43 साल जेल में रहने वाला भारतीय मूल का शख्स अब डिपोर्टेशन का खतरा

अमेरिका में 1980 में हत्या के झूठे आरोप में 43 साल जेल में बिताने वाले सुब्रमण्यम वेदम की रिहाई के बाद अब उन्हें देश से निकाले जाने का सामना करना पड़ रहा है।

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43 साल जेल में रहने वाला भारतीय अब निर्वासन के खतरे में

अमेरिका में भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम की कहानी न्याय और प्रणाली की विफलता की मिसाल बन गई है। 43 साल तक जेल में गलत तरीके से कैद रहने के बाद जब उन्हें बरी किया गया, तो आज़ादी के बजाय उनके सामने एक नया संकट खड़ा हो गया — देश से निर्वासन का खतरा। 64 वर्षीय वेदम अब फेडरल कस्टडी में हैं, जहां वे एक पुराने ड्रग केस के कारण डिपोर्टेशन का सामना कर रहे हैं।

मुख्य तथ्य

  • भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम ने अमेरिका की जेल में 43 साल गलत सजा भुगती।
  • 1980 में अपने दोस्त की हत्या के झूठे आरोप में दो बार हुए थे दोषी घोषित।
  • नए बैलिस्टिक सबूतों के आधार पर अगस्त 2025 में सजा रद्द हुई।
  • अब 1999 के पुराने डिपोर्टेशन ऑर्डर के तहत उन्हें निर्वासन का खतरा।
  • उनके वकीलों का कहना — “43 साल की अन्यायपूर्ण कैद किसी भी अपराध से बड़ी सजा है।”

अमेरिका में भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम की ज़िंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। पेंसिल्वेनिया की जेल में 43 साल बिताने के बाद, जब वे आखिरकार रिहा होने वाले थे, तभी किस्मत ने एक बार फिर करवट ली। हत्या के झूठे आरोप से बरी होने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें यू.एस. इमीग्रेशन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया, और अब उन्हें भारत वापस भेजे जाने का खतरा है।

कैसे शुरू हुआ था मामला

साल 1980 में वेदम के दोस्त थॉमस किंसर की हत्या के बाद, पुलिस ने बिना ठोस सबूतों के उन्हें आरोपी बनाया। दोनों 19 वर्ष के थे और पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों के बच्चे थे। कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था, न कोई ठोस मकसद। इसके बावजूद, वेदम को दो बार मर्डर केस में दोषी ठहराया गया — 1983 और फिर 1988 में।

वेदम ने जेल में रहते हुए कई डिग्रियां हासिल कीं, सैकड़ों कैदियों को पढ़ाया, और लगभग आधी सदी में सिर्फ एक बार अनुशासन का उल्लंघन किया — वह भी जब उन्होंने बाहर से चावल मंगवाए थे।

नए सबूतों ने दिलाई उम्मीद

साल 2023 में, पेन स्टेट लॉ प्रोफेसर गोपाल बालाचंद्रन ने पुराने केस की फाइलों की जांच के दौरान एक FBI रिपोर्ट खोजी, जिसमें बताया गया था कि हत्या में इस्तेमाल गोली वेदम की बंदूक से मेल नहीं खाती।
यह रिपोर्ट प्रॉसीक्यूशन ने कभी साझा नहीं की थी। इस नए सबूत के बाद, अगस्त 2025 में जज ने वेदम की सजा को रद्द कर दिया।

लेकिन जब उनकी बहन सरस्वती वेदम उन्हें घर ले जाने पहुंचीं, तभी अधिकारियों ने बताया कि 1999 के डिपोर्टेशन ऑर्डर के कारण उन्हें तुरंत ICE (Immigration and Customs Enforcement) के हवाले किया जा रहा है।

अमेरिकी प्रशासन का रुख और कानूनी चुनौती

वेदम के वकीलों का कहना है कि 1980 के दशक के ड्रग केस को अब तूल देना “अनुचित” है, खासकर जब उन्होंने लगभग आधी सदी एक गलत सजा में काटी।
हालांकि ट्रंप प्रशासन के कठोर इमीग्रेशन रुख के तहत, गृह सुरक्षा विभाग (DHS) का कहना है कि वेदम जैसे “क्रिमिनल एलियंस” के लिए अमेरिका में जगह नहीं है।

वेदम के वकील एवा बेनाच ने कहा, “43 साल की अन्यायपूर्ण कैद अपने आप में सजा है। ऐसे व्यक्ति को अब निर्वासन की धमकी देना मानवीय नहीं।”

नस्लीय भेदभाव का आरोप

1988 के पुनर्मुकदमे में अभियोजक द्वारा पूछे गए सवालों पर आज भी बहस है — जैसे “आपका जन्म कहाँ हुआ?” या “क्या आप ध्यान (Meditation) करते हैं?”
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ये सवाल जूरी को वेदम के खिलाफ भड़काने के लिए थे, क्योंकि वे अपने समुदाय में “पहले भारतीय परिवारों” में से एक थे।

उनकी बहन सरस्वती, जो अब कनाडा में प्रोफेसर हैं, कहती हैं — “वह जानता है कि कभी-कभी सच और इंसाफ आने में वक्त लगता है। लेकिन वह अब भी उम्मीद नहीं छोड़ता।”

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