अमेरिका और भारत के बीच व्यापार व रणनीतिक रिश्तों को लेकर वार्ता तेज़ हो गई है। न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की बैठक में दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फ़ार्मा और क्रिटिकल मिनरल्स पर सहयोग को प्राथमिकता दी। इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित मुलाक़ात पर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
मुख्य तथ्य
- अमेरिका ने कहा: भारत “अत्यंत अहम रिश्ता” है, कई क्षेत्रों में सहयोग पर ज़ोर।
- व्यापार समझौते पर वार्ता; टैरिफ और रूसी तेल खरीद पर मतभेद।
- मोदी-ट्रंप मुलाक़ात ASEAN सम्मेलन (कुआलालंपुर) में संभव।
- EU भी भारत से व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में सक्रिय।
- क्वाड और “मुक्त व खुला इंडो-पैसिफ़िक” पर भी चर्चा हुई।
भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को लेकर नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की पहली बैठक में द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। रूबियो ने कहा, “भारत अमेरिका के लिए अत्यंत अहम रिश्ता है” और विशेष रूप से व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फ़ार्मा और क्रिटिकल मिनरल्स को सहयोग के मुख्य क्षेत्र बताया।
बैठक ऐसे समय हुई जब अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय आयात पर टैरिफ दोगुना कर 50% कर दिया है और H-1B वीज़ा शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है। इसके अलावा, अमेरिका भारत की रूसी तेल खरीद पर भी नाराज़गी जता चुका है। इन चुनौतियों के बावजूद, बैठक का माहौल “सकारात्मक” बताया गया और सभी अहम मुद्दों पर साफगोई से चर्चा हुई।
मोदी-ट्रंप मुलाक़ात की संभावना
दोनों देशों के बीच वार्ता का अहम लक्ष्य एक ठोस व्यापार समझौता है। सूत्रों के अनुसार, अगर यह डील अगले एक महीने में पूरी हो जाती है तो अक्टूबर में कुआलालंपुर में होने वाले ASEAN और East Asia शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की द्विपक्षीय मुलाक़ात संभव हो सकती है। यह मुलाक़ात रिश्तों को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है।
जयशंकर की अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो के अलावा ट्रंप प्रशासन के भारत में राजदूत पद के नामित सर्जियो गोर से भी मुलाक़ात हुई। साथ ही, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ व्यापार वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं।
यूरोप का बढ़ता रोल
दिलचस्प बात यह है कि भारत न सिर्फ़ अमेरिका, बल्कि यूरोप के साथ भी साझेदारी को मज़बूत कर रहा है। जयशंकर ने यूरोपीय संघ (EU) के विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक में हिस्सा लिया, जहाँ बहुपक्षवाद, यूक्रेन संकट, गाज़ा संघर्ष और ऊर्जा आपूर्ति जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। EU भारत को “विश्वसनीय साझेदार” के रूप में पेश कर रहा है, जबकि कई भारतीय विश्लेषक अमेरिका को “अनिश्चित” मानते हैं।
EU के उच्च प्रतिनिधि काजा कॅलस ने कहा कि भारत, ब्राज़ील और मेक्सिको जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि EU मुक्त व्यापार और संयुक्त राष्ट्र चार्टर आधारित विश्व व्यवस्था का समर्थन करता है।
इंडो-पैसिफ़िक और क्वाड
रूबियो और जयशंकर ने इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र पर भी चर्चा की। अमेरिका ने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर क्वाड के ज़रिए “मुक्त और खुला इंडो-पैसिफ़िक” सुनिश्चित करेंगे। यह संदेश चीन के बढ़ते आक्रामक रुख़ की ओर अप्रत्यक्ष इशारा माना जा रहा है।
स्पष्ट है कि आने वाले हफ्ते भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए बेहद अहम होंगे। अगर व्यापार समझौते पर प्रगति हुई तो मोदी-ट्रंप मुलाक़ात न सिर्फ़ प्रतीकात्मक होगी, बल्कि द्विपक्षीय साझेदारी को नए आयाम भी दे सकती है।


