H-1B वीजा धारकों को माइक्रोसॉफ्ट-जेपी मॉर्गन की चेतावनी

ट्रंप के $100,000 H-1B शुल्क आदेश से पहले कंपनियों की सलाह

newsdaynight
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H-1B वीजा: माइक्रोसॉफ्ट-जेपी मॉर्गन की बड़ी चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद टेक और फाइनेंस दिग्गज कंपनियां अपने H-1B कर्मचारियों को लेकर सतर्क हो गई हैं। माइक्रोसॉफ्ट, जेपी मॉर्गन और अमेज़न ने वीजा धारकों को अमेरिका में बने रहने और यात्रा न करने की सलाह दी है।

मुख्य तथ्य

  • ट्रंप ने H-1B वीजा शुल्क $100,000 सालाना तय किया।
  • 21 सितंबर से बिना शुल्क भुगतान किए प्रवेश नहीं मिलेगा।
  • माइक्रोसॉफ्ट और जेपी मॉर्गन ने H-1B कर्मचारियों को तुरंत लौटने को कहा।
  • अमेज़न ने वीजा धारकों को विदेश यात्रा से बचने की चेतावनी दी।
  • भारत H-1B प्रोग्राम का सबसे बड़ा लाभार्थी, 71% हिस्सेदारी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को H-1B वीजा शुल्क में भारी बढ़ोतरी का आदेश जारी किया, जिससे टेक और फाइनेंस सेक्टर में हलचल मच गई है। नए नियम के अनुसार, अब कंपनियों को प्रति विदेशी कर्मचारी $100,000 सालाना शुल्क देना होगा। यह नियम 21 सितंबर 2025 से लागू होगा और कम से कम एक साल तक प्रभावी रहेगा।

माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों को भेजे ईमेल में कहा कि सभी H-1B और H-4 वीजा धारक जल्द से जल्द अमेरिका लौट आएं। जो पहले से अमेरिका में हैं, उन्हें वहीं बने रहने की सलाह दी गई। कंपनी ने कहा, वीजा धारकों को फिलहाल देश से बाहर यात्रा नहीं करनी चाहिए।”

जेपी मॉर्गन ने भी इसी तरह का दिशानिर्देश जारी किया। बैंक ने कर्मचारियों को चेतावनी दी कि जब तक अमेरिकी सरकार स्पष्ट गाइडलाइंस जारी नहीं करती, अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचें। कंपनी की ओर से वीजा मामलों को संभालने वाली लॉ फर्म ने भी यही सलाह दोहराई।

अमेज़न ने तो और सख्त कदम उठाते हुए अपने विदेशी कर्मचारियों से कहा कि वे 21 सितंबर की आधी रात (EDT) से पहले अमेरिका लौट आएं। कंपनी के अनुसार, इस समय सीमा के बाद नए नियम लागू हो जाएंगे और बिना शुल्क भुगतान किए प्रवेश संभव नहीं होगा।

इस बीच, नए आदेश से शेयर बाजार भी प्रभावित हुआ। कॉग्निजेंट के शेयरों में लगभग 5% गिरावट आई, जबकि भारतीय दिग्गज कंपनियों इन्फोसिस और विप्रो के शेयर भी 2 से 5% तक गिरे। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारतीय IT सेक्टर के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय होते हैं। अकेले 2025 की पहली छमाही में ही अमेज़न और AWS को 12,000 से अधिक H-1B वीजा मंजूर हुए थे, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा को 5,000 से ज्यादा मिले।

स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम न केवल भारतीय पेशेवरों के लिए चिंता बढ़ा रहा है, बल्कि अमेरिकी टेक और फाइनेंस सेक्टर को भी झटका दे सकता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आगे कंपनियां और सरकारें इस स्थिति से कैसे निपटेंगी।

 

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