भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द मुहर, आयात-निर्यात पर बड़े टैक्स कटौती के संकेत

ऊर्जा और कृषि क्षेत्र बने प्रमुख सौदेबाज़ी के कार्ड, रूस से तेल आयात में कटौती पर सहमति की संभावना

newsdaynight
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भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द, टैरिफ में बड़ी कटौती

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटके व्यापार समझौते (Trade Deal) पर जल्द ही बड़ा ऐलान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच ऐसा करार बनने की संभावना है जिससे भारतीय निर्यात पर लगने वाला भारी-भरकम 50% शुल्क घटाकर 15-16% तक किया जा सकता है। इस समझौते में ऊर्जा और कृषि क्षेत्र अहम भूमिका निभा रहे हैं, जबकि भारत धीरे-धीरे रूस से तेल आयात में कमी लाने पर सहमत हो सकता है।

मुख्य तथ्य

  • भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की घोषणा नवंबर 2025 तक संभव।
  • भारतीय निर्यात पर मौजूदा 50% टैक्स घटकर 15-16% होने की संभावना।
  • भारत धीरे-धीरे रूस से तेल आयात कम करने पर विचार कर रहा है।
  • अमेरिका को गैर-GM मक्का और सोयामील निर्यात की अनुमति मिल सकती है।
  • ऊर्जा और कृषि दोनों क्षेत्र बने बातचीत के प्रमुख केंद्र।

भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही हैं। दोनों देशों के अधिकारी एक ऐसे द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप देने में जुटे हैं जिससे दोनों की अर्थव्यवस्थाओं को समान लाभ मिल सके। सूत्रों के मुताबिक, यह समझौता भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है क्योंकि इससे अमेरिकी बाजारों में भारतीय निर्यातकों को भारी राहत मिलेगी।

वर्तमान में भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में करीब 50% तक का आयात शुल्क लगता है, जो इस नए समझौते के बाद 15-16% तक घट सकता है। यह कमी भारत के टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों के लिए बड़ा प्रोत्साहन साबित होगी। बदले में भारत अमेरिका से गैर-जेनेटिक मक्का (non-GM corn) और सोयामील (soymeal) के आयात की अनुमति दे सकता है, जो कृषि क्षेत्र में नए अवसर खोलेगा।

हालांकि, ऊर्जा क्षेत्र इस सौदे का सबसे अहम हिस्सा है। अमेरिका चाहता है कि भारत धीरे-धीरे रूस से तेल आयात कम करे और अमेरिकी क्रूड पर निर्भरता बढ़ाए। अभी भारत अपने कुल तेल आयात का करीब 34% रूस से करता है, जबकि अमेरिका से सिर्फ 10%। बताया जा रहा है कि भारत इस हिस्सेदारी को संतुलित करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है, ताकि उसे ऊर्जा आयात में अधिक विकल्प मिल सकें।

अमेरिकी प्रशासन की ओर से भी इस दिशा में रियायतें देने के संकेत हैं। व्हाइट हाउस ने पहले ही संकेत दिया था कि अगर भारत रूस से तेल खरीद कम करता है, तो अमेरिका ऊर्जा व्यापार में छूट देने को तैयार है। वहीं भारत की ओर से तेल मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

कृषि मोर्चे पर भी बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजारों में गैर-GM मक्का और सोयामील की आपूर्ति बढ़ाए, जबकि भारत इस पर सशर्त सहमति जताने को तैयार दिख रहा है। घरेलू किसान संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है कि इससे स्थानीय उत्पादकों को नुकसान होगा, लेकिन सरकार का मानना है कि यह संतुलित व्यापार नीति के तहत आवश्यक कदम है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, “अमेरिका इस समय चीन पर निर्भरता कम करने और भारत जैसे भरोसेमंद साझेदारों के साथ आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है। ऐसे में यह डील दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से लाभकारी हो सकती है।”

सूत्रों के मुताबिक, समझौते की घोषणा संभवतः इस महीने होने वाले ASEAN शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान की जा सकती है। हालांकि दोनों नेताओं ने अभी तक अपनी उपस्थिति की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

भारत-अमेरिका व्यापार 2025 के पहले छह महीनों में 11.8% की वृद्धि दर्ज कर चुका है, जिससे स्पष्ट है कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं। यदि यह व्यापार समझौता अमल में आता है, तो भारत को ऊर्जा और कृषि क्षेत्र में नए अवसरों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर व्यापारिक स्थिरता भी मिलेगी।

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