। इसके लिए 40% जीएसटी दर के ऊपर अतिरिक्त लेवी लगाई जाएगी। वहीं, लग्जरी कारों और बाइकों को सिर्फ 40% की दर पर टैक्स देने की राहत मिलेगी।

मुख्य तथ्य

  • सिन गुड्स पर अतिरिक्त टैक्स: 40% जीएसटी के ऊपर नया लेवी लगाने की तैयारी।
  • लग्जरी कारों-बाइकों को राहत: सिर्फ 40% जीएसटी दर पर टैक्स।
  • कंपनसेशन सेस: अब दिसंबर 2025 तक जारी रहेगा।
  • नई दरें प्रभावी: 22 सितंबर से लागू होंगी नई जीएसटी दरें।
  • आईटी सिस्टम अपडेट: उद्योग और सरकार, दोनों को इनवॉइसिंग व रजिस्ट्रेशन सिस्टम में बदलाव करना होगा।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने संकेत दिए हैं कि सिगरेट और तंबाकू जैसे सिन गुड्स पर टैक्स का बोझ मौजूदा स्तर पर ही रखा जाएगा। इसके लिए सरकार 40% जीएसटी दर के ऊपर एक अतिरिक्त टैक्स लगाने की योजना बना रही है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस अतिरिक्त लेवी को लागू करने के लिए किस तरह का कानूनी या प्रशासनिक तंत्र इस्तेमाल किया जाएगा।

अग्रवाल ने कहा, “जीएसटी के तहत 40% अधिकतम दर तय है। बाकी के लिए हम कोई ऐसा मैकेनिज्म लाएंगे जिससे टैक्स इनसिडेंस मौजूदा स्तर पर ही बना रहे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि इसके लिए किसी विधायी संशोधन या नया बिल लाने की जरूरत पड़ी, तो सरकार समय पर इसका इंतजाम करेगी।

इसके विपरीत, अत्यधिक महंगी लग्जरी कारों और बाइकों को राहत दी जाएगी। इन पर केवल 40% जीएसटी दर लागू होगी और कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा। इससे यह साफ है कि सरकार सिन गुड्स और लग्जरी प्रोडक्ट्स में अंतर करने की नीति अपना रही है।

वर्तमान में इन वस्तुओं पर 28% जीएसटी और 28% का कंपनसेशन सेस लगाया जाता है। हालांकि यह सेस इस साल समाप्त होने वाला था, लेकिन अब इसे दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ताओं को फिलहाल सिगरेट, तंबाकू और अन्य सिन गुड्स पर किसी भी तरह की राहत नहीं मिलने वाली।

अग्रवाल ने यह भी बताया कि नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। इसके लिए केंद्र और राज्यों को आवश्यक अधिसूचनाएं जारी करनी होंगी। साथ ही, सरकार अपने आईटी सिस्टम को नए टैक्स रेट और रजिस्ट्रेशन-रिफंड प्रोसेस के अनुरूप अपडेट कर रही है।

उन्होंने उद्योग जगत को भी चेताया कि उन्हें अपने ईआरपी और इनवॉइसिंग सिस्टम को नए टैक्स रेट्स के मुताबिक अपडेट करना होगा, ताकि 22 सितंबर के बाद टैक्स कैलकुलेशन और बिलिंग में कोई दिक्कत न आए।

यह फैसला सरकार की इस कोशिश का हिस्सा है कि एक ओर जहां राजस्व का नुकसान न हो, वहीं दूसरी ओर टैक्स ढांचे को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।

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